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    आज ही के दिन आम जनता के लिए खोला गया था Gateway of India, जिसका दीदार किए बिना अधूरी रहती है मुंबई की ट्रिप

    Updated: Wed, 04 Dec 2024 07:17 AM (IST)

    मुंबई आने वाला कोई भी शख्स गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) का दीदार किए बिना नहीं रह सकता है। बता दें कि भारत का प्रवेश द्वार कहलाने वाले इस ऐतिहासिक स्मारक को 100 साल पूरे हो चुके हैं। 4 दिसंबर 1924 को इसे आम जनता के लिए खोला गया और आज भी गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई के सबसे आकर्षक स्थलों में शामिल है। आइए जानें इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स।

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    4 दिसंबर को आम जनता के लिए खोला गया था Gateway of India, जानें कुछ दिलचस्प फैक्ट्स (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई की ट्रिप अधूरी है अगर आपने गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) नहीं देखा। जी हां, इस साल इस ऐतिहासिक स्मारक ने 100 साल पूरे कर लिए हैं। 4 दिसंबर, 1924 को आम जनता के लिए खोला गया यह भव्य स्मारक भारत का प्रवेश द्वार कहलाता है।

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    जरा सोचिए, साल है 1911 और ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम (George V) और महारानी मैरी (Queen Mary) भारत की धरती पर पहली बार कदम रखने वाले हैं। उनके स्वागत के लिए मुंबई के अपोलो बंदर पर एक भव्य स्मारक का निर्माण किया जा रहा है- गेटवे ऑफ इंडिया। बता दें, प्रसिद्ध वास्तुकार जॉर्ज विटेट (George Wittet) द्वारा डिजाइन किया गया यह स्मारक आज मुंबई का प्रतीक बन चुका है और हर पर्यटक के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। आइए इस ऐतिहासिक स्मारक की कहानी को विस्तार से जानते हैं।

    गेटवे ऑफ इंडिया की कहानी

    जब यह तय हुआ कि ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी भारत की यात्रा करेंगे तो उनके स्वागत के लिए एक भव्य स्मारक बनाने की योजना बनाई गई। इस ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए, मुंबई में एक आश्चर्यजनक संरचना का निर्माण शुरू किया गया, जिसे बाद में गेटवे ऑफ इंडिया के नाम से जाना गया। बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर सर जॉर्ज सिनेहैम ने 31 मार्च, 1911 को इस भव्य स्मारक की आधारशिला रखी।

    हालांकि, निर्माण कार्य में देरी के कारण जब सम्राट और महारानी 2 दिसंबर, 1911 को मुंबई पहुंचे, तो गेटवे ऑफ इंडिया अभी भी अधूरा था। इस चुनौती के बावजूद, स्वागत समारोह को शानदार बनाने के लिए आयोजकों ने इस प्रॉब्लम का एक क्रिएटिव सॉल्यूशन निकाला। उन्होंने कार्डबोर्ड से एक विशाल और भव्य द्वार बनाया, जो गेटवे ऑफ इंडिया के डिजाइन पर आधारित था। इस अस्थायी संरचना ने सम्राट और महारानी को मुंबई में एक यादगार स्वागत किया।

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    कैसे पड़ा गेटवे ऑफ इंडिया का नाम?

    भारत के मुंबई शहर में स्थित गेटवे ऑफ इंडिया एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसका निर्माण 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ था और इस पर लगभग 21 लाख रुपये खर्च हुए थे। इस भव्य इमारत को बनाने में पीले बेसाल्ट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया था। इसका मुख्य गुंबद 15 मीटर चौड़ा है और इसके लिए ग्वालियर से खूबसूरत जालियां मंगाई गई थीं।

    गेटवे ऑफ इंडिया का डिजाइन एक ब्रिटिश वास्तुकार ने किया था और इसे इंडो-सरसेनिक शैली में बनाया गया है। इस इमारत के दोनों ओर इसके निर्माण की कहानी उकेरी गई है। तैयार होने के बाद इसका इस्तेमाल भारत में आने वाले अंग्रेजी अफसरों के स्वागत के लिए किया जाता था, इसलिए इसे 'गेटवे ऑफ इंडिया' नाम दिया गया। कहा जाता है कि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण भारत में ब्रिटिश शासन के अंत का प्रतीक था। आज यह मुंबई का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

    एक ऐसा नज़ारा जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे

    कल्पना कीजिए, आप मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर खड़े हैं। आपके सामने विशाल समुद्र फैला हुआ है और दूर ताज महल पैलेस होटल अपनी शान दिखा रहा है। हवा में कबूतर मंडरा रहे हैं और समुद्र की लहरें धीरे-धीरे किनारे पर आकर टूट रही हैं। यह वह जगह है जहां भारत का इतिहास और आधुनिकता एक साथ मिलती है। एंट्री फ्री होने के कारण यहां हर कोई आ सकता है और इस खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकता है।

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