नहीं होना चाहते बच्चों की बदतमीजी के कारण शर्मिदा, तो Teenage से पहले जरूर सिखा दें 6 आदतें
बच्चों की परवरिश हमेशा से ही पेरेंट्स के लिए एक मुश्किल टास्क रहा है। खासकर जब बच्चे टीनएज की तरफ बढ़ते हैं तब यह समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अक्सर बच्चे टीनएज में बदतमीज (Prevent Child Misbehavior) होने लगते हैं। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि बच्चों को किशोर होने से पहले ही कुछ आदतें सिखा दी जाए।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब आप एक पेरेंट बनते हैं, तो यह कई सारी जिम्मेदारियों से भरा एक अनुभव होता है। सभी अपने बच्चों को एक सफल और खुश इंसान बनाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा बनाने के लिए पेरेंट्स को खुद बच्चों के पीछे पड़कर मेहनत करनी पड़ती है।
पेरेंट्स को बच्चे में बचपन से ही कुछ ऐसे हैबिट्स डेवलप करने चाहिए, जिससे बच्चे का भविष्य बेहतर बन सके। खासकर टीनएज से पहले बच्चों को कुछ आदतें जरूर सिखानी चाहिए, ताकि वह उस उम्र में बदतमीज न बने और अपनी भविष्य बर्बाद न करें। इसलिए टीनएज के फेज में जाने से पहले ही पेरेंट्स को अपने बच्चों में डेवलप करें ऐसी हैबिट्स-
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दूसरों की रिस्पेक्ट करना
जीवन में रिस्पेक्ट करना एक बेहद जरूरी पहलू होता है, फिर वो चाहे किसी भी लिंग या वर्ग का कोई भी व्यक्ति हो। इसलिए बच्चों को छोटी उम्र से ही इसकी अहमियत समझा दें।
हार से न डरें
बच्चों को सिखाएं कि गलतियां करने और हार से न डरें। हर इंसान से गलतियां होती हैं, फेल होना हर इंसान के जीवन का एक हिस्सा होता है, इसलिए गलतियों से हताश होने की जगह उन्हें सुधारने और उनसे अनुभव ले कर सीखने का प्रयास करना चाहिए।
नंबर से ज्यादा ज्ञान जरूरी है
कुछ पेरेंट्स बच्चों के कम नंबर आने पर उन्हें डांटते फटकारते हैं, जिससे बच्चे डिप्रेस हो सकते हैं। इस प्रकार की डांट मार से बच्चे का दिमाग पढ़ाई से और भी उचट जाता है। इसलिए अच्छे नंबर लाने के लिए बच्चे पर ज्यादा दबाव न बनाएं और उन्हें सिखाएं कि नंबर के साथ और उससे ज्यादा नॉलेज जरूरी है।
न बोलना सीखें
बच्चों को न बोलना सिखाएं फिर वो चाहे टीचर हों, कोई बड़ा बुजुर्ग हो या फिर खुद अपने पेरेंट्स हों। भविष्य में एक मजबूत पर्सनेलिटी बनने के लिए अपना मत रखना जरूरी है।
मदद मांगने से हिचकिचाए नहीं
बच्चों का दोस्त बनना कोई आसान काम नहीं है। खास तौर से जब बच्चे के अपने खुद के कोई दोस्त हों। बच्चे के पीछे न पड़ें, उनके ऊपर न चिल्लाएं और न ही लंबे लेक्चर दें। उनके दोस्त बनकर रहें और बच्चों को सिखाएं कि जरूरत पड़ने पर मदद मांगने से हिचकिचाए नहीं।
अपने लिए स्टैंड लेना सीखें
कुछ पेरेंट्स टीचर्स या घर के किसी अन्य सदस्य के सामने ही बच्चे की बुराई करना शुरू कर देते हैं, जिससे वे इनसिक्योर हो जाते हैं और खुद पर डाउट करने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को यहां ये समझना जरूरी है कि किसी के भी सामने बच्चे की बुराई न करें और हमेशा अकेले में ही उन्हें समझाएं। इससे वे खुद के प्रति सजग और जागरूक रखेंगे और खुद के लिए स्टैंड लेना सीखेंगे।
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