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    Where did Money Come From: आखिर ये पैसा आया कहां से? इसके बगैर कैसा था जीवन, ये है कहानी पैसों की...

    Updated: Wed, 15 May 2024 03:00 PM (IST)

    Where did Money come from पिछले करीब 150 सालों से अर्थशास्‍त्री पैसों से जुड़ी एक कहानी पर यकीन करते आए हैं जो पीढ़ियों से बच्‍चों को पढ़ाई भी जाती रह ...और पढ़ें

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    टैक्‍स लगाने और कानूनी प्रणाली की वजह से सरकार के पैसे की मांग पैदा हुई।

    एजेंसी, सिडनी। Where did money come from? पैसा, जिसके बिना जीवन की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती। आपको चाहे जो भी करना है, बिना पैसों के संभव नहीं है। पैसों को लेकर कई कहावतें तो हैं ही, बॉलीवुड फिल्‍मों के डायलॉग और गाने भी आपको मिल जाएंगे। जैसे - 'पैसा, पैसे को खींचता है', मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता' वगैरह। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ये पैसा आया कहां से (Invention of Money)? कभी ना कभी आपने भी जरूर सोचा होगा कि पैसा आखिर आया कहां से? यह सवाल उतना ही पुराना है, जितना खुद व्यापार का इतिहास। आज के दौर में सिक्के और नोट हमारे लिए आम चीज़ें हैं, लेकिन पैसा हमेशा से इस रूप में नहीं था। हज़ारों साल पहले चीज़ें किस तरह से खरीदी और बेची जाती थीं, यह जानना वाकई दिलचस्प है।

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    पिछले करीब 150 सालों से अर्थशास्‍त्री पैसों से जुड़ी एक कहानी पर यकीन करते आए हैं, जो पीढ़ियों से बच्‍चों को पढ़ाई भी जाती रही है। यह कहानी पैसों से पहले की अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर बताती है कि कैसे पहले वस्‍तु विनिमय (Barter System) के जरिए सामान या सेवाओं का लेन-देन होता था। बाद में संभवत: सोना या चांदी (Gold and Silver) के रूप में एक उपयुक्त वस्तु सामने आई, जिसका उपयोग व्‍यापार संचालन में होने लगा, जिसे सभी के द्वारा स्‍वीकार किया गया। राजाओं के दौर में फिर सिक्के जारी किए जाने लगे, जिनपर अंततः सरकारों द्वारा एकाधिकार कर लिया गया और बाद में कागजी मुद्रा, क्रेडिट और बैंकिंग प्रणालियां अस्तित्व में आईं।

    इस कहानी के साथ समस्या यह है कि इसका समर्थन करने के लिए कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है। जैसा कि प्रमुख मानवविज्ञानी कैरोलिन हम्फ्रीज़ ने कहा था: शुद्ध और सरल, वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था का कोई भी उदाहरण कभी वर्णित नहीं किया गया है, इससे पैसे की उत्पत्त‍ि की तो बात ही छोड़िए… सभी उपलब्ध एथनोग्राफी यानी मानव जाति विज्ञान से पता चलता है कि ऐसी कोई चीज़ कभी रही ही नहीं।

    तो आख‍िर ये पैसा आया कहां से? पैसे के बारे में कुछ लिखने में एक कठिनाई यह है - इसका मूल्य क्या है और मौद्रिक प्रणालियां कैसे काम करती हैं – इन विषयों पर काम करने को लेकर युवा अर्थशास्त्रियों को आम तौर पर प्रोत्साहित नहीं किया जाता है।

    इसका दुष्‍परिणाम यह है कि पैसों के बारे में जो सर्वश्रेष्‍ठ आलेख लिखे गए हैं, वो हैं ब्रिटिश अर्थशास्‍त्री अल्फ्रेड मिशेल-इन्स द्वारा 100 साल से अधिक पुराने दो लेख, जिनका शीर्षक है ‘पैसा क्या है?’ और ‘पैसे का क्रेडिट सिद्धांत’।

    अब से पहले इन दस्‍तावेजों को पूरी तरह से नजरंदाज किया जाता रहा, एक अलग ही कहानी बयां करते हैं, इस सिद्धांत को खारिज करते हैं कि पैसा स्‍वाभाविक रूप से वस्‍तु विनियम से ही निकल कर आया था।

    ये कागजात, जिन्हें हाल तक अर्थशास्त्रियों द्वारा लगभग पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया था, एक अलग कहानी बताते हैं, इस विचार को खारिज करते हुए कि पैसा प्राकृतिक रूप से वस्तु विनिमय से विकसित हुआ है।

    अब यकीनन यह कहा जा सकता है कि यह वर्जन सच्चाई के करीब है और इसके बड़े निहितार्थ हैं कि हम मौद्रिक प्रणालियों के भीतर सरकारों की भूमिका के बारे में कैसे सोचते हैं और वह क्‍या है, जो धन को मूल्य देता है।

    वास्‍तव में शुरुआती सरकारों ने किया पैसों का आविष्‍कार

    सच तो यह है कि पैसा बाज़ार से भी पहले से है। सरकारों ने पैसे का आविष्कार किया - यह पहले से मौजूद वस्तु विनिमय प्रणाली से स्वतंत्र रूप से नहीं उभरा। जब तक पैसा अस्तित्व में नहीं था, तब तक बाजार अर्थव्यवस्था विकसित नहीं हो सकती थी। अधिकांश इतिहास में, जिन मुद्रा टोकन को लोग पैसा मानते थे, उनका कोई आंतरिक मूल्य नहीं था। इनमें मिट्टी की गोलियां, हेज़लवुड टैली स्टिक, बेस धातु, गोले या कागज के रूप में शामिल थे।

