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    दिनभर शरारतें करता है बच्चा, तो बिना डांटे 5 टिप्स से सिखाएं अनुशासन; मानने लगेगा आपकी हर एक बात

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 04:26 PM (IST)

    क्या आपका घर भी एक प्लेग्राउंड बन चुका है और आपका बच्चा दिनभर शरारतें करके आपकी नाक में दम कर देता है? अगर आप डांट-फटकार से थक चुके हैं और चाहते हैं कि आपका बच्चा प्यार से आपकी बात माने तो यह आर्टिकल खास आपके लिए ही है। यहां हम आपको इससे जुड़े 5 टिप्स शेयर कर रहे हैं।

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    शरारती बच्चों को ऐसे सिखाएं अनुशासन (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपका बच्चा भी दिनभर शरारतें करता है और आपकी बात नहीं मानता? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। कई माता-पिता इस समस्या से जूझते हैं और अक्सर डांट-फटकार का सहारा लेते हैं, जिसका असर उल्टा भी हो सकता है।

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    डांटने या मारने के बजाय, अनुशासन सिखाने के कुछ आसान और कारगर तरीके हैं। इन 5 टिप्स (Parenting Tips) से आप बिना बच्चे को ठेस पहुंचाए, उसे सही रास्ता दिखा सकते हैं और यकीन मानिए, वो आपकी हर एक बात मानेगा।

    नियम बनाएं और खुद करें पालन

    सबसे पहले, घर के कुछ बुनियादी नियम तय करें। जैसे कि, "सोने से पहले खिलौने अपनी जगह पर रखने हैं" या "खाना खाते समय फोन नहीं चलाना है।" ये नियम सरल होने चाहिए और बच्चे की उम्र के हिसाब से हों। सबसे ज़रूरी बात, आप खुद भी इन नियमों का पालन करें। बच्चे वही सीखते हैं जो वो देखते हैं।

    डांटने के बजाय 'क्यों' बताएं

    जब बच्चा कोई गलती करे, तो उसे सिर्फ "यह मत करो" कहने के बजाय, उसका कारण बताएं। उदाहरण के लिए, "दीवार पर मत लिखो, क्योंकि इससे दीवार गंदी हो जाती है और इसे साफ करना मुश्किल है।" जब बच्चे को वजह समझ आती है, तो वो उस गलती को दोबारा नहीं दोहराता।

    पॉजिटिव बिहेवियर की करें तारीफ

    जब आपका बच्चा कोई अच्छा काम करे, जैसे कि अपना होमवर्क खुद करे या छोटे भाई-बहन की मदद करे, तो उसकी दिल खोलकर तारीफ करें। "तुमने बहुत अच्छा काम किया!", "मुझे तुम पर गर्व है!" जैसे शब्द उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। जब वो देखते हैं कि अच्छे व्यवहार पर उन्हें सराहना मिलती है, तो वे वैसा ही करते हैं।

    रिजल्ट्स को बनाएं अनुशासन का हथियार 

    अगर बच्चा शरारत करता है, तो उसे उसकी गलती का परिणाम भुगतने दें। इसे 'नेचुरल कॉन्सिक्वेंस' कहते हैं। उदाहरण के लिए, अगर वो खिलौने बिखेर कर चले जाएं, तो अगले दिन उन्हें नए खिलौने तब तक न दें जब तक वे पुराने खिलौनों को न समेट लें। ये तरीका उन्हें अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेना सिखाता है।

    साथ में करें एन्जॉय

    बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। उनके साथ खेलें, उन्हें कहानियां सुनाएं या उनकी पसंद की कोई एक्टिविटी करें। बता दें, जब बच्चे माता-पिता के करीब महसूस करते हैं, तो वे उनकी बात ज्यादा सुनते हैं। इससे आपका रिश्ता भी मजबूत होता है और बच्चे का मन भी शांत रहता है।

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