Nagaur Tourist Places: इतिहास और प्रकृति की नजदीकी है पसंद, तो घूम आएं खारे पानी की झील वाले शहर ‘जांगलदेश’
Nagaur Tourist Places राजस्थान के बीच में स्थित नागौर को महाभारत काल में जांगलदेश के नाम से पुकारा जाता था। मुगल बादशाह शाहजहां ने राजा अमर सिंह राठौर को यह भेंट के रूप में दिया था। जानेंगे यहां की घूमने वाली जगहों के बारे में।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Nagaur Tourist Places: इन गर्मियों की छुट्टियों में अगर आप कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको अपनी मंजिल चुनने से पहले कुछ बातों पर गौर जरूर करना चाहिए। दरअसल, हर व्यक्ति को घूमने के लिए अलग-अलग तरह की जगहें पसंद होती हैं। ऐसे में अगर आपको इतिहास, प्राकृतिक विविधता और खूबसूरती भरे नजारे देखने हैं, तो ऐसी एक बहुत ही शानदार जगह है। जिसका नाम है, नागौर, जो देश के सबसे बड़े खारे पानी वाली झील का शहर है।
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू ऐप पर राजस्थान पर्यटन (@my_rajasthan) विभाग द्वारा नियमित रूप से प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी दी जाती है। कुछ वक्त पहले राजस्थान टूरिज्म ने उत्तर-पश्चिम मेवाड़ इलाके में स्थित नागौर के बारे में पोस्ट शेयर की थी। उत्तर में चूरू, उत्तर पश्चिम में बीकानेर और पूर्वोत्तर में सीकर जिले से घिरे नागौर के दक्षिण में पाली और पश्चिम व दक्षिण पश्चिम में जोधपुर हैं। इसके अलावा पूर्व में जयपुर व दक्षिण पूर्व में अजमेर है। नागौर जिले के दक्षिण पूर्व में खूबसूरत अरावली श्रृंखला है, जबकि दक्षिण पश्चिम में भारत की सबसे बड़ी खारे पानी वाली सांभर झील है।
View attached media content - Rajasthan Tourism (@my_rajasthan) 17 Feb 2023
राजस्थान के बीच में स्थित नागौर को महाभारत काल में "जांगलदेश" के नाम से पुकारा जाता था। मुगल बादशाह शाहजहां ने राजा अमर सिंह राठौर को यह भेंट के रूप में दिया था और यह थार रेगिस्तान में यह फैला हुआ है। इस शहर पर कई बार आक्रमण हुआ और नागवंश, चौहान, राठौड़, मुगल और अंग्रेजों ने सालों तक राज किया।
नागौर के प्रमुख पर्यटन स्थल
मीरा बाई स्मारक
यहां पर लाइट-साउंड शो के जरिए मीरा बाई का पूरा जीवन दिखाया जाता है। इसमें बचपन, भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम, उनको पति और आराध्य मानने का किस्सा, मेवाड़ के राजकुमार के साथ मीरा बाई के विवाह, पति की मृत्यु, राजसी वैभव त्यागकर वैराग्य के मार्ग पर जाने, वृंदावन-द्वारका में प्रवास को बेहतरीन रंग-बिरंगी रोशनी, ऑडियो के जरिए लुभावने ढंग से प्रदर्शित किया जाता है। इस दौरान मीरा बाई से जुड़े संगीतमय भजनों से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
नागौर किला
राजपूत और मुग़ल स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूने के रूप में मौजूद नागौर के किले के बारे माना जाता है इसे द्वितीय शताब्दी में नाग राजवंश शासक द्वारा निर्मित करवाया गया था। इसके बाद 12वीं शताब्दी में पुनर्निर्माण हुआ। तमाम लड़ाइयों का साक्षी यह किला उत्तर भारत के पहले मुग़ल गढ़ों में से एक होने के नाते राजपूत-मुग़ल स्थापत्य शैली का शानदार उदाहरण है। वर्ष 2007 में यहां फव्वारे और खूबसूरत उद्यान के साथ पुनर्निर्माण हुआ और इसकी चमक में चार चांद लग गए। यह सूफी संगीत उत्सव के आयोजन के लिए मशहूर है।
लाडनूं
समूचे भारत में सूती साड़ियों में यहां की साड़ियों को काफी बेहतरीन माना जाता है और इन साड़ियों को चटक रंग के साथ मुलायम कपड़े के लिए पसंद किया जाता है। 10वीं सदी में बसा यह स्थान जैन धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र होने के साथ अहिंसा-करुणा का भी आध्यात्मिक केंद्र है।
