ब्रेकअप से भी बड़ा होता है Ghostlighting का टॉर्चर! कहीं आपके साथ भी तो नहीं हो रहा ऐसा?
कभी-कभी हम ऐसे जाल में फंस जाते हैं जहां से निकलना बेहद मुश्किल होता है। आपने ब्रेकअप का दर्द तो सुना ही होगा लेकिन क्या आपने कभी Ghostlighting के बारे में सुना है? बता दें यह ब्रेकअप से भी ज्यादा पेचीदा और दर्दनाक हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। रिश्तों में धोखे और टूटे दिल की कहानियां हम सभी ने सुनी हैं, लेकिन क्या आप Ghostlighting के बारे में जानते हैं? दरअसल, यह एक ऐसा फेज है जो ब्रेकअप से भी ज्यादा पेनफुल हो सकता है, क्योंकि इसमें आपको यह भी नहीं पता चलता कि आखिर गलती कहां हुई। यह एक ऐसी इमोशनल हेरफेर है, जहां आपका पार्टनर अचानक गायब हो जाता है और फिर आपको ही दोषी ठहराने लगता है कि शायद आपने ही उसे दूर किया हो। आइए जानते हैं।
क्या है घोस्टलाइटिंग?
सोचिए, आप किसी को डेट कर रहे हैं, सब कुछ अच्छा चल रहा है और अचानक वह व्यक्ति बिना कोई मैसेज या कॉल किए गायब हो जाता है, तो यह 'घोस्टिंग' है। अब कुछ हफ्तों या महीनों बाद, वही व्यक्ति अचानक वापस आता है और ऐसे बरताव करता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।
जब आप उनसे उनके गायब होने के बारे में पूछते हैं, तो वे कहते हैं, "तुम तो बेवजह ज्यादा सोच रहे हो," या "मैं बस बहुत बिजी था," या "तुम क्यों इतना ड्रामा कर रहे हो?" वे आपको ऐसा महसूस कराते हैं कि यह आपकी गलती थी या आप ही सब कुछ बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं। ऐसे में, जान लें कि यही 'घोस्टलाइटिंग' है। इसमें पहले आपको अकेला छोड़ा जाता है और फिर आपकी भावनाओं को गलत साबित किया जाता है।
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घोस्टलाइटिंग के संकेत
अगर आप किसी रिश्ते में हैं और आपको लगता है कि आपके साथ 'घोस्टलाइटिंग' हो रही है, तो इन संकेतों पर जरूर ध्यान दें:
- अचानक गायब हो जाना और फिर वापस आ जाना: आपका पार्टनर बिना किसी स्पष्टीकरण के अचानक गायब हो जाता है और फिर कुछ समय बाद ऐसे वापस आता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।
- आपकी फीलिंग्स को नकारना: जब आप उनसे उनके गायब होने या उनके व्यवहार के बारे में बात करते हैं। तो वे आपकी भावनाओं को 'ज्यादा' या 'बेवजह' बताते हैं। वे कह सकते हैं, "तुम हमेशा छोटी-छोटी बातों का पहाड़ बना देते हो।"
- आपकी गलतियां निकालना: वे अपनी हरकतों के लिए खुद को जवाबदेह ठहराने के बजाय, आपको ही उस स्थिति के लिए दोषी ठहराते हैं।
- कॉन्फिडेंस में कमी: आप खुद पर और अपनी समझ पर सवाल उठाने लगते हैं। आपको लगता है कि कहीं आप ही गलत तो नहीं हैं।
- लगातार माफी मांगना: आप पाते हैं कि आप छोटी-छोटी बातों के लिए भी लगातार माफी मांग रहे हैं, भले ही गलती आपकी न हो।
क्यों इतनी खतरनाक है 'घोस्टलाइटिंग'?
'घोस्टलाइटिंग' सिर्फ आपको दुख नहीं देता, बल्कि यह आपके कॉन्फिडेंस और सुकून को भी खत्म कर देता है। जब कोई आपको बार-बार आपकी ही सच्चाई पर शक करने पर मजबूर करता है, तो आप अपनी भावनाओं पर भरोसा करना बंद कर देते हैं। यह आपको भ्रमित, अकेला और इनसिक्योर फील करा सकता है। ब्रेकअप में कम से कम एक क्लोजर होता है, लेकिन 'घोस्टलाइटिंग' में आप एक ऐसे लूप में फंस जाते हैं जहां आपको न तो क्लैरिटी मिलती है और न ही सुकून।
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