छेड़छाड़ करके बेची जाती हैं सेकंड़ हैंड कार, खरीदने से पहले इन तरीकों से जानें हकीकत

आजकल सभी कारें डिजिटल ओडोमीटर के साथ आती हैं जिसमें सर्किट बोर्ड के साथ चिप लगी रहती है। इसी चिप में ओडोमीटर की रीडिंग स्टोर रहती है

By Ankit DubeyEdited By: Publish:Wed, 11 Jul 2018 06:01 PM (IST) Updated:Thu, 27 Sep 2018 07:00 AM (IST)
छेड़छाड़ करके बेची जाती हैं सेकंड़ हैंड कार, खरीदने से पहले इन तरीकों से जानें हकीकत
छेड़छाड़ करके बेची जाती हैं सेकंड़ हैंड कार, खरीदने से पहले इन तरीकों से जानें हकीकत

नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। भारतीय बाजार में ग्राहक सेकंड़ हैंड कार डीलर से यूज्ड कार खरीदते वक्त सबसे बड़ा जोखिम उठाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें कई बार शिकायत मिलती है कि कार के ओडोमीटर (मीटर रीडिंग/माइलेज) के साथ छेड़छाड़ की गई है। बता दें ओडोमीटर में दिखने वाले किलोमीटर को कार बेचने से पहले बदल दिया जाता था ताकि उसे महंगी कीमत में बेचा जा सके। कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें लोगों ने केवल 40 हजार किलोमीटर चली सेकंड़ हैंड कार खरीदी होती है लेकिन कुछ दिनों बाद पता चलता है कि वह इससे कई ज्यादा चल चुकी है। इसके बारे में ग्राहकों को कार में लगे सर्विस स्टिकर या ऑथराइज्ड सर्विस स्टेशन से पता चलता है, जो कार का रिकॉर्ड रखते हैं।

किस तरह होती है कार में छेड़छाड़?

आजकल सभी कारें डिजिटल ओडोमीटर के साथ आती हैं जिसमें सर्किट बोर्ड के साथ चिप लगी रहती है। इसी चिप में ओडोमीटर की रीडिंग स्टोर रहती है। ऐसे में मैकेनिक या तो बोर्ड में लगी चिप की जगह अपनी रीडिंग चिप लगा देते हैं या फिर OBD2 रीडर्स की मदद से ऑरिजनल चिप में रीडिंग को बदल देते हैं। बता दें OBD2 रीडर्स को कार में लगे OBD2 पोर्ट से कनेक्ट करके ऐसा किया जाता है।

किस तरह करें इसकी पहचान

इसमें सबसे मुश्किल तो यह है कि इस फ्रॉड से बचने का कोई सिंगल तरीका नहीं है। इसे आप अपनी समझ या फिर किसी अनुभवी मैकेनिक की मदद से ढूंढ सकते हैं। इसके बावजूद भी कुछ ऐसी चीजें हैं जिससे आपको पता चल सकता है कि ओडोमीटर के साथ छेड़छाड़ हुई है या नहीं। या फिर आप किसी ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर से कार की सर्विस और मैंटेनेंस हिस्ट्री को ढूंढने की कोशिश करें और मौजूदा रीडिंग की तुलना आखिरी सर्विस वाले किलोमीटर से करें। इसके अलावा अगर की माइलेज मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में बेहद कम है तो आप विंडशिल्ड या डोर आदि पर लगे स्टिकर से पता कर सकते हैं कि कार की सर्विस कितने किलोमीटर चलने के बाद हुई है।

आप कार के टायर्स से भी पता कर सकते हैं। अगर कार का टायर नया है और ओडोमीटर 12000 किलोमीटर दिखा रहा है तो फिर ओडोमीटर के सात छेड़छाड़ की गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि नए टायर्स 40 हजार से 50 हजार कि‍मी तक चलते हैं।

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