वर्किंग अभिभावकों के पास नहीं बच्चों के लिए समय, बच्चों में गुस्सा और जिद बढ़ा रहा चिंता
नोएडा में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में देरी को देखते हुए सेक्टर 40 में राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (निपीड) में क्रास डिसेब ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर।
चेतना राठौर, नोएडा। बच्चों में देरी से हो रहे शारीरिक और मानिसक विकास की परेशानी अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गया है। पांच साल की अधिक उम्र वाले बच्चे आपराधिक प्रवृत्ति का व्यवहार कर रहे हैं। कम उम्र में बच्चों में बढ़ता गुस्सा,जिद और सही उम्र पर अच्छे और बुरे व्यवहार की पहचान न होने पर मारपीट करने की बढ़ती गतिविधियों से अभिभावक चिंतित कर रही हैं।
ऐसे बच्चों का मानसिक और शारीरिक रूप से विकास देरी से हो रहा है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने जिले में सेक्टर 40 स्थित राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (निपीड) में क्रास डिसेबिलीटी अर्ली इंटरवेशन केंद्र खुलने का फैसला लिया है। जिले का पहला केंद्र होगा जिसे मंत्रालय संचालित किया जाएगा। केंद्र में देशभर के बच्चों को आक्यूपेशन थैरेपी,स्पीच थैरेपी के साथ अन्य थैरेपी की सुविधा दी जाएगी। शून्य से छह साल तक के उम्र के बच्चों का इलाज किया जाएगा।
काउंसलर डा.प्राची शर्मा ने बताया इन दिनों बच्चों में गुस्सा,जिद जैसे व्यवहार में अधिकता होने लगी है। यह उनके भविष्य को कमजोर बना रहा है। बच्चों के व्यवहार में इस तरह का बदलाव का कारण अभिभावकों का समय न देना और बचपन में उनके व्यवहार में हो रहे परिवर्तन को अनदेखा करना है।
बचपन में बच्चे का मां पर हाथ उठाना,अपनी जिद मनवाने के लिए तरह-तरह की एक्टिविटी करना,गालियां देना जैसी हरकतों को आम मानकर छोड़ दिया जाता है, लेकिन व्यवहार में निरंतर बने रहना चिंता का विषय बनकर मानसिक रूप से कमजोर की श्रेणी में आने लगता है।
बढ़े होकर बच्चे आपराधिक गतिविधियों को सामान्य समझने लगता है। बच्चों के इस तरह के व्यवहार से चिंतित अभिभावकों की संख्या बढ़ गई है।
क्लिनिक पर रोजाना पांच से छह बच्चे पहुंच रहे हैं। जिनकी काउंसलिंग महिनों चलती है। काउंसलिंग के बाद उनकें व्यवहार में परिवर्तन आ पाता है।
केस-1
स्कूल में मारपीट करना
सेक्टर 25 में रहने वाले एक अभिभावक अपने पांच वर्षीय बेटे को लेकर काउंसलिंग कराने पहुंचे। उनकी शिकायत थी कि बच्चा बात-बात पर हाथ
उठाता है। स्कूल से शिक्षक आए दिन शिकायत करते हैं कि बच्चों को मारता है। एक दिन उसकी बात न मानने पर बच्चे ने मां को ही फोन फेंककर
मार दिया। इससे मां को चोट आई इस घटना के बाद भी बच्चे में कोई परिवर्तन नहीं दिखा। इस वजह से काउंसलिंग कराने पहुंचे।
केस 2
सेक्टर 30 में रहने वाले अभिभावक दोनों ही वर्किंग है इस वजह से बच्चे को समय नहीं दे पाते हैं। घर में मेड उसका ध्यान रखती है। इस वजह से
बच्चे के बदलते व्यवहार पर ध्यान नहीं दिया। इस कारण बच्चा मारपीट करना सीख गया। बात-बात पर जिद को पूरी कराने के लिए सिर दीवार पर
मानने लगा। इन आदतों से परेशान अभिभावक काउंसलिंग कराने पहुंचे।

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