Relationship में अक्सर पुरुष ही क्यों हिंसक होते हैं?
रिलेशनशिप की गाड़ी दोनों पार्टनर के प्यार और विश्वास से चलती है लेकिन जब इसमें शक और ईगो जगह बना लेता है तब शुरू होती है घरेलू हिंसा। जिसे रोका न जाए तो बढ़ते वक्त के साथ ये और भयंकर हो सकता है और रिश्ता टूटने की भी वजह बन सकता है। हिंसा की वजहों को जानकर इस पर काम करना जरूरी है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कोई भी रिश्ता हमेशा से हिंसक नहीं होता और न ही सभी रिश्ते हिंसक होते हैं। ऐसे कई कारण हैं, जो पार्टनर को हिंसक बना सकते हैं। इसमें ज्यादातर पुरुष शामिल होते हैं। रिश्तों में पुरुषों का हिंसक हो जाना किसी एक देश तक सीमित नहीं है। हर देश और परिवेश में ऐेसे मामले देखने को मिल जाते हैं। ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि रिश्तों में अक्सर पुरुष ही हिंसक क्यों होते हैं? इसे लेकर हमने आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंस के हेड कंसल्टेंट डॉ. राहुल चंडोक से बातचीत की। जिन्होंने कई जरूरी बातें बताई। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
परवरिश में छिपा है राज
पुरुषों के हिंसक होने की कड़ी उनकी परवरिश से जुड़ी होती है। दरअसल बहुत से माता-पिता बचपन से ही बेटों को बेटियों से अलग तरह की परवरिश देते हैं। बेटों को अक्सर भावुक होने की मनाही होती है। अगर वो रोते हैं, तो उन्हें कहा जाता है कि यह तो लड़कियों का काम है, तुम लड़के होकर क्यों रो रहे हो। इस तरह की बातें उसके दिमाग पर बहुत गहरा प्रभाव डालती हैं। यहीं से वह खुद को खास भी मानने लगते हैं और उनके अंदर सख्त होने की फीलिंग आने लगती है। यही व्यवहार भविष्य में उनके हिंसक होने की वजह बनता है।
फिल्मों और सोशल मीडिया का है बहुत बड़ा हाथ
सोशल मीडिया, फिल्मों और वेब सीरीज ने भी इस तरह की हिंसा को बढ़ावा दिया है। एनिमल या कबीर सिंह जैसी फिल्में देखकर बड़ा हो रहा किशोर अपने मन में यह धारणा बना लेता है कि शारीरिक रूप से बलवान होकर और हिंसक रहकर ही वह अपने साथी के दिल में जगह बना सकता है। सोशल मीडिया पर भी कई तरह की पोस्ट किशोरों को हिंसा के लिए प्रेरित करती हैं। किशोरमन में हिंसा के पक्ष में बनी ये सारी चीजें ही आगे चलकर उन्हें अपने रिश्ते में हिंसक बना सकती हैं।
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शक भी देता है इस चीज को बढ़ावा
किसी भी रिश्ते को तबाह करने में शक की बहुत बड़ी भूमिका होती है। जिसमें स्त्रियां ही अकसर पीसती हैं। मनोरंजन के साधनों और सोशल मीडिया पर भी भद्दे चुटकुलों के नाम पर इस तरह शक के बीज मन में बोए जाते हैं। समय के साथ-साथ संदेह का यही बीज बढ़कर हिंसक पेड़ का रूप ले लेता है।
सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत
रिश्तों में कोई हिंसक न हो, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। माता-पिता को बचपन से बेटों के मन में संवेदनशीलता लाने का प्रयास करना चाहिए, साथ ही उसे रिश्तों का सम्मान करना सिखाना चाहिए। एक समाज के रूप में ऐसे कंटेंट के खिलाफ एकजुटता दिखानी चाहिए, जो परिवार और रिश्तों को तोड़ने का माध्यम बन रहे हैं।
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