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    Foods of Odisha: ओडिशा जाएं तो इन डिशेज को जरूर करें ट्राय, जिंदगीभर याद रहेगा इनका स्वाद

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Wed, 07 Dec 2022 07:22 AM (IST)

    Foods of Odisha ओडिशा को सिर्फ इसके मशहूर और खूबसूरत मंदिरों और पुरातात्विक कलाकारी के लिए ही नहीं बल्कि स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है। यहां आने वालों की यात्रा इन जायकों को चखे बिना अधूरी मानी जाती है।

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    Foods of Odisha: ओडिशा के स्वादिष्ट व मशहूर जायके

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Foods of Odisha: भारत का पूर्वी तट यानी ओडिशा शानदार वास्तुकला, खूबसूरत कलाकृतियों, संगीत, नृत्य, तीर्थ स्थलों के समृद्ध इतिहास और संस्कृति से सजा एक सुंदर राज्य है। इन आकर्षणों के अलावा एक और चीज जो इस राज्य को खास बनाती है वह है यहां के लजीज उड़िया व्यंजन। खानपान के शौकीनों को यहां के जायके बहुत भाते हैं। उड़िया व्यंजनों में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह की व्यंजनों की ढ़ेरों वैराइटी शामिल है।  जो स्वादिष्ट होने के साथ ही हेल्दी भी होते हैं। जब कभी आप ओडिशा घूमने जाएं, तो यहां के मुंह में घुल जाने वाले इन व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें। 

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    बेसारा

    बेसारा एक ऐसा पकवान है जो ओडिशा और उसके संपूर्ण व्यंजनों को परिभाषित करता है। यह श उड़िया व्यंजन सरसों का एक हल्का-फुलका सा पेस्ट होता है, जिसे कई सारी सामग्रियों (जैसे काले सरसों के दाने, लहसनु, जीरा, मिर्च, आदि) को पीसकर तैयार किया जाता है। लोग इस तैयार पेस्ट/चटनी का इस्तेमाल अन्य व्यंजनों को बनाने में करते हैं, जैसे बेसारा, फिश बेसारा, चिकन बेसारा। सबसे जरूरी बात कि बेसारा, अबहदा का एक हिस्सा है, जो महाप्रसाद के रूप में मशहूर है। इसे भगवान जगन्नाथ के पुरी जगन्नाथ मंदिर में बांटा जाता है।

    पखाला

    पखाला एक ऐसा व्यंजन है, जो गर्मियों में ज्यादा खाया जाता है। उड़िया लोग गर्मी को मात देने के लिए इस डिश को बनाते हैं। आधुनिक युग में दुनिया भर में पारंपरिक भोजन का जश्न मनाने के लिए हर साल 20 मार्च को 'पखाला दिवस' मनाते हैं। इस बात के बारे में कुछ ज्ञात नहीं कि कब पखाला को पूर्वी भारत के आहार में शामिल किया गया, लेकिन यह 10वीं शताब्दी में पुरी सिरका के भगवान जगन्नाथ मंदिर में भोजन के रूप में शामिल किया गया था। ऐसा लगता है कि पखाला सबसे पहले ओडिशा में आया। उड़िया में पके हुए चावल को पखाला कहा जाता है, जोकि पानी में रातभर फर्मेंट करके रखा जाता है। इस व्यंजन का आधा हिस्सा, पानी/बचा हुआ लिक्विड, तोरानी कहलाता है, जो बहुत ही हेल्दी होता है। इस पारंपरिक पकवान को और भी स्वादिष्ट बनाने के लिए लोग फर्मेंटेड चावल में दही, खीरा, करी पत्ता, जीरा मिलाते हैं। पखाला को अन्य साइड डिश जैसे तली हुई मछली, मैश किए हुए आलू, तले हुए बैंगन, तले हुए आलू आदि के साथ खाया जा सकता है।

    दालमा

    दाल-चावल ज्यादातर भारतीयों के पसंदीदा भोजन में शामिल है। भारत के अलग-अलग शहरों में दाल के स्वाद बदलते जाता है। उड़िया स्पेशल दालमा को एक बर्तन में पीली दाल और सब्जियों के साथ पकाया जाता है और बाद में इसमें जीरा, हींग, अदरक, लाल मिर्च, घी, आदि जैसे बेहद पोषक तत्वों के साथ तड़का लगाया जाता है। इसे चावल के साथ गरमागरम परोसा जाता है। इस पारंपरिक व्यंजन को भगवान जगन्नाथ मंदिर में भी परोसा जाता है। ऐसा लगता है जैसे दालमा, प्राचीन ओडिशा की सबसे मजबूत जनजाति सावरस की देन थी। वास्तव में, पुरातात्विक अभिलेखों में कहा गया है कि सावरस- ओडिशा की गैर-आर्य जनजाति, जो अपने सामाजिक सद्भाव के लिए जानी जाती है। नीला महादेव/महादेव के रूप में जगन्नाथ की पूजा करने वाले वे पहले माने जाते हैं।

