माता-पिता के लिए सबसे कठिन होते हैं बच्चे के जन्म के बाद के ये 3 पड़ाव
माता-पिता बनने का सबसे कठिन साल आमतौर पर पहला साल होता है, क्योंकि इसमें शारीरिक थकावट, भावनात्मक तनाव और रात-रात जागने की स्थिति होती है। इसके बाद किशोरावस्था के साल भी चुनौतीपूर्ण होते हैं, जब बच्चे स्वतंत्रता की ओर बढ़ते हैं और उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता है। साथ ही, स्वतंत्रता के शुरुआती साल भी कठिन होते हैं, जब बच्चे अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय खुद लेने लगते हैं।

बच्चों की परवरिश में कब आती है सबसे बड़ी 'परीक्षा'? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। माता-पिता बनने का एहसास जीवन का एक सबसे अच्छा अनुभव होता है, जिसमें कुछ ऐसे साल होते हैं जो खासतौर पर माता-पिता के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं। बच्चों के साथ साथ इन सालों में माता-पिता को भी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से कई बदलावों का सामना करना पड़ता है, जो उनके लिए काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में, आइए जानते हैं बच्चों के वे कौन-कौन से वर्ष हैं जिनमें उनके पेरेंट्स को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
1) पहला साल (जब बच्चे का जन्म होता है)
पहला साल माता-पिता के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण साबित होता है, क्योंकि यह एक नया अनुभव होता है। जिसमें:
- फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस– रात में बार-बार जागना, बच्चे की देखभाल और अनियमित दिनचर्या से थकान होती है।
- भावनात्मक बदलाव- पोस्टपार्टम डिप्रेशन या जिम्मेदारियों को निभाने का स्ट्रेस हो सकता है।
- आर्थिक दबाव- बच्चे की जरूरतों जैसे डायपर, दूध, दवाइयों और अन्य खर्चों का प्रबंधन करना जरूरी होता है जो कि आर्थिक दबाव का कारण बनती है।
इस तरह से देखा जाए तो पहला साल माता-पिता के धैर्य और आपसी तालमेल की परीक्षा लेता है।
2) किशोरावस्था (13-19 साल)
किशोरावस्था माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए एक संवेदनशील और कठिन समय होता है। जिसमें:
- बच्चों का आत्मनिर्भर होना- इस उम्र में बच्चे स्वतंत्रता की तलाश में रहते हैं और माता-पिता के मार्गदर्शन को चुनौती देते हैं।
- भावनात्मक संघर्ष- बच्चे भावनात्मक और शारीरिक बदलावों से गुजरते हैं, जिससे व्यवहार में चिड़चिड़ापन, गुस्सा या उदासीनता आ सकती है।
- सुरक्षा की चिंता- सोशल मीडिया, दोस्ती और नई आदतों पर माता-पिता का चिंता करना स्वाभाविक है।
3) स्वतंत्रता के शुरुआती साल (20-25 साल)
जब बच्चे शिक्षा पूरी कर अपने जीवन के निर्णय खुद लेना शुरू करते हैं, तब माता-पिता के लिए यह समय कठिन हो सकता है। जिसमें:
- भावनात्मक दूरी- बच्चों के घर से बाहर जाने और अपने निर्णय लेने की प्रक्रिया में माता-पिता को अकेलेपन का अनुभव हो सकता है।
- निर्णय में मतभेद- बच्चे के करियर, शादी या अन्य निर्णयों से जुड़े मतभेद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
- आर्थिक सहयोग- बच्चों की शिक्षा और उनके शुरुआती करियर में मदद के लिए आर्थिक दबाव भी बढ़ सकता है।
- देखा जाए तो माता- पिता बनने के ये साल कठिन जरूर होते हैं, लेकिन इनका सही तरीके से सामना करने के लिए संवाद, समझदारी और धैर्य जरूरी है।
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