Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    करियर, आजादी या कुछ और... आखिर क्यों महिलाएं कर रही हैं शादी के फैसले में देरी?

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 06:10 PM (IST)

    पहले जहां शादी को लड़कियों की जिंदगी का सबसे अहम पड़ाव माना जाता था वहीं आज वक्त बदल रहा है। अब महिलाएं लाइफ को अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं। वे सिर्फ घर-परिवार तक ही सीमित नहीं रहना चाहतीं बल्कि आसमान छूने के सपने देखती हैं। ऐसे में आइए जानें वे कारण जिनकी वजह से महिलाएं शादी में देरी कर रही हैं या सिंगल रहने को बेहतर मान रही हैं?

    Hero Image
    शादी करने से क्यों कतराने लगी हैं महिलाएं? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अब महिलाएं शादी को लेकर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेतीं, जैसा कि पहले होता था। वे अब अपने भविष्य के बारे में सोच-समझकर और प्लानिंग के साथ निर्णय लेती हैं। इसी बदली हुई सोच के कारण वे या तो देर से शादी कर रही हैं, या फिर कुछ महिलाएं शादी न करने का ऑप्शन भी चुन रही हैं (Why Women Are Delaying Marriage)। आइए, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली के मनोरोग विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर आरती आनंद से इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शिक्षा और करियर है पहली प्राथमिकता

    आज की महिलाएं पढ़ाई-लिखाई में पुरुषों से कहीं पीछे नहीं हैं। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, विदेशों में पढ़ाई कर रही हैं और बड़ी कंपनियों में शानदार करियर बना रही हैं। उनके लिए सबसे पहले जरूरी है स्वयं का विकास और आत्मनिर्भरता। शादी को वे एक जरूरी पड़ाव मानती हैं, लेकिन यह उनकी जर्नी की शुरुआत नहीं, बल्कि एक हिस्सा भर है।

    आत्मनिर्भरता पर देती हैं जोर

    कई महिलाएं मानती हैं कि जब तक वे आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होंगी, तब तक कोई भी बड़ा फैसला, चाहे वह शादी हो या मदरहुड उनके लिए सुरक्षित नहीं होगा। बता दें, आर्थिक आत्मनिर्भरता उन्हें यह ताकत देती है कि अगर रिश्ते में कुछ गलत हो, तो वे बिना झुके, बिना डर के उससे बाहर निकल सकें। यह केवल 'इच्छा' भर नहीं है, बल्कि यह अपने लिए फैसले लेने की आजादी भी है।

    यह भी पढ़ें- फि‍ल्‍मों से नहीं, Anant Ambani और राधि‍का मर्चेंट से सीखें क्‍या होता है प्‍यार का असली मतलब?

    सोच में हो रहा बदलाव

    पहले के समय में जहां शादी को जीवन का मुख्य उद्देश्य माना जाता था, वहीं आज की महिलाएं मानती हैं कि व्यक्तिगत विकास पहले है, फिर परिवार। वे चाहती हैं कि पहले वे खुद को समझें, अपने सपनों को पूरा करें और फिर जब मन हो, तब ही किसी के साथ लाइफ शेयर करें। यही कारण है कि अब बहुत-सी महिलाएं देर से शादी कर रही हैं या सिंगल रहने का ऑप्शन चुन रही हैं।

    जिम्मेदारियों से डर या आजादी की चाह?

    कुछ महिलाएं यह भी मानती हैं कि शादी के साथ जो जिम्मेदारियां आती हैं- जैसे घर संभालना, रिश्तों को निभाना, बच्चों की परवरिश! ऐसा इसलिए क्योंकि ये पहलू उनकी आजादी को सीमित कर सकते हैं। ऐसे में, वे या तो लिव-इन रिलेशनशिप का रास्ता अपना रही हैं या फिर सिंगल मदरहुड को एक स्वतंत्र विकल्प के तौर पर देख रही हैं।

    इस बदलाव के लिए कितना तैयार है समाज?

    हालांकि महिलाओं की सोच में यह बदलाव तेजी से आ रहा है, लेकिन समाज अभी भी पूरी तरह इसके लिए तैयार नहीं दिखता। कई बार ऐसे फैसलों को 'बगावती' या 'खराब सोच' के तौर पर देखा जाता है, लेकिन यह बदलाव सिर्फ निजी नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है, जहां महिला अपने लिए फैसले ले रही है, न कि किसी सामाजिक दबाव में।

    आज की महिला जानती है कि वह क्या चाहती है। वह जानती है कि शादी उसकी जरूरत नहीं, बल्कि उसकी पसंद होनी चाहिए और जब तक वह खुद को तैयार न समझे, तब तक किसी भी सामाजिक रिवाज या दबाव के आगे झुकना जरूरी नहीं।

    यह भी पढ़ें- ये मेरे टाइप का है! क्या रिलेशनशिप में काम करता है यह फॉर्मूला! आइए जानें कैसे चुनें सही पार्टनर