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    Jagannath Rath Yatra 2025: रथयात्रा देखने गए हैं पुरी, तो इन जगहों को घूमे बिना वापस न लौटें

    पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है, जो हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ मौसी के घर जाते हैं। अगर आप भी रथ यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी गए हैं, तो इन जगहों पर जाना बिल्कुल न भूलें। 

    By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 27 Jun 2025 01:26 PM (IST)
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    पुरी जाएं तो घूमें ये जगह (Picture Credit- Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित होती है। यह यात्रा भले ही पुरी में होती है, लेकिन इसका जश्न मनाया जाता है। दरअसल, ऐसा माना बीमार होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं, जहां से ठीक होने के बाद वह वापस अपने मंदिर चले जाते हैं।

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    इस यात्रा को जोर-शोर से निकाला जाता है और इसका क्रेज लोगों के बीच इतना होता है कि हर साल लोग दूर-दूर से इसमें शामिल होने के लिए पुरी आते हैं। अगर आप भी रथयात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंच गए हैं, तो इन जगहों को घूमें बिना वापस बिल्कुल भी न लौटें। 

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    गुंडिचा मंदिर

    बीमार होने के बाद प्रभु जगन्नाथ इसी मंदिर जाते हैं। इसे "जगन्नाथ के उद्यान" के रूप में जाना जाता है, जो मुख्य मंदिर से लगभग 3 किमी दूर स्थित है। बेहद खूबसूरत इस मंदिर में आप शहर की हलचल से दूर शांति के कुछ पल बिता सकेंगे।

    पुरी बीच

    बंगाल की खाड़ी के किनारे फैला यह बीच अपनी खास सुनहरी रेत के लिए मशहूर है। यह की रेत सूरज की रोशनी में पिघले सोने की तरह चमकती है, जिसका नजारा बेहद मनमोहक होता है। आप यहां पैरासेलिंग भी कर सकते हैं और रोज की भाग-दौड़ से दूर मौज-मस्ती के साथ बढ़िया समय बिता सकते हैं। 

    स्वर्गद्वार बीच

    स्वर्गद्वार बीच जैसाकि नाम से पता चलता है, यह बीच "स्वर्ग का प्रवेश द्वार" माना जाता है। दरअसल, यह बीच काफी ज्यादा धार्मिक महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि यहां नहाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप यहां मनमोहक सनसेट देखते हुए सुकून के कुछ पल भी बिता सकते हैं। 

    रघुराजपुर हेरिटेज विलेज

    पुरी से 12 किमी दूर स्थित यह गांव अपनी पट्टचित्र पेंटिंग और पारंपरिक शिल्प के लिए मशहूर है। यहां हर घर में एक कलाकार की कार्यशाला है और यह गांव ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।

    कोणार्क सूर्य मंदिर 

    कोणार्क सूर्य मंदिर यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल एक बेहद खूबसूरत मंदिर है। यह पुरी से लगभग 35 किमी दूर स्थित है। 13वीं शताब्दी का यह मंदिर कलिंग वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसका आकार सूर्य देव को समर्पित एक विशाल रथ जैसा है।

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