Parenting Tips : बच्चों की जिंदगी तबाह कर देती हैं घर के बड़ों की ये जिद, कभी बच्चों पर न थोपें अपनी सोच
कई पैरेंट्स अपने बच्चों पर अपनी जिद थोपने लगते हैं। ऐसा करना कभी भी ठीक नहीं होता। ऐसा करके आप अपने बच्चों के टैलेंट को भी खत्म कर देते हैं। हमेशा बच्चों (Parenting Tips) को उनके फैसलों के सही और गलत के परिणाम क्या हो सकते हैं आप यह बताएं। जब वह खुद एहसास करेंगे तो खुद बेहतरीन फैसला कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों की जिंदगी पर घर के बड़ों की जिद का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। कुछ परिवार के बड़े अपने बच्चों पर बचपन से ही अपनी जिद थोपने लगते हैं। ऐसा करके वह बच्चों के लिए परेशानी खड़ी कर देते हैं।
बच्चों पर कभी अपनी जिद थोप कर आप उनको बेहतर इंसान नहीं बना सकते। बल्कि ऐसा करने से बच्चे और बागी हो जाते हैं। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि बच्चों को केवल गाइड करने का काम करें, उनपर अपनी सोच न थोपें। ऐसा करके आप अपने बच्चों को डिप्रेशन (Harmful parenting behaviors) में भी डाल सकते हैं।
1. पढ़ाई के मामले में कभी न करें जिद : घर के बड़े अक्सर बच्चों पर अपनी शिक्षा संबंधी जिद थोपते हैं, जैसे कि उन्हें एक विशिष्ट विषय या सब्जेक्ट चुनने के लिए मजबूर करने लगते हैं। इससे बच्चों (children's well-being Tips) की रुचि और प्रतिभा को दबाया जा सकता है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है। कई बार कोई बच्चा 12th में कॉमर्स पढ़ना चाहता है, लेकिन उसके परिजन उसे मेडिकल पढ़ने का दबाव डालते हैं। ऐसा करके वह अपने बच्चों के करियर को भी तबाह कर देते हैं।
2. करियर को लेकर न करें जिद: घर के बड़े अक्सर बच्चों पर करियर चुनने को लेकर जिद करते हैं। कई बार बच्चे मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जरूरी नहीं डॉक्टर ही बनें। कई बच्चे IAS की कोचिंग या तैयारी की तरफ जाना चाहते हैं, लेकिन माता पिता की जिद के आगे मजबूर हो जाते हैं। मां बाप बच्चों पर अपनी जिद थोपते हैं, जैसे कि उन्हें एक विशिष्ट व्यवसाय या पेशा चुनना चाहिए।
3. पसंद की शादी की जिद: घर के बड़े अक्सर बच्चों पर शादी को लेकर जिद थोपने लगते हैं। आप बच्चों पर सारी जिद थोप देते हैं वे तब स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन उनके जीवन के सबसे बड़े फैसले में अपनी जिद कभी नहीं थोपनी चाहिए। ऐसा करके आप उनके लिए मुसीबत खड़ी कर देते हैं।
क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि आपकी पसंद बच्चों को स्वीकार नहीं होती। फिर वो मजबूरन बस एक सौदा करके जीवन व्यतीत करते हैं। जिससे उनकी आगे की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि घर के बड़े बच्चों को अपने लक्ष्यों और रुचियों को प्राप्त करने के लिए समर्थन और स्वतंत्रता प्रदान करें।
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