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    बच्चों के हकलाने की समस्या को न करें नजरअंदाज, देर कर दी तो जिंदगी भर होगा पछतावा

    बच्चों की हकलाने की समस्या को कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए। कई बार माता पिता इसे छोटी समस्या समझकर इग्नोर कर देते हैं। लेकिन बाद में यह एक बड़ी समस्या बन सकता है। ऐसे में हमेशा बच्चों को सही बोलने का उच्चारण तो सिखाना चाहिए ही। इसके साथ ही बच्चों को अगर समस्या गंभीर है तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

    By Mohammed Ammar Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sat, 01 Feb 2025 10:03 AM (IST)
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    बच्चों की शारीरिक समस्याओं को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ( Pic Courtesy : Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बचपन में बच्चों के हकलाने की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह समस्या जिंदगी भर के लिए बनी रह सकती है और बच्चे के आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल को प्रभावित कर सकती है। इसलिए जब भी आपको अपने बच्चे में यह समस्या दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर बच्चे को दिखाना चाहिए। अगर आप बचपन में सही समय पर सही कदम नहीं उठाते हैं तो जीवन भर के लिए आपको पछतावा करना पड़ सकता है। 

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    हकलाने की समस्या के कुछ कारण

     

    1. वाणी विकार: यह एक प्रकार का वाणी विकार है जिसमें बच्चा शब्दों को सही से नहीं बोल पाता है।

    2. तंत्रिका तंत्र की समस्या: हकलाने की समस्या तंत्रिका तंत्र की समस्या के कारण भी हो सकती है।

    3. आनुवंशिक कारण: हकलाने की समस्या आनुवंशिक कारणों से भी हो सकती है।

    4. मानसिक तनाव: मानसिक तनाव भी हकलाने की समस्या का एक कारण हो सकता है।

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    हकलाने की समस्या के लक्षण 

    1. शब्दों को दोहराना: बच्चा शब्दों को दोहराता है या उन्हें सही से नहीं बोल पाता है।

    2. वाक्यों को पूरा नहीं करना: बच्चा वाक्यों को पूरा नहीं कर पाता है या उन्हें अधूरा छोड़ देता है।

    3. बोलने में हिचकिचाहट: बच्चा बोलने में हिचकिचाहट महसूस करता है या शब्दों को सही से नहीं बोल पाता है।

    हकलाने की समस्या का इलाज करने के लिए कुछ सुझाव 

    1. डॉक्टर से लें सलाह: डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए जो बच्चे को सही तरीके से बोलने में मदद कर सकते हैं। इन समस्याओं को इग्नोर नहीं करना चाहिए। हमेशा बच्चाें की समस्याओं को डॉक्टर से डिस्कस करें। 

    2. व्यायाम और गतिविधियाँ: व्यायाम और गतिविधियाँ जैसे कि बोलने के व्यायाम, शब्दों को दोहराने के व्यायाम, और वाक्यों को पूरा करने के व्यायाम करने चाहिए। इसके साथ ही आप स्पीक थैरेपिस्ट से भी मिलकर अपनी समस्या बता सकते हैं। 

    3. मानसिक तनाव कम करना: मानसिक तनाव कम करने के लिए, बच्चे को आराम देने वाली गतिविधियाँ जैसे कि खेल, संगीत, या योग करने चाहिए। बच्चों को कभी मेंटल प्रेशर नहीं देना चाहिए। 

    4. परिवार का समर्थन: परिवार का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है। परिवार के सदस्यों को बच्चे को सही तरीके से बोलने में मदद करनी चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चों को कभी हीनभावना का शिकार नहीं होने देना चाहिए। 

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