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    क्या आपका बच्चा भी है Toxic Friendship का शिकार? 3 तरीकों से सिखाएं उसे अच्छे-बुरे दोस्तों का फर्क

    आजकल बच्चों के लिए स्कूल और सोशल मीडिया दोनों जगहों पर दोस्त बनाना बहुत आसान हो गया है लेकिन हर दोस्ती अच्छी हो यह जरूरी नहीं। कई बार बच्चे अनजाने में Toxic Friendship का शिकार हो जाते हैं जो उन्हें गलत रास्ते पर ले जाती है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में आपको ऐसे 3 टिप्स बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चे को अच्छे-बुरे दोस्तों का फर्क समझा पाएंगे।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 20 May 2025 08:43 PM (IST)
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    इन 5 टिप्स से समझाएं बच्चो को Toxic Friendship का मतलब (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में बच्चों को यह सिखाना बेहद जरूरी है कि वे खुद कैसे पहचान सकें कि कौन दोस्ती के लायक है और कौन नहीं। अगर आप भी इस परेशानी का हल ढूंढना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। यहां हम आपको ऐसे 3 आसान टिप्स बताएंगे (Teach Kids Healthy Friendships), जिनसे आप अपने बच्चे को 'अच्छे' और 'बुरे' दोस्तों का फर्क (Good vs Bad Friends) समझा सकते हैं और साथ ही, उसके सबसे अच्छे दोस्त भी बन सकते हैं। आइए जानें।

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    रेड फ्लैग्स पहचानना सिखाएं

    अपने बच्चे को बताएं कि एक अच्छी दोस्ती में क्या होता है (जैसे सम्मान, साथ देना, खुशी) और क्या नहीं होता (जैसे हमेशा अपनी बात मनवाना, नीचा दिखाना, झूठ बोलना, ब्लैकमेल करना, डर या दबाव बनाना)। उन्हें उदाहरण देकर समझाएं कि अगर कोई दोस्त उसे किसी गलत काम के लिए उकसाए, उसे शर्मिंदा करे, उसकी चीजों को नुकसान पहुंचाए या उसे खुद के बारे में बुरा महसूस कराए, तो ये 'रेड फ्लैग्स' हैं, जिन्हें समय रहते पहचानकर ऐसे दोस्त से दूरी बना लेना ही बेहतर होता है।

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    खुलकर बात करने का माहौल बनाएं

    अपने बच्चे के साथ ऐसा रिश्ता बनाएं, जहां वह आपसे कुछ भी कहने में डरे नहीं। जी हां, उसे यह भरोसा दिलाएं कि आप हमेशा उसकी बात सुनेंगे और उसे समझेंगे, चाहे वह कितनी भी छोटी या बड़ी समस्या हो। बता दें, जब बच्चे को लगता है कि माता-पिता उसकी बात सुनेंगे, तो वह अपने दोस्तों से जुड़ी परेशानियों को शेयर करने में हिचकेगा नहीं और जब आपको प्रॉब्लम पता लग जाएगी, तो आप उसे प्रोटेक्ट करने के लिए जो-चाहें कदम उठा सकते हैं।

    'न' कहना सिखाएं

    अपने बच्चे को सिखाएं कि वह अपनी पसंद-नापसंद के बारे में खुलकर बोले और अगर उसे कोई बात पसंद न आए तो 'न' कहना भी सीखे। उसके कॉन्फिडेंस को बढ़ाएं ताकि वह दूसरों के दबाव में न आए। बता दें, टॉक्सिक फ्रेंड्स अक्सर बच्चों पर दबाव बनाते हैं, ऐसे में जब बच्चे में 'न' कहने का कॉन्फिडेंस होगा, तो वह गलत बातों के लिए मना कर पाएगा।

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