हर शादीशुदा जोड़े की लड़ाई के पीछे छिपे हैं 4 कारण, जानकर आप भी कहेंगे- 'अरे, ये तो हमारी कहानी हैं '
वैसे तो हर कपल अलग होते हैं लेकिन उनके बीच तनाव के कई कारणों में से कुछ कॉमन माने जाते हैं। बच्चों की पेरेंटिंग, पैसों को खर्च या सेव करने की बात, इंट ...और पढ़ें

शादीशुदा जीवन में तकरार की मुख्य वजहें और समाधान (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब भी हम कपल्स को किसी बात को लेकर बहस करते या झगड़ते देखते हैं तो अक्सर यही कहते हैं- ये तो घर-घर की बात है। जिस तरह कपल्स के झगड़ों को आम करार कर दिया जाता है वहीं उसके होने की वजहों में भी समानता पाई जाती है। आखिर, ऐसे कौन-से मुद्दे हैं जो कपल्स में तनाव का कारण बनते हैं? जानेंगे इस आर्टिकल में।
पेरेंटिंग का स्टाइल
दोनों ही एक दूसरे की पेरेंटिंग के स्टाइल पर उंगली उठते हैं। एक कहता है तुमने बच्चे को कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है वहीं दूसरा उसे काउंटर करते हुए कहता है कि उसकी सख्ती बच्चों पर बुरा असर डाल रही है। जबकि यह नजरिए की बात होती है। दोनों ही कपल अपने-अपने तरह की पेरेंटिंग का अनुभव लेकर आते हैं और अपने बच्चे की परवरिश में उसे लागू करने की कोशिश करते हैं।
पैसा खर्च करना या बचत करना
ये मुद्दा कई बार बहुत ही गंभीर रूप ले लेता है। यदि दोनों ही बेहद खर्चीले हैं या फिर दोनों ही बचत करने में विश्वास करते हैं तो विवाद कम होता है। वहीं एक खर्चीला और दूसरा बचत करने वाला हो तो उनकी आदतें एक-दूसरे को परेशान करती हैं।
इंटीमेसी की बात
यह कपल्स की बॉन्डिंग का अहम हिस्सा माना जाता है, लेकिन लड़ाई की सबसे बड़ी वजह भी। दोनों में से कोई एक रोमांटिक है तो किसी को अपनी फीलिंग मन में रखना ही पसंद है। ऐसे में पहल कौन करेगा या हर बार मैं ही पहल क्यूं करूं, जैसे सवाल खड़े होने लगते हैं।
भविष्य की चिंता
जिंदगी को लेकर दोनों के प्लान में आने वाला फर्क तकरार का कारण बनता है। बच्चे के लिए कौन अपना करियर छोड़ेगा और कौन नहीं, जीवन के क्या गोल्स हैं, बच्चों को लेकर क्या- सपने हैं जैसे मुद्दों पर एकमत न हो पाना परेशानी खड़ी कर सकता है।
इस तरह बदलें तकरार को प्यार में
- समस्या को अपना दुश्मन मानें ना कि अपने पार्टनर को और दोनों मिलकर उसे सुलझाने की कोशिश करें। एक टीम की तरह काम करें।
- कभी-कभी समझौता करना भी रिश्ते को बचाने के लिए जरूरी होता है। यह हिंसा या दुख से समझौता करने की बात नहीं, बल्कि आपसी समझ से मुद्दे को सुलझाने का तरीका है। इससे तकरार रुक सकती है और आप दोनों ठंडे दिमाग से किसी ठोस नतीजे पर पहुंच सकते हैं।

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