बच्चों को ये 3 आदतें 14 साल की उम्र तक हर हाल में सिखा दें, बहुत जल्दी हो जाएंगे Mature
अक्सर देखा जाता है कि जब कोई मेहमान घर पर आता है तो वह बच्चों से नाम पूछता है तो बच्चे शर्माने लगते हैं। कई बार तो बच्चे इतना शर्मा जाते हैं कि मेहमान से डर भी जाते हैं। आप बच्चे को शुरू से सिखाएं कि कोई नाम पूछे तो किस तरह नाम बताना है। या आपके माता पिता का नाम पूछे तो उन्हें किस तरह जवाब देना है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे समझदार बनें और मैच्योर हो जाएं। लेकिन बच्चों को मैच्योर बनाने के लिए उनकी परवरिश भी वैसे ही करनी पड़ती है। अगर बच्चों की परवरिश ठीक से की जाए तो वह हर बात को जल्दी समझ लेते हैं।
क्योंकि कई बार बच्चे बड़े तो हो जाते हैं, लेकिन मैच्योर नहीं हो पाते। इसलिए कम उम्र से ही बच्चों को ऐसी आदतें दिखानी चाहिए। जिससे उनमें मैच्योरिटी नजर आए। आज हम आपको ऐसे ही कुछ उन आदतों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको बच्चों को सिखा देना चाहिए।
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1- परेशानी आने पर पैनिक नहीं होना
अपने बच्चों को सबसे पहले यह जरूर सिखा दें कि कभी कोई इमरजेंसी आ जाए या कोई दिक्कत आ जाए तो पैनिक नहीं होना है। उदाहरण के तौर पर घर में अचानक से लाइट चले जाने पर बच्चे रोने लगते हैं डर जाते हैं। आप बच्चों को बताएं कि लाइट जाने पर रोना नहीं है बल्कि टॉर्च वाली जगह जाकर टॉर्च को जलाकर रोशनी करना है। इन छोटी-छोटी बातों से बच्चों में फैसले लेने की क्षमता बढ़ती है।
2- कोई नाम पूछे तो उसे नाम बताना
अक्सर देखा जाता है कि जब कोई मेहमान घर पर आता है तो वह बच्चों से नाम पूछता है तो बच्चे शर्माने लगते हैं। कई बार तो बच्चे इतना शर्मा जाते हैं कि मेहमान से डर भी जाते हैं। आप बच्चे को शुरू से सिखाएं कि कोई नाम पूछे तो किस तरह नाम बताना है। या आपके माता पिता का नाम पूछे तो उन्हें किस तरह जवाब देना है। ऐसा करने से बच्चों के अंदर कम्यूनिकेशन स्किल डेवलप होती है।
3- हर काम करने से पहले परमिशन लेना
यह सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों को यह बताया जाए कि उन्हें अगर बाहर जाना है, या कोई काम करना है, दोस्त की पार्टी या उसके साथ खेलना है तो पहले वह आपसे परमिशन लें। ऐसा करने से एक तो आपके प्रति उनका सम्मान बढ़ता है। दूसरा वह इस आदत की वजह से झूठ बोलने की आदत से दूर रहते हैं। बच्चों को मालूम रहता है कि वह जो काम कर रहे हैं यह उनके मात पिता की नॉलेज में है। वहीं आगे चलकर भी बच्चे हर काम सलाह लेकर करते हैं। बड़ों का अनुभव तब उनके काम आता है।
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