अगर आप भी बच्चों की हर फरमाइश करते हैं पूरी तो हो जाएं सावधान, आगे चलकर होंगे ये नुकसान
बच्चों की हर फरमाइश पूरी करने से वे सामाजिक कौशल से दूर हो सकते हैं। उन्हें लगता है कि वे हमेशा अपने तरीके से काम कर सकते हैं और दूसरों की जरूरतों का ख्याल रखने की जरूरत नहीं है। इसलिए हमेशा बच्चों की हर बात नहीं माननी चाहिए। कई बार माता पिता बच्चों की उन बातों को भी मान लेते हैं जो नहीं मानना चाहिए।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Parenting Tips : बच्चों की हर फरमाइश पूरी करना कई बार माता पिता के लिए खतरनाक हो सकता है। बच्चों पर लाड दिखाते हुए कई बार माता पिता उनकी फरमाइश पूरी तो कर देते हैं। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि बच्चों की हर जिद पूरी करना कई बार कितना खतरनाक हो जाता है।
ऐसा करने से वह अपने बच्चों के लिए ही भविष्य के लिए मुसीबत खड़ी कर देते हैं। आज हम आपको यहां कुछ नुकसान बता रहे हैं जो आगे चलकर आपके और आपके बच्चों के लिए काफी घातक हो सकते हैं।
1. बच्चों में आलस्य और जिम्मेदारी की कमी
बच्चों की हर फरमाइश पूरी करने से वे आलसी और जिम्मेदारी से दूर हो सकते हैं। वे सोचने लगते हैं कि उनकी हर जरूरत का ख्याल रखा जाएगा, इसलिए उन्हें खुद कुछ करने की जरूरत नहीं है। इसलिए बच्चों की बात मानिए लेकिन हर बात मानना कई बार उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
2. बच्चों में आत्मविश्वास की कमी
बच्चों की हर फरमाइश पूरी करने से उनमें आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। बच्चों के मुंह से निकली हर बात जब पूरी होने लगती है तो वह बहुत अधिक कंफर्ट जोन में चले जाते हैं। ऐसा जब होने लगता है तो बच्चे दूसरों पर निर्भर होने लगते हैं।
3. बच्चों में अनुशासन की कमी
बच्चों की हर फरमाइश पूरी करने से वे अनुशासन से दूर हो सकते हैं। जब बच्चों की हर बात मानी जाती है तो उनके जीवन में अनुशासन नहीं रहता है। अनुशासन नहीं होने पर बच्चे जीवन में आलसी बन जाते हैं। बिना अनुशासन के वह कामयाबी हासिल नहीं कर सकते।
4. बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
बच्चों की हर बात मान लेना उन्हें मानसिक बीमार बनाना भी है। अगर आपके बच्चे अपनी हर बात मनवा लेते हैं तो आपको भी सोचना चाहिए कि कहीं आप उन्हें दिमागी तौर पर तो बीमार नहीं कर रहे हैं। क्योंकि जब उनकी बात नहीं मानी जाती तो उन्हें लगता है कि उनके नाराजगी का कारण उनके माता पिता ही हैं।
बच्चों की फरमाइशों को पूरा करने के बजाय, माता-पिता को उन्हें सिखाना चाहिए कि कैसे जिम्मेदारी से काम लेना है, आत्मविश्वास कैसे बनाना है, और दूसरों के साथ कैसे सहयोग करना है।
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