    चूड़ा घसा

    मोटे पीसे पोहे में घी, किसा हुआ नारियल, फल, नट्स, शक्कर आदि मिलाकर तैयार होने वाली एक पारंपरिक ओडिशा डिश है। चूड़ा को पोहा कहा जाता है और घसा का मतबल है घिसना। दोनों हथेलियों से पोहे को जितना घिसा जाता है, यह पोहा उतना ही स्वादिष्ट बनता है। ओडिशा के लोग इस सेहतमंद व्यंजन को पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित आज के जमाने की मूसली का विकल्प मानते हैं। जिन्हें वे ज्यादातर स्नैक्स और प्रसाद (भोग) के रूप में खाते हैं। पुरी के सफर के दौरान रास्ते में एक छोटा-सा गांव है, चंदनपुर, जहां सबसे बेहतर “चूड़ाघसा” मिलता है।

    मनसा झोला

    पारंपरिक उड़िया व्यंजनों में मटन सबसे ज्यादा लोकप्रिय चीजों में से एक है। उड़िया स्पेशल मनसा झोला को बकरी के मांस, आलू, सरसों, जीरा, हल्दी, मिर्च, इलायची आदि को पीसकर तैयार किए जाने वाले होममेड मसाले के साथ बनाया जाता है। झोला का मतलब है सूप या जूस, इसलिए यह व्यंजन ज्यादा तरी वाला होता है और इसका बेहतरीन स्वाद किसी और चीज से नहीं बल्कि खुद मटन से ही आता है।

    रसगुल्ला

    जहां तक रसगुल्ले की बात है, तो पाहला को ओडिशा के रसगुल्ला जिले के रूप में जाना जाता है। यह कटक और भुबनेश्वर के बीच एक छोटी सी जगह है, जहां सड़क के दोनों ओर मिठाई की करीब 50 दुकानें हैं, जहां विभिन्न आकार के रसगुल्ले बिकते हैं। कैरेमलाइज्ड शक्कर के कारण उड़िया स्‍पेशल रसगुल्ला का रंग हल्का भूरा होता है और बंगाली नकली स्वाद से इतर इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। ऐतिहासिक रूप से यह पहली बार 12वीं शताब्दी में पुरी मंदिर के भगवान जगन्नाथ के प्रसाद के रूप में नजर आया था।

    छेना पोडा

    यह पारंपरिक उड़िया व्यंजन भगवान जगन्नाथ की पसंदीदा मिठाई है और देवता को चढ़ाए जाने वाले 56 भोगों (महाप्रसाद) में से एक है। यह लोकप्रिय व्यंजन भारत के सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक है। यह स्वादिष्ट मिठाई तब तक बेक की जाती है जब तक कि यह अच्छा सुनहरा रंग का नजर ना आने लगे। यह दूध, नींबू के रस, शक्कर, सूजी, पानी जैसी सामग्रियों से तैयार किया जाता है। यह मिठाई अंग्रेजी में बेक्‍ड चीज़ के नाम से जानी जाती है। छेना पोडा मुख्य रूप से उड़िया गांव दासपल्ला की उपज है। बीसवीं सदी के शुरूआती समय में मिठाई की दुकान के मालिक सुदर्शन साहू ने एक रात बचे हुए पनीर में शक्कर और मसाले डालने का फैसला किया और पहले इस्तेमाल हुए चूल्हे पर इसे छोड़ दिया, जो अभी भी गर्म था। अगले दिन वे बहुत खुश हुए कि उन्होंने कितनी बेहतरीन मिठाई तैयार कर ली है। इसके बाद से छेना पोडा दिवस मनाया जाता है, क्योंकि 11 अप्रैल 2022 को सुदर्शन साहू की जयंती है।

    तो जब भी ओडिशा आएं यहां के इन पकवानों का स्वाद लेना न भूलें, जो बना देंगे आपकी यात्रा को यादगार। 

    (अबिनास नायक, कॉरपोरेट शेफ, रोशाशाला से बातचीत पर आधारित)