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    महाभारत काल से जुड़ा है गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर, इस नवरात्र आप भी कर आएं दर्शन

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 04:31 PM (IST)

    Navratri 2025 के पावन पर्व पर जब चारों ओर भक्ति का माहौल होता है तो ऐसे में माता के प्राचीन मंदिरों (Navratri Temples 2025) के दर्शन करना मन को एक अलग ही शांति देता है। ऐसा ही एक मंदिर है हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित शीतला माता मंदिर जिसका इतिहास सदियों पुराना है और माना जाता है कि इसका संबंध महाभारत काल से भी है।

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    इस नवरात्र पहुंच जाइए गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर (Image Source: X)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर (Sheetla Mata Mandir Gurugram) सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था का ऐसा केंद्र है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी इच्छाओं के पूरे होने की आशा लेकर आते हैं। माता शीतला को कई समाजों जैसे ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, जाट और गुर्जर समुदाय में कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि यह मंदिर, नवरात्र हो या कोई और विशेष अवसर, हमेशा भक्तों से भरा रहता है। आइए, जानते हैं इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें। 

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    यहां पूरी होती है हर मनोकामना

    मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगे बरगद के पेड़ से जुड़ी एक विशेष परंपरा है। भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस पेड़ पर चुन्नी या मौली बांधते हैं और माता को जल अर्पित कर आशीर्वाद मांगते हैं। विशेष रूप से महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए माता की पूजा करती हैं। यहां लाल रंग का दुपट्टा और मुरमुरे प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा भी है।

    महाभारत काल से जुड़ी मान्यता

    इतिहास की बात करें तो इस मंदिर की जड़ें महाभारत काल तक जाती हैं। मान्यता है कि यहीं द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को शिक्षा दी थी। स्कंद पुराण में भी शीतला माता का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने माता शीतला को संसार को निरोग रखने का कार्य सौंपा था, इसलिए भक्त मानते हैं कि उनकी पूजा करने से रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं।

    रोग और बाधाओं से मुक्ति का विश्वास

    हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। माना जाता है कि शीतला माता की कृपा से हर तरह की बीमारी, परेशानी और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। यही कारण है कि माता-पिता अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराने के लिए भी यहां आते हैं, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित और शुभ हो।

    दिल्ली से गुरुग्राम तक का सफर

    इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है। पहले यह मंदिर दिल्ली के केशोपुर में स्थित था। परंपरा के अनुसार, माता ने करीब ढाई-तीन सौ साल पहले गुरुग्राम के सिंघा जाट नामक व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन देकर यहां मंदिर बनाने का आदेश दिया था। तभी से यह मंदिर गुरुग्राम में स्थापित है और आज आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

    कैसे पहुंचे शीतला माता मंदिर?

    दिल्ली और आसपास के लोग मेट्रो के जरिए आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। पास के दो प्रमुख स्टेशन एम.जी. रोड और इफको चौक हैं, जो येलो लाइन पर स्थित हैं। इफको चौक से मंदिर लगभग 7 किलोमीटर और एम.जी. रोड से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

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