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    संतान के इच्छुक दंपत्ति एक बार जरूर करें यहां कि यात्रा

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Fri, 18 Aug 2017 11:25 AM (IST)

    अगर आपके घर का आंगन भी सूना है तो आज हम आपको एक चमत्कारिक कुंड के बारे में बता रहे हैं, इस कुंड में स्नान करने से आपके आंगन में जल्द ही बच्चे की किलकारी गूंज उठेगी।

    संतान के इच्छुक दंपत्ति एक बार जरूर करें यहां कि यात्रा

    कहा जाता है एक औरत तभी संपूर्ण मानी जाती है जब वह मां बन जाती है। मां इस संसार की वो अहम कड़ी है जो अपने बच्चों के लिये कुछ भी कर सकती है। लेकिन इस संसार में ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो किसी कारणवश संतान सुख से वंचित हैं और लाख कोशिशों के बावजूद भी उनके घर का आंगन सूना है।

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    अगर आपके घर का आंगन भी सूना है तो आज हम आपको एक चमत्कारिक कुंड के बारे में बता रहे हैं, ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से आपके आंगन में जल्द ही बच्चे की किलकारी गूंज उठेगी।

    उत्तर प्रदेश की एतिहासिक नगर मथुरा का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में माना जाने वाले मथुरा में गोवद्र्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में एक चमत्कारी कुंड है जिसे राधा कुंड कहते हैं। जी न्यूज के अनुसार इस कुंड के बारे में मान्यता है कि यदि नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी (कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी) की मध्य रात्रि को एक साथ स्नान करें तो उनके घर बच्चे की किलकारी गूंज सकती है। ऐसा कहा जाता है की यहां महिलाएं अपने केश खोलकर राधा जी से संतान का वरदान मांगती हैं। यहां स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। राधाकुंड के बगल में ही श्रीकृष्ण कुंड है जिसकी बनावट बिल्कुल श्रीकृष्ण की तरह बांकी यानि की 3 जगह से टेढ़ी है।

    ऐसा कहा जाता है की कृष्ण कुंड का निर्माण नारद जी के कहने पर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था। जिसमें श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों के जल से उस कुंड में आने की प्रार्थना की। भगवान के बुलाने पर सभी तीर्थ वहां जल रूप में आ गए। तभी से सभी तीर्थों का अंश जल रूप में यहां स्थित है।

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    इसी को देखते हुए राधा ने भी उस कुंड के पास ही अपने कंगन से एक और छोटा-सा कुंड खोदा। जिसको देखकर भगवान ने उस कुंड को कृष्ण कुंड से भी ज्यादा प्रसिद्ध होने का वरदान दिया। तभी से यह राधा कुंड नाम से प्रसिद्ध हो गया।

    कृष्ण कुंड और राधा कुंड की अपनी एक विशेषता है कि दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला और राधा कुंड का जल सफेद दिखाई देता है। जो कि श्रीकृष्ण के काले वर्ण और देवी राधा के सफेद वर्ण के होने का प्रतीक है।

    संतान के लिए राधा कुंड में ही स्नान क्यों होता है इसके पीछे भी एक ऐतिहासिक महत्व है। कहा जाता है कि एक बार गोवर्धन में गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर नाम के गाय के बछड़े ने श्रीकृष्ण पर हमला कर दिया था। तब भगवान ने उस बछड़े का वध किया। जिसको लेकर राधा जी नाराज हो गईं क्योंकि कान्हा पर गोवंश हत्या का पाप लगा था। इस पाप से प्रायश्चित के लिए राधा जी ने सारे तीर्थों का जल एक कुंड में लाने के लिए श्री कृष्ण को कहा। तब श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से यह कुंड खोदा था। और राधा जी ने भी अपने कंगन से राधा कुंड खोदा। जिसके बाद राधा कृष्ण ने इसी कुंड में स्नान के बाद अष्ट सखियों संग महारास किया। जिसके बाद प्रसन्न होकर राधा जी ने श्रीकृष्ण को यह आशीर्वाद दिया कि जो भी अहोई अष्टमी की रात राधा और कृष्ण कुंड में स्नान करेगा उसके घर साल भर के अंदर ही संतान की किलकारी गूंजेगी। इसी मान्यता के अनुसार हर साल लोग यहां के चमत्कारिक कुंड में स्नान करने आते हैं।

     

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