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    बच्चों के आगे कभी न करें इन 3 बातों का जिक्र, अनजाने में उनकी मासूमियत के दुश्मन बन जाएंगे आप

    Updated: Mon, 14 Jul 2025 04:04 PM (IST)

    बड़े-बुजुर्ग हमेशा से कहते आए हैं कि बच्चों के सामने सोच-समझकर बोलना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शब्द उनके मासूम से दिल पर गहरी छाप छोड़ते हैं। जी हां अगर आप भी अपने बच्चे को खुशहाल व सुरक्षित बचपन देना चाहते हैं तो यहां बताई 3 बातों का जिक्र उनके सामने भूलकर भी न करें।

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    बच्चों के मासूम मन पर बुरा असर डाल सकती हैं ये बातें (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चे मन के सच्चे होते हैं, उनका संसार मासूमियत और कल्पना से भरा होता है। हम बड़े अनजाने में कई बार ऐसी बातें उनके सामने कर देते हैं, जो उनकी इस प्यारी दुनिया पर बुरा असर डाल सकती हैं।

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    ये बातें न सिर्फ उनके भोले से दिल को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास और सोचने के तरीके पर भी बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। आइए जानते हैं ऐसी 3 बातें, जिनका जिक्र बच्चों के आगे कभी नहीं करना चाहिए, वरना आप अनजाने में उनकी मासूमियत के दुश्मन बन जाएंगे।

    फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स का बेवजह जिक्र

    घर में पैसों की तंगी हो सकती है, लेकिन बच्चों के सामने बार-बार इसका रोना रोना या उन्हें यह महसूस कराना कि उनकी छोटी-छोटी इच्छाएं भी पूरी नहीं हो सकतीं, उन्हें असुरक्षित महसूस करा सकता है। इससे उनके मन में चिंता और हीन भावना पैदा हो सकती है। उन्हें अपनी उम्र के हिसाब से आर्थिक स्थिति की सामान्य जानकारी देना ठीक है, लेकिन हर बात पर 'पैसे नहीं हैं' का ताना मारना गलत है।

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    पार्टनर के झगड़े या अनबन

    माता-पिता के रिश्ते में खटास या झगड़े हर घर में हो सकते हैं, लेकिन बच्चों के सामने इन्हें जाहिर करना उनकी मानसिक शांति भंग कर सकता है। बच्चे अपने माता-पिता को एक सुरक्षित ठिकाना मानते हैं, और उनके बीच की लड़ाई उन्हें डरा सकती है। इससे उनके मन में असुरक्षा की भावना घर कर सकती है और वे तनाव में आ सकते हैं। अपने मतभेदों को बच्चों से दूर सुलझाएं।

    दूसरे बच्चों से तुलना करना

    "देखो शर्मा जी का बेटा कितना अच्छा पढ़ता है," या "तुम्हारी बहन कितनी सीधी है," जैसी बातें बच्चों के आत्मविश्वास को बुरी तरह से चोट पहुंचाती हैं। हर बच्चा अपने आप में खास होता है और उसकी अपनी क्षमताएं होती हैं। दूसरों से तुलना करने से बच्चे के मन में जलन, हीन भावना और सेल्फ-डाउट पैदा होता है। इसलिए, उन्हें मोटिवेट करें और उनकी खूबियों को सराहें।

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