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    बच्चों के मासूम दिल पर चोट देते हैं मां-बाप के 5 काम, धीरे-धीरे बना देते हैं चिड़चिड़ा और गुस्सैल

    कई बार माता-पिता अपने बच्चों के साथ ऐसा बरताव करते हैं कि वह उनके लिए छोटी-सी उम्र में ही एक बड़ा बोझ बन जाता है। अनजाने में या जानबूझकर माता-पिता ऐसे शब्द बोल देते हैं या फिर कुछ ऐसे काम (Parenting Mistakes) करते हैं जिनसे बच्चों के मन पर गहरे जख्म छूट जाते हैं। आइए जानें ऐसी 5 चीजें जिन्हें छोड़कर आप बच्चों को गुस्सैल बनने से रोक सकते हैं।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 10 Dec 2024 05:14 PM (IST)
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    मां-बाप की कुछ आदतों से बच्चे बन जाते हैं गुस्सैल और चिड़चिड़े (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Parenting Mistakes: बच्चे कोमल फूलों की तरह होते हैं, जिन्हें थोड़ी-सी चोट भी गहरे असर डालती है। बच्चों के साथ बुरा बरताव या उन्हें दुख देने वाली बातें कहने से उनके मन पर गहरा असर पड़ता है। कई बार बड़े होकर भी ये बातें उन्हें परेशान करती रहती हैं, ऐसे में कई बच्चे माता-पिता से दूरी बना लेते हैं क्योंकि उनका ऐसा व्यवहार बच्चों के लिए मानसिक पीड़ा का कारण बनता है। वे जिंदगी में आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन बचपन की ये यादें हमेशा उनके लिए दुख का कारण बन सकती हैं। आइए आपको बताते हैं मां-बाप की ऐसी 5 बातें, जो बच्चों को चिड़चिड़ा और गुस्सैल (Child Behavior) बनाने का काम करती हैं।

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    पहला काम

    बच्चा हो या फिर बड़ा, हर कोई चाहता है कि दूसरों के सामने उसकी इज्जत की जाए। बच्चों के कोमल मन पर दूसरों के सामने शर्मिंदा होने का गहरा असर पड़ता है। माता-पिता शायद बच्चे को सुधारने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन बार-बार ऐसा करने से बच्चे का कॉन्फिडेंस टूट सकता है और उसे मानसिक रूप से बहुत तकलीफ हो सकती है।

    दूसरा काम

    बच्चों का सीखना गलतियों से ही पूरा होता है। जब वे गलतियां करते हैं तो उन्हें अपनी गलतियों से सबक मिलता है और वे अगली बार उस गलती को दोहराने से बचते हैं। अगर बच्चों को हर वक्त रोका जाए तो वे स्वतंत्र रूप से सोचने और फैसले लेने की क्षमता खो देंगे। इससे न सिर्फ उनका दिमागी विकास प्रभावित होगा बल्कि उनका आत्मविश्वास भी कम होगा। वे खुद को असहाय और अकेला महसूस करने लगेंगे।

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    तीसरा काम

    बच्चे आसानी से दूसरों की नकल करते हैं, खासकर टीवी या दोस्तों की। जब वे खुशी या दुख महसूस करते हैं, तो उन्हें अपने माता-पिता से सहारा चाहिए होता है। अगर माता-पिता उनकी फीलिंग्स को नजरअंदाज करते हैं, तो बच्चों का मनोबल टूट सकता है। माता-पिता को बच्चों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए।

    चौथा काम

    बच्चे दिल के साफ होते हैं। वे हर पल को खुलकर जीते हैं, चाहे वह स्थिति कैसी भी हो। जब मां-बाप एक-दूसरे से मजाक करते हैं तो बच्चे भी उनकी खुशी में शामिल हो जाते हैं लेकिन, इसी पल अगर उन्हें डांटा जाए या मारा जाए तो उन्हें गहरी ठेस पहुंचती है। यह उनके मन में इनसिक्योरिटी पैदा करता है।

    पांचवां काम

    कई बार माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासित करने के लिए या अपनी आदत से चिल्लाते हैं। यह लगातार चिल्लाना बच्चों में डर पैदा कर सकता है। डर के मारे बच्चे छोटी-छोटी गलतियों के लिए भी झूठ बोलने लगते हैं, बस इसलिए कि वे अपने माता-पिता की डांट से बच सकें।

    प्यार भरा माहौल देना है जरूरी

    बच्चों को मेंटल स्ट्रेस से बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हमें बच्चों के साथ हमेशा प्यार और सम्मान से पेश आना चाहिए। उन्हें डांटने-फटकारने के बजाय समझाने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चों की फीलिंग्स की कद्र करनी चाहिए और उन्हें अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चे सीखते हैं। उन्हें गलतियां करने का मौका देना चाहिए और उन्हें सुधारने के लिए मोटिवेट भी करना चाहिए। बच्चों को प्यार-भरा का माहौल देना चाहिए ताकि वे हेल्दी और खुशहाल जिंदगी जी सकें।

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