जिद्दी बच्चे भी होंगे हंबल: आज की परवरिश के लिए ये 7 असरदार Positive Parenting रूल्स
बच्चों को डिसिप्लीन में लाना कोई आसान काम नहीं, लेकिन अगर आप एग्रेशन की जगह धैर्य और समझदारी से काम लें, तो यह प्रॉसेज आसान और पॉजिटिव बन सकती है। चिल ...और पढ़ें
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बच्चों को विनम्र और अनुशासित बनाने के सरल उपाय (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों को डिसिप्लीन में लाना हर पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है, लेकिन यह तभी संभव है जब हम संयम और धैर्य से काम लें। गुस्से या मारपीट से बच्चों में डर तो आ सकता है, लेकिन इससे उनकी समझ, सेल्फ कॉन्फिडेंस और इमोशनल अटैचमेंट कमजोर हो सकते हैं।
आज की परवरिश में सख्ती से ज्यादा समझदारी की जरूरत है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा अनुशासन में रहे और फिर भी आपके करीब बना रहे, तो एग्रेशन की जगह शांत लेकिन असरदार तरीकों को अपनाना जरूरी है। यहां कुछ ऐसे स्मार्ट तरीके बताए गए हैं, जिनसे आप अपने बच्चों को हंबल होने के साथ साथ डिसिप्लीन में रहना भी सिखा सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में
स्पष्ट और सरल नियम बनाएं
बच्चों को नियमों की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए, जैसे खेलने, पढ़ाई और सोने का समय। नियम जितने स्पष्ट होंगे, पालन करना उतना आसान होगा।
नियमों में निरंतरता रखें
अगर आज आप किसी बात की अनुमति देते हैं और कल मना करते हैं, तो बच्चा भ्रमित होगा। हर बार नियमों का पालन एक जैसे तरीके से करें।
धैर्य और संयम से बात करें
जब बच्चा कोई गलती करे तो चिल्लाने या मारने की बजाय गहरी सांस लें, शांत रहकर उसे समझाएं। इससे बच्चा आपकी बात को बेहतर समझ पाएगा।
अच्छे व्यवहार को सराहें
बच्चों के अच्छे काम की प्रशंसा करें। इससे उन्हें यह समझ आता है कि सकारात्मक व्यवहार की सराहना होती है।
खुद एक्जामप्ल बनें
आप जैसा व्यवहार करेंगे, बच्चा भी वैसा ही सीखेगा। इसलिए अपने शब्दों और कार्यों में अनुशासन दिखाएं।
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बच्चे की बात सुनें
बच्चा जब अपनी बात रखता है, तो उसे गंभीरता से सुनें। इससे वह महसूस करता है कि उसकी राय की कद्र होती है।
भावनात्मक जरूरतों को समझें
अनुशासनहीनता कई बार बच्चे की अंदरूनी परेशानी का इशारा होती है। उसकी भावनाओं को समझें और उस पर बात करें।
मजेदार तरीकों से अनुशासन सिखाएं
रूटीन को गेम या चार्ट की मदद से इंट्रेस्टिंग बनाएं, जिससे बच्चा नियमों में भागीदारी महसूस करे।
परिणामों की समझ दें, डराएं नहीं
बच्चे को उसकी गलतियों के परिणाम स्पष्ट रूप से बताएं, लेकिन डराकर नहीं। इससे वह जिम्मेदारी लेना सीखेगा। इन सभी तरीकों से न केवल बच्चा विनम्र और अनुशासित बनता है, बल्कि वह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत होता है।

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