डेटिंग ऐप के चक्कर में नहीं पड़ते Boysober लोग, टॉक्सिक रिश्तों और सिचुएशनशिप से भी रहते हैं दूर
आजकल कुछ लोग बॉयसोबर (Boysober) बनना चाहते हैं लेकिन कई लोग अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर बॉयसोबर होता क्या है। अगर आप भी इस नए टर्म से अनजान हैं तो आइए जानते हैं कि यह नया टर्म आपको किस तरह टॉक्सिक रिश्तों से दूर रखता है और सेल्फ लव की जर्नी में तेजी से आगे बढ़ाता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्यार एक खूबसूरत एहसास है, खासकर जब ये इश्क और जुनून के बीच बैलेंस बनाए रखता है। आज के युवा अक्सर रिश्ते बनाने में जल्दबाजी करते हैं, लेकिन असल में इन्हें लंबे समय तक निभाना मुश्किल होता है। इसीलिए वे अक्सर टॉक्सिक रिश्तों (Toxic Relationships) और डेटिंग ऐप्स के जाल में फंस जाते हैं। ऐसे में, अब इन समस्याओं से निपटने के लिए एक नया टर्म सामने आया है जिसे 'बॉयसोबर' कहा जाता है। बता दें, आज की स्ट्रेसफुल जनरेशन के लिए एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। 'बॉयसोबर' क्या है (Boysober Meaning) और ये आपकी लाइफ में कैसे बदलाव ला सकता है, आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।
क्या है बॉयसोबर?
टॉक्सिक रिश्तों से थक चुके लोगों के लिए बॉयसोबर बनना एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है। दरअसल, यह एक नया शब्द है जो युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसका मतलब है, खुद को दूसरों की उम्मीदों से फ्री करना और अपने आप को जानने और समझने की कोशिश करना। यह एक तरह का रिलेशनशिप ब्रेक है, जिसमें लोग टॉक्सिक रिश्तों से दूर रहकर खुद को बेहतर बनाने पर ध्यान देते हैं। यह चलन यूरोप और अमेरिका से शुरू हुआ है और अब भारत के युवाओं, खासकर मेट्रो शहरों में रहने वाले युवाओं में तेजी से फैल रहा है।
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कहां से आया इसका ट्रेंड?
अमेरिकी कॉमेडियन होप वुडार्ड को 'बॉयसोबर' शब्द का श्रेय दिया जाता है। उनके द्वारा गढ़ा गया यह शब्द सोशल मीडिया के जरिए से तेजी से फेमस हुआ और युवाओं के बीच एक नया ट्रेंड बन गया। इस शब्द का मतलब समझने के बाद कई लोगों ने खुद को 'बॉयसोबर' बनाने की ओर कदम बढ़ाए हैं और यह ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है।
बॉयसोबर बनने के लिए क्या करना होगा?
होप वुडार्ड के मुताबिक, बॉयसोबर बनने के लिए हमें किसी भी तरह के टॉक्सिक रिलेशनशिप को एक्सेप्ट नहीं करना चाहिए। साथ ही, सिचुएशनशिप में फंसने से भी बचना चाहिए। डेटिंग ऐप्स पर बहुत ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, हमें अपनी लाइफ में आगे बढ़ने के लिए खुद को बेहतर तरीके से समझने और उन चीजों को करने पर ध्यान देना चाहिए जिनसे हमें खुशी मिलती है।
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