Chhath Puja के लिए बेहद खास हैं भारत के ये 7 घाट, देखने को मिलता है आस्था का सैलाब
छठ पूजा (Chhath Puja 2025) पारंपरिक रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का पर्व है। इस साल 25-28 अक्टूबर तक चलने वाले इस चार दिवसीय पर्व में अगर आप भी भक्ति और संस्कृति के अद्भुत नजारे को देखना चाहते हैं, तो भारत के इन 7 प्रसिद्ध घाटों पर जाने का प्लान बना सकते हैं।

Chhath Puja 2025: छठ पूजा पर जरूर देख आएं भारत के ये 7 घाट (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली की रौनक के बाद एक और पावन त्योहार की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जी हां, हम छठ पूजा की बात रहे हैं, जो न सिर्फ सूर्य देव की उपासना का प्रतीक है, बल्कि इसमें प्रकृति, परिवार और परंपरा का सुंदर संगम भी झलकता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत, गीत, स्नान, और सूर्योदय-सूर्यास्त के समय दिए जाने वाले अर्घ्य की परंपरा निभाई जाती है।
बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुख्य रूप से मनाया जाने वाला यह पर्व आज कई राज्यों में अपनी पहचान बना चुका है। देश के कई घाट इन दिनों श्रद्धा, संगीत और दीपों की चमक से जीवंत हो उठते हैं। अगर आप इस साल छठ पूजा का अनुभव किसी प्रसिद्ध घाट पर करना चाहते हैं, तो ये 7 जगहें आपके लिए बेस्ट हो सकती हैं।

कंगन घाट, पटना (बिहार)
बिहार की राजधानी पटना में छठ पूजा का सबसे बड़ा आयोजन कंगन घाट पर होता है। गंगा के तट पर बना यह घाट अपनी स्वच्छता, व्यवस्था और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहां भक्तों की भीड़, लोकगीत और पूजा की विधियां इसे एक दिव्य अनुभव बना देती हैं। खास बात है कि यहां का उत्साह, संगीत और लोगों की श्रद्धा इस पर्व को देखने लायक बनाते हैं।
सूर्य घाट, गया (बिहार)
गया हमेशा से धार्मिक महत्व का केंद्र रहा है और छठ पूजा के समय इसका सूर्य घाट श्रद्धा का महासागर बन जाता है। फल्गु नदी के किनारे हजारों भक्त डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। भजन, शंखनाद और जलते दीयों की झिलमिलाहट एक अविस्मरणीय दृश्य रचती है। यकीन मानिए यहां का शांत वातावरण, नदी पर तैरते दीपक और भक्तों की सामूहिक आस्था का दृश्य आपको लंबे समय तक याद रहेगा।
दीघा घाट, पटना (बिहार)
पटना का दीघा घाट भी अपनी सुंदरता और विशाल पूजा आयोजन के लिए जाना जाता है। जब उगते सूर्य की पहली किरण गंगा की लहरों पर पड़ती है और हजारों भक्त एक साथ अर्घ्य देते हैं, तो दृश्य बेहद मनमोहक हो उठता है। यहां आप एक साथ भक्ति, एकता और प्रकृति की सुंदरता को महसूस कर सकते हैं।
अदालत घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
आस्था की नगरी काशी में छठ पूजा का रंग ही अलग होता है। अदालत घाट पर गंगा आरती और सूर्य उपासना का संगम देखने लायक होता है। भक्त जब अर्घ्य देते हैं तो पूरा घाट ‘छठी मइया’ के गीतों से गूंज उठता है। जी हां, वाराणसी की प्राचीनता और छठ पूजा की पवित्रता का संगम यहां अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव देता है।
रवीन्द्र सरोवर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
कोलकाता का रवीन्द्र सरोवर छठ पूजा के समय भक्तिभाव से जगमगा उठता है। यहां बिहार और झारखंड के प्रवासी समुदाय एक साथ एकत्र होकर पूजा करते हैं। सैकड़ों दीयों से सजा सरोवर शहर की भीड़भाड़ में भी शांति का एहसास कराता है। शहर के बीचोंबीच यह सरोवर एक शांत, प्रकाशमय और सौहार्दपूर्ण दृश्य पेश करता है।
सुवर्णरेखा घाट, जमशेदपुर (झारखंड)
प्रकृति के सान्निध्य में बसा यह घाट अपेक्षाकृत शांत और आध्यात्मिक माहौल का एहसास कराता है। सुवर्णरेखा नदी के किनारे परिवार एक साथ पूजा करते हैं, दीप जलाते हैं और लोकगीत गाते हैं। इसके अलावा शांत नदी, दीपों की सुनहरी झिलमिल और भक्तिमय माहौल इसे आत्मिक शांति पाने का स्थान बनाते हैं।
यमुना घाट, दिल्ली
राजधानी दिल्ली में रहने वालों के लिए यमुना घाट छठ पूजा का मुख्य केंद्र है। यहां हजारों श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में यमुना किनारे पूजा करते नजर आते हैं। दिल्ली सरकार की ओर से विशेष इंतजाम और स्वच्छ माहौल इस उत्सव को और खास बना देते हैं। बता दें, यह वो जगह है जहां आधुनिक महानगर में भी परंपरा और आस्था का सुन्दर संतुलन देखने को मिलता है।
छठ पूजा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था की गहराई और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। चाहे आप बिहार के घाटों पर हों या दिल्ली के यमुना किनारे, जहां भी लोग डूबते और उगते सूर्य को नमन करते हैं, वहां भक्ति की वही ऊर्जा, वही उजास महसूस होती है।

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