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    किस तरह शादी के मायने बदल रहे हैं Millennials? पढ़ें बदलते वक्त के साथ क्यों है यह जरूरी?

    शादी एक ऐसा संस्कार है जो सदियों से समाज का अहम हिस्सा रहा है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आज के दौर में खासतौर से मिलेनियल्स के लिए शादी के मायने पहले से काफी बदल चुके हैं। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि कैसे यह पीढ़ी शादी की नई परिभाषा गढ़ रही है (How Marriage is Changing for Millennials) और यह बदलाव क्यों जरूरी है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sun, 16 Feb 2025 12:29 PM (IST)
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    How Marriage is Changing for Millennials: क्यों अपनी शर्तों पर शादी कर रहे हैं मिलेनियल्स? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। How Marriage is Changing for Millennials: पहले शादी को जिंदगी का जरूरी हिस्सा माना जाता था। समाज, परिवार और रिश्तेदारों की मंजूरी से ही शादी होती थी, लेकिन अब मिलेनियल्स यानी साल 1981 से 1996 के बीच जन्मे लोगों के लिए शादी पहले जैसी चीज नहीं रही। अब लोग इसे अपनी मर्जी से करने या ना करने का फैसला खुद ले रहे हैं।

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    क्या शादी का यह बदला हुआ रूप (Changing Marriage Trends) सही है? क्या इसका समाज पर अच्छा असर पड़ेगा? आइए, समझते हैं कि क्यों आज की पीढ़ी शादी को अलग नजरिए से देख रही है।

    शादी अब मजबूरी नहीं, बल्कि एक चॉइस है

    पहले शादी को हर किसी की जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा समझा जाता था। लेकिन अब लोग इसे अपनी मर्जी से चुन रहे हैं। शादी अब जरूरी नहीं, बल्कि एक ऑप्शन बन गई है, जिसे लोग तब चुनते हैं जब वे इसके लिए तैयार होते हैं।

    प्यार और शादी अलग-अलग हो चुके हैं

    आज की पीढ़ी को लगता है कि प्यार जरूरी है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि हर प्यार शादी में बदले। कई लोग बिना शादी किए भी लंबे समय तक साथ रहते हैं, लिव-इन रिलेशनशिप को अपनाते हैं, और अपने रिश्ते को समाज की परिभाषा से अलग देखते हैं।

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    शादी अब परिवार की मर्जी नहीं, बल्कि अपनी खुशी से होती है

    पहले शादी में परिवार की मर्जी सबसे ज़रूरी होती थी, लेकिन अब लोग अपने फैसले खुद ले रहे हैं। वे ऐसे रिश्ते चुनना चाहते हैं जहां प्यार, समझ और समानता हो, न कि सिर्फ समाज की मंजूरी। अरेंज मैरिज का चलन धीरे-धीरे कम हो रहा है और लोग अपनी पसंद से शादी करना चाहते हैं।

    तलाक अब कोई शर्म की बात नहीं है

    पहले तलाक को समाज में गलत माना जाता था, लेकिन अब यह एक आम बात होती जा रही है। नई पीढ़ी समझती है कि अगर रिश्ता सही नहीं चल रहा तो उसे जबरदस्ती निभाने की जरूरत नहीं है। वे अपनी खुशी और मानसिक शांति को प्राथमिकता देते हैं।

    शादी अब सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि बराबरी का रिश्ता है

    पहले शादी का मतलब परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी उठाना होता था। लेकिन अब लोग शादी को एक बराबरी के रिश्ते की तरह देखते हैं, जहां दोनों पार्टनर आत्मनिर्भर होते हैं और मिलकर जिंदगी को बेहतर बनाते हैं।

    कितना सही है यह बदलाव?

    यह बदलाव गलत या सही का मामला नहीं है, बल्कि यह लोगों की सोच और उनकी खुशियों पर निर्भर करता है। नई पीढ़ी अब शादी को मजबूरी की बजाय अपनी पसंद से देखने-समझने की कोशिश कर रही है, जो एक पॉजिटिव चेंज है।

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