शिवाजी महाराज की वीरता की गवाही देती हैं रायगढ़ किले की एक-एक ईंट, यहीं मिली थी 'छत्रपति' की उपाधि
शिवाजी महाराज की गौरव गाथा किसी के भी दिल में देश प्रेम और उत्साह जगा सकती है। शिवाजी के सौर्य और वीरता के बारे में अगर आपको जानना है तो महाराष्ट्र का रायगढ़ किला (Raigad Fort history) जरूर देखना चाहिए। इस कीले में ही शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था। आइए जानें रायगढ़ किले का गौरवशाली इतिहास।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम स्वतंत्रता, शौर्य और राष्ट्रभक्ति का प्रयाय माना जाता है। उनकी वीरता और कुशल प्रशासनिक क्षमता की गवाही महाराष्ट्र में स्थित रायगढ़ किला भी देता है (Shivaji Maharaj Raigad Fort)। आपको बता दें कि रायगढ़ किला वहीं जगह हैं, जहां 6 जून, 1674 को शिवाजी महाराज को 'छत्रपति' की उपाधि दी गई थी।
रायगढ़ किला न केवल एक सैन्य दुर्ग था, बल्कि हिंदवी स्वराज्य की राजधानी और शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था का केंद्र भी था। इस किले की एक-एक ईंट मराठा साम्राज्य के सौर्य की कहानी कहती है। आइए जानते हैं इस किले का इतिहास (Raigad Fort History) और आप कैसे इस कीले का दीदार कर सकते हैं।
(Picture Courtesy: https://zpraigad.gov.in/)
रायगढ़ किले का इतिहास
रायगढ़ किले का प्राचीन नाम रायरी था। 1653 ई. में शिवाजी महाराज ने इसे चंद्रराओ मोरे से जीता और इसे अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। हालांकि, इस कीले को राजधानी बनाने के लिए पुनर्निमाण की जरूरत थी। इस किले का पुनर्निर्माण हिरोजी इंदुलकर के नेतृत्व में करवाया गया और इसके बाद इसे शिवाजी ने अपनी राजधानी घोषित की।
दिलचस्प बात यह है कि 1674 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक इसी किले पर हुआ, जिसके बाद वे छत्रपति कहलाए। तब से यह किला मराठा साम्राज्य के विस्तार और प्रशासन का प्रमुख केंद्र बना रहा।
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रायगढ़ किले की वास्तुकला और महत्वपूर्ण स्थल
रायगढ़ किला दुर्गराज यानी किलों का राजा के नाम से मशहूर है। यह किला शिवभक्तों के लिए एक तीर्थस्थल के समान है। इस किले की वास्तुकला भी बेहद अद्भुद है, जिसमें भव्य दरवाजे, मजबूत प्राचीर और ऐतिहासिक स्मारक शामिल हैं।
राजसदर
यह वह जगह है जहां शिवाजी महाराज अपनी प्रजा से मिलते थे और न्याय करते थे। नक्कारखाना से राजसदर तक की दूरी लगभग 65 मीटर है, लेकिन इसकी अकुस्टिक प्रॉपर्टीज के कारण यहां की हर फुसफुसाहट एकदम साफ सुनाई देती थी। राजसदर में शिवाजी महाराज का सिंहासन स्थापित था, जो सोने और हीरों से जड़ित था।
होलिचा माल
यह नक्कारखाने के बाहर स्थित एक खुला मैदान है, जहां होली का त्योहार मनाया जाता था। इसके पश्चिमी छोर पर एक छोटी मंदिर है, जो शिरकई भवानी को समर्पित है। शिरकई भवानी को इस किले की देवी माना जाता है।
जगदीश्वर मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और आज भी यहां पूजा-अर्चना होती है। मंदिर के पास ही शिवाजी महाराज की समाधि स्थित है, जहां हर साल उनकी पुण्यतिथि पर हजारों श्रद्धालु आते हैं।
हिरकणी बुर्ज
यह बुर्ज एक प्रेरणादायक कहानी से जुड़ा है। कहा जाता है कि एक महिला, जिसका नाम हिरकणी था, ने अंधेरी रात में खड़ी चट्टान से कूदकर अपने बच्चे की रक्षा की थी। इसी साहस को देखते हुए शिवाजी महाराज ने यहां एक बुर्ज बनवाया, जिसे हिरकणी बुर्ज कहा जाता है।
गंगासागर तालाब
किले के नीचे गंगासागर नामक एक विशाल जलाशय है, जो किले की जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत था।
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रायगढ़ किले तक कैसे पहुंचें?
- हवाई मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा पुणे (लोहेगांव) और मुंबई (छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) है।
- रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन पनवेल, पुणे और रोहा हैं।
- सड़क मार्ग- महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसें मुंबई, पुणे और रायगढ़ के बीच नियमित रूप से चलती हैं।
रायगढ़ किला केवल पत्थरों और ईंटों का ढांचा नहीं, बल्कि शौर्य, बलिदान और स्वाभिमान की जीती-जागती मिसाल है। यह किला हमें शिवाजी महाराज की वीरता, न्यायप्रियता और राष्ट्रनिर्माण की भावना की याद दिलाता है। आज भी यह दुर्ग हर भारतीय को देशभक्ति और साहस की प्रेरणा देता है। इसलिए एक बार आपको यहां जरूर जाना चाहिए।
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