    मुद्रा के उसके शुरुआती रूप जिसे कीन्स ने ‘आधुनिक धन’ कहा था – इसे सांप्रदायिक समूहों में औपचारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले उपहार टोकन से अलग करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता था, वो हमें टैक्‍सेशन, अकाउंटिंग और यहां तक ​​कि साक्षरता और संख्यात्मकता की उत्पत्ति तक ले जाते हैं। ये प्रारंभिक मुद्राएं खाते की इकाइयां थीं, जिनका उपयोग मध्य पूर्व में प्रारंभिक सरकारी संस्थानों को सम्‍मान के रूप में दिए जाने वाले एक तरह के दान का आकलन करने के लिए किया जाता था। शेकेल शब्द का प्रयोग अभी भी मुद्रा इकाई के रूप में किया जाता है, लेकिन यह प्राचीन बेबीलोन और मुद्रा के उद्भव से भी 5000 साल पहले का है।

    औपनिवेशिक सरकारों का रहा अहम योगदान

    औपनिवेशिक सरकारें इस बात को अच्छी तरह समझ गई थीं कि करों का भुगतान करने की आवश्यकता ही मुद्रा की मांग पैदा करती है। वे जानते थे कि जिन देशों पर उन्होंने आक्रमण किया था, वहां अपनी मुद्राएं कैसे चलन में लाई जाएं। स्थानीय लोगों को सरकार को श्रम या सामान की आपूर्ति को मजबूर करने के लिए, उन्होंने एक कर लगाया। इस कर का भुगतान केवल कॉलोनी की मुद्रा का उपयोग करके ही किया जा सकता था। स्थानीय लोगों को या तो औपनिवेशिक सरकार के लिए काम करना पड़ता था या ऐसा करने वाले अन्य लोगों को सामान की आपूर्ति करनी पड़ती थी, अन्यथा उनके पास करों का भुगतान करने के लिए आवश्यक विशिष्ट मुद्रा नहीं होती थी। इससे औपनिवेशिक सत्ता की मुद्रा की मांग पैदा हुई, जिसे सरकार तब खर्च कर सकती थी।

    टैक्‍स लगाने और कानूनी प्रणाली की वजह से सरकार के पैसे की मांग पैदा हुई और मौद्रिक अर्थव्यवस्था के विकास को गति मिली। वर्तमान में भी, यह टैक्‍स सिस्‍टम ही है, जो मौद्रिक प्रणाली को संचालित करता है। सरकार के पैसे की मांग की गारंटी है, क्योंकि लोगों को संघीय करों का भुगतान करने के लिए इसकी आवश्यकता होती है।

    बैंक भी बनाते हैं पैसा

    वास्तविक नकदी चलन में मौजूद धन का एक छोटा-सा हिस्सा होता है। जिसे हम पैसा मानते हैं उसका अधिकांश हिस्सा हमारे बैंक जमा में रखा जाता है, जो प्रभावी रूप से बहीखाते में दर्ज होता है। इनमें से अधिकांश बैंक जमा बैंकों द्वारा तब बनाई जाती है, जब वे हमें लोन देते हैं और यह सरकारी धन बिल्कुल भी नहीं है - यह निजी धन है, जो खुद बैंकों द्वारा बनाया जाता है।

    जब कोई बैंक आपको लोन देता है, तो वह लोन उस बैंक के लिए एसेट बन जाता है, क्‍योंकि आपको ब्‍याज सहित उसे चुकाना होता है। लेकिन साथ ही वह लोन आपके खाते में डिपोजिट ऑफ फंड के रूप में दिखता है, जो कि बैंक के लिए भी लायबिलिटी है। तकनीकी रूप से, आप दोनों एक-दूसरे के कर्जदार होते हैं। कागज पर, इसका मतलब है कि अब सिस्टम में वो पैसा है, जो पहले नहीं था। बैंक ने हकीकत में आपको किसी और का पैसा उधार नहीं दिया है, बल्‍कि आपके खाते में जमा किया गया लोन का पैसा आपके लिए बैंक के I Owe You का प्रतिनिधित्व करता है, मतलब आप बैंक के कर्जदार हैं।

    ऋण और जमा दोनों ही बैंक द्वारा कंप्यूटर कीबोर्ड से अधिक किसी चीज़ का उपयोग करके बनाए जाते हैं। बैंक ने आपकी ओर से भुगतान करने के लिए, सरकार को कर भुगतान सहित, या आपको भौतिक नकदी के रूप में सरकारी धन प्रदान करने के लिए अपने सरकारी धन का उपयोग करने का वादा किया है।

    सरकारों द्वारा जारी मुद्रा का महत्‍व हमेशा बना रहेगा, क्‍योंकि उसकी जरूरत हमें टैक्‍स के भुगतान के लिए होती ही है। मुद्रा का मूल्य कितना है यह इस बात पर निर्भर करता है कि अर्थव्यवस्था कितना उत्पादन करती है, इसे हासिल करना कितना मुश्किल है और हमें कितना टैक्‍स देना पड़ता है।

     

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