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    स्क्रीन टाइम से लेकर ईमानदारी तक, पेरेंटिंग के 10 नियम जो बच्चों को देते हैं जीवन भर की समझ

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 06:07 PM (IST)

    बच्चों को बेहतर और जिम्मेदार इंसान बनाना आसान नहीं, लेकिन कुछ सख्त और सोच-समझकर बनाए गए नियम इसमें मददगार साबित हो सकते हैं,जैसे कि समय की पाबंदी, सीमाएं तय करना, झूठ या अनुशासनहीनता पर सख्ती दिखाना, मेहनत और ईमानदारी का महत्व सिखाना, बड़ों का सम्मान करना और स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना।

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    बच्चों को एक बेहतर और जिम्मेदार इंसान बनाएंगे पेरेंटिंग के ये रूल्स (Image Source: Freepik) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज की बदलती दुनिया में बच्चों को अच्छा इंसान बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी बन गई है। जहां एक ओर प्यार और दुलार जरूरी है, वहीं दूसरी ओर कुछ सख्त लेकिन सोच-समझकर बनाए गए नियमों की भी आवश्यकता होती है। ऐसे नियम बच्चों को डिसिप्लीन, सेल्फ कॉन्फिडेंस आत्मनिर्भरता, नैतिक मूल्यों और जिम्मेदारी की समझ देते हैं। यह पेरेंटिंग का वह पहलू है, जो उन्हें केवल अच्छे बच्चे नहीं बल्कि अच्छे नागरिक और इमोशनल इंसान बनाता है।

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    हर चीज के लिए एक लिमिट सेट करें

    बच्चों को शुरुआत से ही यह बताना कि क्या सही है और क्या नहीं, उनके कैरेक्टर को बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इससे वे आत्मनियंत्रण सीखते हैं।

    डिसिप्लीन सिखाना

    समय पर सोना, पढ़ना, खेलना और खाना यह नियमितता बच्चों में जिम्मेदारी की भावना पैदा करती है।

    स्क्रीन टाइम पर सख्ती

    मोबाइल और टीवी पर अनियंत्रित समय बिताने से बच्चों की एकाग्रता और सामाजिक विकास पर असर पड़ता है। इसलिए सीमित स्क्रीन टाइम जरूरी है।

    घर के कामों में भागीदारी

    बच्चों को छोटे-छोटे कामों में शामिल करने से उनमें सहयोग और जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।

    हर बात नहीं मानना

    हर मांग पूरी करना उन्हें जिद्दी बना सकता है। ‘ना’ कहना सिखाकर आप उन्हें धैर्य और संतुलन का महत्व समझा सकते हैं।

    गलत बात पर सख्ती दिखाना

    बच्चों के झूठ बोलना, चोरी करना या गलत व्यवहार पर नरमी नहीं बरतनी चाहिए। बच्चे को यह समझना जरूरी है कि हर काम का परिणाम होता है।

    परिणामों का सामना करना सिखाएं

    यदि बच्चा कोई गलती करता है, तो उसे उसके परिणाम भुगतने देना चाहिए जिससे वह सीख सके।

    सम्मान और संस्कार

    बड़ों का आदर, दूसरों से नम्रता से बात करना- ये संस्कार उन्हें विनम्र बनाते हैं।

    माफी मांगने की आदत

    अपनी गलती स्वीकार करना और माफी मांगना उन्हें विनम्र बनाता है।

    मेहनत की आदत डालना

    आसान रास्ते दिखाना नहीं, बल्कि प्रयास और मेहनत की अहमियत समझाना जरूरी है।

    ईमानदारी को प्रिफरेंस देना

    हर परिस्थिति में सच बोलना और ईमानदारी से पेश आना बच्चे को सच्चा और भरोसेमंद इंसान बनाता है।

    प्यार के साथ अपनाए गए ये सख्त नियम बच्चों को एक बेहतर, डिसिप्लिंड और जिम्मेदार इंसान बनने की नींव देते हैं। यह पालन-पोषण का वह तरीका है जो उन्हें जीवन भर के लिए आत्मनिर्भर, समझदार और संवेदनशील बनाता है।

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