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    साउथ इंडिया के इस हिल स्टेशन को कहते हैं 'केरल का कश्मीर', ठंड में तो नजारा हो जाता है और भी हसीन

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 03:20 PM (IST)

    जब हम कश्मीर का नाम लेते हैं, तो दिमाग में बर्फीली वादियों और सेब के बागानों की तस्वीर आती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साउथ इंडिया में भी एक ऐसी जग ...और पढ़ें

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    असली कश्मीर से कम नहीं है साउथ का यह हिल स्टेशन (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपको लगता है कि आपने केरल का हर खूबसूरत कोना देख लिया है, तो शायद आप कंथलूर से अब तक अनजान हों। जी हां, मुन्नार की भीड़-भाड़ से दूर, यह शांत और प्यारा-सा गांव किसी छिपे हुए जादू से कम नहीं है। मुन्नार से थोड़ी ही दूरी पर स्थित, यह ऊंचाई वाला गांव सर्दियों की छुट्टियों के लिए एकदम सही जगह है। यहां की ताजी पहाड़ी हवा, फलों से लदे बगीचे, हरी-भरी पहाड़ियां और शांति आपका मन मोह लेगी।

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    इस जगह की सबसे खास बात यह है कि पूरे केरल में केवल यही वह जगह है जहां सेब उगाए जाते हैं। यही कारण है कि कांथलूर को 'केरल का कश्मीर' भी कहा जाता है (Why is Kanthalloor called Kashmir of Kerala)।

    Kanthalloor

    (Image Source: AI-Generated)

    यहां आज भी चलता है 'बार्टर सिस्टम'

    कंथलूर में आज भी पुराने जमाने की झलक देखने को मिलती है। यहां एक ऐसी अनोखी दुकान है जो 1962 से 'वस्तु-विनिमय प्रणाली' (Barter System) पर चल रही है। जी हां, यह कोई कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है।

    यहां स्थानीय लोग अपने खेत की उपज जैसे अदरक, लहसुन, सरसों, धनिया या बीन्स लेकर आते हैं और उसके बदले में चावल या घर की अन्य जरूरी चीजें ले जाते हैं। लगभग 160 परिवार इस दुकान पर निर्भर हैं, जो इसे केरल की सबसे पुरानी और दिल को छू लेने वाली परंपराओं में से एक बनाता है।

    जब नीली चादर ओढ़ लेती हैं पहाड़ियां

    कंथलूर में प्रकृति का एक दुर्लभ चमत्कार भी देखने को मिलता है। हर 12 साल में यहां की पहाड़ियां पूरी तरह से नीली हो जाती हैं, जब नीलकुरिंजी के फूल खिलते हैं। यह नजारा इतना अद्भुत होता है कि दुनिया भर से टूरिस्ट इसे देखने आते हैं।

    पिछली बार ये फूल 2018 में खिले थे, इसलिए अगर आप इसे चूक गए हैं, तो 2030 के लिए अपनी योजना बनाना शुरू कर दें। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां के स्थानीय आदिवासी समुदाय कभी अपनी उम्र का हिसाब इन्हीं फूलों के मौसम से लगाते थे, यानी एक फूल का मौसम 12 साल की उम्र के बराबर माना जाता था।

    Kashmir of Kerala

    (Image Source: AI-Generated)

    यहां प्राकृतिक रूप से उगता है चंदन

    कंथलूर और इसका पड़ोसी इलाका मरयूर, केरल की एकमात्र ऐसी जगहें हैं जहां चंदन के पेड़ प्राकृतिक रूप से उगते हैं। सरकार इन पवित्र जंगलों की सुरक्षा करती है, जहां हवा में एक भीनी-भीनी मिठास और मिट्टी की खुशबू घुली रहती है।

    स्थानीय लोग चंदन के तेल को 'लिक्विड गोल्ड' कहते हैं। जब आप वन विभाग की फैक्ट्री में इसकी चमकती हुई बोतलें देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि इसे यह नाम क्यों दिया गया है।

    कंथलूर में घूमने की खास जगहें

    कंथलूर में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है:

    • फलों के बाग और फार्म: अगर आपको हरियाली पसंद है, तो यह गांव आपके लिए है। यहां कई ऑर्गेनिक फार्म हैं जहां आप सेब या स्ट्रॉबेरी तोड़ने का मजा ले सकते हैं, संतरों के बगीचों में टहल सकते हैं या कोहरे को देखते हुए ताजे जूस का आनंद ले सकते हैं।
    • मुनियारा डोलमेन्स: मुन्नार से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित ये विशाल पत्थर के दफन कक्ष नवपाषाण युग के हैं, जो इन्हें 3000 ईसा पूर्व का बनाते हैं। इतिहास के शौकीनों के लिए यह एक बेहतरीन जगह है।
    • एडवेंचर और वाइल्डलाइफ: एचवेंचर लवर्स यहां के जंगलों में छिपे झरनों तक ट्रैकिंग कर सकते हैं। इसके अलावा, पास ही स्थित चिन्नार वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी या अनामुडी शोला नेशनल पार्क में जाकर जंगली जीवन का अनुभव लिया जा सकता है।
    • क्योर मोनेस्ट्री: अपनी यात्रा में इस मठ को जरूर शामिल करें, जो चंदन के पेड़ों और शांति से घिरा हुआ है।

    कब जाएं कंथलूर?

    कंथलूर जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मार्च के बीच है। इस दौरान हवा ठंडी होती है और यहां का मौसम आपको दक्षिण भारत की गर्मी से दूर एक सुखद अनुभव देता है।

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