खींवसर किला
एक हैरिटेज होटल के रूप में विकसित किए जा चुके इस किले के बारे में माना जाता है कि इसे भी द्वितीय शताब्दी में नागवंश शासक द्वारा निर्मित करवाया गया था। थार रेगिस्तान के पूर्वी किनारे पर स्थित इस किले के आसपास काले हिरण घूमते नजर आ जाते हैं।
कुचामन शहर
यहां बनी हवेलियां अपने शानदार वास्तुशिल्प के चलते शेखावाटी की हवेलियों से मिलती-जुलती दिखती हैं। यहां का सबसे महत्वपूर्ण कुचामन किला बहुत मशहूर है और दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। एक खड़ी पहाड़ी की चोटी पर बना यह राजस्थान का सबसे प्राचीन और दुर्गम किला है। इसके भीतर अपने आप में शानदार जल संचयन तकनीक, ख़ूबसूरत महल के साथ अद्भुत भित्ति चित्र सैलानियों को काफी आकर्षित करते हैं। यहां पर जोधपुर के शासक की सोने-चांदी के सिक्कों की टकसालें भी मौजूद थीं। इस किले से ना केवल शहर बल्कि झील का मनोरम दृश्य और शहर के पुराने मंदिर, जाव की बावड़ी और ख़ूबसूरत हवेली भी आसानी देखी जा सकती है।
खाटू
पृथ्वीराज रासो के मुताबिक खाटू का नाम ’खटवन’ था और अब प्राचीन खाटू तकरीबन समाप्त हो चुका है। अब ’बड़ी खाटू’ और छोटी खाटू’ नामक दो गांव हैं। छोटी खाटू में पृथ्वीराज चौहान द्वारा पहाड़ी पर बनवाए गए एक छोटे किले के अवशेष बचे हुए हैं। यहां ’फूल बावड़ी’ है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे गुर्जर-प्रतिहार काल के दौरान निर्मित किया गया था और यह वास्तुकला का अद्भुत कलात्मक नमूना है।
अहिछत्रगढ़ किला और संग्रहालय
नागौर में बने अहिछत्रगढ़ को ’फोर्ट ऑफ हुडेड कोबरा’ यानी ‘नागराज का फन’ का नाम दिया गया है। करीब 36 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस किले को 1985 में मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट के संरक्षण में सौंप दिया गया था। यहां के महलों में ऐतिहासिक राजसी कुर्सी, मेज, सोफा, पलंग आदि लगे हुए हैं और दीवारों पर शाही चित्रकारी के अलावा बेहतरीन सजावटी सामान मौजूद है। 2002 में नागौर किले को संस्कृति विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया के पैसिफिक हैरिटेज अवार्ड से सम्मानित किया गया। हर साल नागौर किले में वर्ल्ड सेक्रेड स्पिरिट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।
झोरड़ा
नागौर का झोरड़ा एक छोटा गांव है और कवि ’कानदानकल्पित’ तथा प्रसिद्ध सूफी संत ’बाबा हरिराम’ की जन्मस्थली है और इसके मशहूर होने की भी वजह है। हर साल भाद्रपद की चतुर्थी-पंचमी को सालाना मेला लगता है, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत अन्य स्थानों के लोग आते हैं।
बड़े पीर साहब दरगाह
मशहूर पवित्र स्थान होने के चलते बड़े पीर साहब की दरगाह को 17 अप्रैल 2008 को बतौर संग्रहालय के रूप में भी खोल दिया गया। यहां मशहूर क़ुरान शरीफ है, जिसे हजरत सैयद सैफुद्दीन अब्दुल जीलानी ने सुनहरी स्याही में लिखा था। इसके साथ उनकी छड़ी, पगड़ी/टोपी के साथ ऐतिहासिक महत्व की तमाम चीजें भी मौजूद हैं। यहां 1805 तक के प्राचीन भारतीय सिक्के, अब्राहम लिंकन की छवि वाले अमेरिकी सिक्के भी मौजूद हैं।
कैसे पहुंचे नागौर?
- यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जोधपुर में है और यह 137 किलोमीटर दूर है। जबकि जोधपुर, जयपुर और बीकानेर जैसे शहरों से नागौर तक सड़क मार्ग से बस सेवा उपलब्ध हैं। इंदौर, मुंबई, कोयम्बटूर, सूरत, बीकानेर, जोधपुर, जयपुर आदि शहरों से नागौर रेल के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है।
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