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    कहीं आपकी बड़ी बेटी भी तो नहीं Eldest Daughter Syndrome का शिकार, जानें कैसे करें इसे मैनेज

    घर की सबसे बड़ी संतान होना आसान नहीं होता खासकर बेटियों के लिए। Eldest Daughter Syndrome में बड़ी बेटी पर परिवार की ज्यादा जिम्मेदारी और दबाव होता है। उन्हें छोटे भाई-बहनों की देखभाल करनी होती है जिससे तनाव और चिंता बढ़ सकती है। आइए जानते हैं क्या है ये सिंड्रोम और कैसे करें इसे मैनेज।

    By Digital Desk Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 05 Jun 2025 07:22 PM (IST)
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    क्या Eldest Daughter Syndrome और इसके लक्षण (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। घर का सबसे बड़ा बच्चा होना आसान नहीं, ऐसा अक्सर घर के सबसे बड़े बच्चे को कहते हुए सुना होगा। क्या वाकई ऐसा है कि घर के सबसे बड़े बच्चे खासकर बेटियों की पर्सनालिटी पर जन्म के क्रम (birth order) का असर पड़ता है। आइए जानते हैं eldest daughter सिंड्रोम क्या है और इसकी क्या वजह है।

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    घर के सबसे बड़े बच्चे को आपने अपने छोटों पर रौब जमाते, उन्हें ऑर्डर देते हुए देखा होगा, लेकिन सबसे बड़े होने का मतलब है अपने छोटे भाई-बहनों को लेकर ज्यादा जिम्मेदारी का एहसास होना। अपने छोटों के सामने मिसाल बनने के लिए सबकुछ परफेक्ट तरीके से करने का दबाव। इस तरह की जिम्मेदारी और दबाव कई बार एंजाइटी और बड़े होने पर रिलेशनिशप में भी परेशानी का सबब बन सकता है। इसे eldest daughter सिंड्रोम कहा गया है, क्या वाकई ऐसा कुछ होता है, आइए जानते हैं।

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    क्या है ये सिंड्रोम?

    यह सिंड्रोम घर में जन्मी सबसे बड़ी बच्ची के अनुभवों से उपजा है। इसके पॉजिटिव और नेगटिव दोनों ही पहलू हैं। घर की सबसे बड़ी बेटी होने की वजह से उसे अपनी मां के कामों में हाथ बंटाने के साथ-साथ कई बार अपने छोटे भाई-बहन की भी केयर करनी पड़ती है।

    कई बार उन्हें अपने घर के लोगों के लिए खाना बनाना होता है, अपने भाई-बहनों को किसी एक्टिविटी क्लास में भी छोड़ना होता है, साथ ही साथ अपनी मां की शिकायतें भी सुननी पड़ती हैं, जो वो अक्सर पड़ोसियों या रिश्तेदारों को लेकर करती हैं। इन सबके बीच बड़ी बेटी को लगता है कि उसका बचपन कहीं खो गया है या उसे सही तरीके से अपना बचपन जीने का मौका नहीं दिया गया।

    स्टडी में भी हुआ खुलासा

    हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के साइकैट्री एंड बायोबिहेवियल साइंसेस में हुई स्टडी में यह बात सामने आई है कि घर में जन्मी सबसे पहली बच्ची जल्दी मैच्योर होती है।

    तनाव और एंजाइटी हो सकती है

    बड़ी बच्चियों में तनाव और एंजाइटी का स्तर ज्यादा हो सकता है। उनमें परफेक्ट बनने की चाह और खुद की क्षमताओं को लेकर आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। इस तरह के दबाव का असर भावी रिश्तों और उनकी पूरी पर्सनालिटी पर पड़ सकता है। बड़ी बेटियों में पर्सनालिटी डिसऑर्डर का स्तर ज्यादा पाए जाने का डर भी रहता है। वहीं कुछ रिसर्च बताते हैं कि घर की पहली बच्ची बाकी भाई-बहनों की तुलना में ज्यादा सफलता पाती हैं और लीडरशिप पॉजिशन पर होती हैं।

    कैसे इस सिंड्रोम का सामना करें

    आप अपने जन्म का क्रम तो नहीं बदल सकतीं लेकिन इस सच को स्वीकार कर बेहतर भविष्य बना सकती हैं:

    • अपनी पर्सनालिटी को समझें: एक बड़ी बहन होने के नाते आपको अपनी कौन–सी आदत या बिहेवियर पसंद है? क्या कोई ऐसी चीज है जिसे आप बदलना चाहती हैं या उसे बेहतर करने पर काम करना चाहती हैं? इससे आपको अपने आदतों या बिहेवियर के पीछे की वजहों को समझने में मदद मिलेगी।
    • खुद पर काम करें: आपको किताबों, वेबसाइट या अन्य स्रोतों से अपने जन्म के क्रम और eldest daughter सिंड्रोम के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकती है। इससे आप अपने बिहेवियर या आदतों पर काम कर सकती हैं।

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