जानें भारत के मशहूर ऐतिहासिक दरवाजों के बारे में
चलिए आज आपको रूबरू कराते हैं भारत की पहचान बन चुके इन विशाल ऐतिहासिक दरवाजों के इतिहास से।


गेटवे ऑफ़ इन्डिया
गेटवे ऑफ़ इन्डिया भारत के प्रमुख औद्योगिक नगर मुम्बई के दक्षिण में अरब सागर के तट पर स्थित है। इसे भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। ये बादामी आग्नेय चट्टानों, जिन्हें असिताश्म भी कहते हैं का बना हुआ स्थापत्य है। इसकी ऊंचाई 26 मीटर है। गेटवे ऑफ़ इन्डिया के पास ही पर्यटकों के समुद्र में घूमने के लिए शिप और बोट्स भी उपल्ब्ध रहते हैं। इस ऐतिहासिक द्वार का निर्माण राजा जॉर्ज पंचम और रानी मैरी के 2 दिसंबर, 1911 को भारत आगमन की यादगार के तौर पर हुआ था। भारतीय-सरैसेनिक शैली में बने इस विशाल दरवाजे के आर्किटेक्ट जॉजॅ विंटैट थे। यह सन् 1924 में बन कर तैयार हुआ था।

इंडिया गेट
इण्डिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है। ये नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित 43 मीटर ऊँचा विशाल द्वार है। यह स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक है, जिसे पहले किंग्सवे कहा जाता था। इंडिया गेट का डिजाइन सर एडवर्ड लुटियन्स ने तैयार किया था और यह पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है। इसे सन् 1931 में बनाया गया था। इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन 90000 भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो ब्रिटिश सेना के हिस्से के तौर पर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित इन 13,300 सैनिकों के नाम, गेट पर लिखे गए हैं। इंडिया गेट लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ एक दर्शनीय स्मारक है। जिस समय इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी। जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया। अब मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी ही वहां रह गयी है।

बुलंद दरवाजा
आगरा शहर से 43 किमी दूर फतेहपुर सीकरी में स्थित एक दर्शनीय स्मारक का नाम है बुलंद दरवाजा। इसका निर्माण अकबर ने 1602 में करवाया था। फारसी में बुलन्द शब्द का अर्थ महान या ऊँचा होता है। अपने नाम को सार्थक करने वाला यह द्वार विश्व का सबसे बडा़ प्रवेशद्वार है। बुलंद दरवाजा हिन्दू और फारसी स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। दक्कन पर अकबर की विजय की स्मृति में बनवाए गए इस प्रवेशद्वार के पूर्वी तोरण पर फारसी में एक शिलालेख अंकित है जिसमें 1601 में मिली उसकी इस कामयाबी की जानकारी देता है। 42 सीढ़ियों वाला बुलन्द दरवाज़ा 53.63 मीटर ऊंचा और 35 मीटर चौडा़ है। यह लाल बलुआ पत्थर से बना है जिसे सफेद संगमरमर से सजाया गया है। दरवाजे के आगे और इसके स्तंभों पर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। यह दरवाजा एक बड़े आंगन और जामा मस्जिद की ओर खुलता है। समअष्टकोणीय आकार वाला बुलंद दरवाज़ा गुम्बदों और मीनारों से सजा हुआ है।

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