Pride Month 2023: कहां से आया LGBTQ और कैसे हुई इसकी शुरुआत? जानें इसके एक-एक अक्षर का मतलब
Pride Month 2023 दुनियाभर में हर साल जून के महीने को प्राइड मंथ के रूप में मनाया जाता है। यह मंथ LGBTQ समुदाय के लोग मनाते हैं। LGBTQ कोई शब्द नहीं बल्कि कई शब्दों को मिलाकर बनाया एक शॉर्ट फॉर्म है जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति के यौन रूझान या लिंग का वर्णन करने के लिए किया जाता है। तो चलिए जानते हैं क्या यह टर्म और इसका इतिहास-

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pride Month 2023: हर साल जून के महीने में प्राइड मंथ मनाया जाता है। इस महीने को खासतौर से LGBTQ+ समुदाय के लोग मनाते हैं। लेकिन बीते कुछ समय से अब इसमें आम लोग भी शामिल होकर उन्हें अपना समर्थन देने लगे हैं।
प्राइड मंथ के इस मौके पर इस समुदाय के लोग अपने अस्तित्व को समाज में बराबरी का हिस्सा दिलाने के मकसद से अलग-अलग जगहों पर रेंबो फ्लैग के साथ परेड निकालते हैं, ताकि उनके साथ होने वाले भेदभाव को कम किया जा सके। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर LGBTQ होता क्या है और इसके शब्द की शुरुआत कैसे हुई। अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं, इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें-
क्या है LGBTQ
LGBTQ कोई शब्द नहीं, बल्कि कई शब्दों को मिलाकर बनाया एक शॉर्ट फॉर्म है, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति के यौन रूझान या लिंग का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यौन रूझान एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के लिए शारीरिक, भावनात्मक और रोमांटिक आकर्षण को परिभाषित करता है, जैसे कि स्ट्रेट, गे, लेस्बियन, Bis*xual आदि। वहीं, जेंडर आइडेंटिडी किसी व्यक्ति के महिला, पुरुष होने की उनकी आंतरिक भावना को वर्णन करती है। यह ध्यान देने वाली बात है कि जेंडर आइडेंटिडी जन्म से मिले लिंग से निर्धारित नहीं होती है। साथ ही यह भी ध्यान देने वाली बात है कि लिंग और जेंडर समान नहीं हैं।
कैसे हुई LGBT की शुरुआत
1950 और 1960 के दशक के दौरान LGBT की उत्पत्ति से पहले इस समुदाय के लोगों को अक्सर "समलैंगिक समुदाय" कहा जाता था। हालांकि, वर्ष 1969 को अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है। यह समय "समलैंगिक अधिकारों के आंदोलन" के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। जैसे-जैसे यह आंदोलन आगे बढ़ता गया, लोगों को यह समझ आने लगा कि गे शब्द सभी यौन रूझानों और जेंडर आइडेंटिडी को परिभाषित नहीं करता है। ऐसे में 1980 के दशक में, LGBT ने लोकप्रियता हासिल की और 1990 के दशक तक कई कार्यकर्ता संगठनों द्वारा इसे अपनाया गया। तो चलिए विस्तार में जानते हैं LGBT के बारे में-
"L" का मतलब लेस्बियन है
"लेस्बियन" शब्द एक ऐसी महिला का वर्णन करता है जो शारीरिक, भावनात्मक या रोमांटिक रूप से अन्य महिलाओं के प्रति आकर्षित होती है।
"G" का मतलब गे है
शब्द "गे" एक ऐसे पुरुष के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो शारीरिक, भावनात्मक या रोमांटिक रूप से लड़कों या पुरुषों के प्रति आकर्षित होता है।
"B" का मतलब Bis*xual
शब्द "Bis*xual " एक ऐसे व्यक्ति (स्त्री या पुरुष ) का वर्णन करता है जो शारीरिक, भावनात्मक या रोमांटिक रूप से पुरुष या महिला दोनों की तरफ ही आकर्षित होता है।
"T" का मतलब ट्रांसजेंडर
शब्द "ट्रांसजेंडर" एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करता है, जिनका व्यवहार उनके जन्म के समय के लिंग के विपरित होता है। उदाहरण के लिए कोई पुरुष, जो महिला की तरह बर्ताव करता है या कोई महिला, जो पुरुष की तरह व्यवहार करती है।
क्यों अधूरा था 'अलजीबीटी'?
LGBT समलैंगिक समुदाय को वर्णन करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पुराने शब्दों से काफी सटीक था, लेकिन इसके बावजूद यह उन लोगों को परिभाषित नहीं करता, जो गे, लेस्बियन, Bis*xual , ट्रांसजेंडर में नहीं आते। ऐसे में LGBT में “Q” को जोड़ा गया। जिसका अर्थ क्वीयर है।
"Q" का मतलब (क्विअर)
क्विअर शब्द का इस्तेमाल ऐसे लोगों के लिए किया जाता है, जो अपने यौन रूझान को लेकर असमंसजस में होते हैं। यह ऐसे लोग हैं, जो यह तय नहीं कर पाते कि उनका आकर्षण पुरुष की ओर है या फिर स्त्री की तरफ, उनके अंदर महिलाओं के गुण हैं या फिर पुरुषों के।
LGBTQ कैसे बना LGBTQIA?
LGBTQ की मदद व्यक्ति के यौन रूझान, जेंडर आइडेंटिडी और हाव-भाव को समझने में मदद मिलती है। लेकिन बीते कुछ समय से LGBTQ बदलकर LGBTQIA+ हो गया है। जानते हैं इसमें जुड़े बाकी के शब्दों का मतलब-
"I" का मतलब Inters*x
यह शब्द ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनके जन्म के समय उनके निजी अंगों से यह साफ़ नहीं हो पाता कि वह पुरुष है या महिला। ऐसे लोगों का लिंग डॉक्टर द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। हालांकि, बाद में बड़े होने पर उस इंसान को समझ आता है कि वह कैसा महसूस करता है, जिसके आधार पर खुद को आदमी, औरत या ‘ट्रांसजेंडर’ मानता है।
"A" का मतलब As*xual
As*xual ऐसे लोगों को परिभाषित करता है, जिनमें यौन आकर्षण की कमी होती है। ऐसे में लोगों को न तो लड़के और न ही लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं होती। वह शारीरिक संबंधों की जगह भावनात्मक रिलेशन ही चाहते हैं।
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