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    पेरेंट्स की 5 बातें बच्चों के मन पर करती हैं गहरी चोट, चाहकर भी भुला नहीं पाते हैं मासूम

    बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। पेरेंट्स की हर बात का उन पर गहरा असर पड़ता है। जी हां, कभी-कभी अनजाने में कही गई कुछ बातें बच्चों के दिल में घर कर जाती हैं और वे उन्हें बड़े होकर भी भुला नहीं पाते। ये बातें उनके कॉन्फिडेंस और पर्सनैलिटी पर बुरा असर डाल सकती हैं। आइए जानते हैं ऐसी 5 बातों के बारे में, जिनसे पेरेंट्स को हमेशा बचना चाहिए। 

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Mon, 23 Jun 2025 07:25 PM (IST)
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    बच्चों से पेरेंट्स को कभी नहीं करनी चाहिए 5 बातें (Image Source: Freepik) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कभी सोचा है कि आपके कुछ शब्द आपके नन्हे-मुन्नों के दिल पर कितनी गहरी छाप छोड़ सकते हैं? बता दें, बच्चों का मन एक खाली स्लेट की तरह होता है, जिस पर माता-पिता की हर बात हमेशा के लिए लिख जाती है। कभी-कभी हम अनजाने में ही कुछ ऐसी बातें कह जाते हैं जो बच्चों के कोमल मन को छलनी कर देती हैं (Emotional Wounds) और वे उन्हें बड़े होकर भी भुला नहीं पाते। ये बातें उनके आत्मविश्वास को तोड़ सकती हैं और उनके पूरे व्यक्तित्व पर गहरा असर डाल सकती हैं (Long-Lasting Impact)। आइए जानते हैं ऐसी 5 बातों (Parenting Mistakes) के बारे में, जिन्हें कहने से पहले आपको दो बार सोचना चाहिए।

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    "तुम किसी काम के नहीं"

    यह शायद सबसे खराब बात है जो पेरेंट्स अपने बच्चों से कह सकते हैं। जी हां, जब बच्चे को बार-बार यह महसूस कराया जाता है कि वह किसी चीज में अच्छा नहीं है या कुछ हासिल नहीं कर सकता, तो उसका आत्मविश्वास बुरी तरह टूट जाता है। वह नई चीजें आजमाने से डरने लगता है और हमेशा खुद को कम आंकता है। इसके बजाय उन्हें कहें कि, "तुम कोशिश करो, मुझे यकीन है तुम कर सकते हो!" या "कोई बात नहीं, अगली बार और अच्छा होगा।" उन्हें मोटिवेट करें और उनकी छोटी-छोटी सफलताओं की तारीफ करें।

    दूसरों से तुलना करना

    हर बच्चा अनोखा होता है और हर किसी की अपनी क्षमताएं होती हैं। जब पेरेंट्स अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे (भाई-बहन, दोस्त या पड़ोसी) से करते हैं, तो बच्चे के मन में हीन भावना पैदा होती है। उन्हें लगता है कि वे कभी भी माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सकते। जाहिर है, इससे जलन और नाराजगी की भावना भी पैदा हो सकती है। इसके बजाय आप अपने बच्चे की खूबियों पर ध्यान दें और उसके अच्छे कामों पर तारीफ भी करें।

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    इमोशंस को दबाना है बड़ी गलती

    बड़ों की तरह बच्चों को अपनी फीलिंग्स बयां करने का पूरा हक है, चाहे वह गुस्सा हो, डर हो या उदासी। जब पेरेंट्स उन्हें रोने से रोकते हैं या उनकी भावनाओं को कम आंकते हैं, तो बच्चे यह सीख जाते हैं कि अपनी भावनाओं को व्यक्त करना गलत है। इससे वे बड़े होकर अपनी फीलिंग्स को ठीक से संभाल नहीं पाते और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। इसके बजाय आप उन्हें बताएं कि हर फीलिंग नॉर्मल है। "मुझे पता है तुम दुखी हो" या "डर लगना आम बात है।" यानी उन्हें अपनी फीलिंग्स जाहिर करने का सुरक्षित माहौल दें।

    "अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो..."

    प्यार को शर्त के साथ जोड़ना बच्चों के मन पर बहुत बुरा असर डालता है। बच्चे यह सोचने लगते हैं कि माता-पिता का प्यार तभी मिलेगा जब वे उनकी हर बात मानेंगे या कोई खास काम करेंगे। इससे उनके मन में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है और वे हमेशा माता-पिता को खुश करने की कोशिश में लगे रहते हैं, भले ही उनकी अपनी इच्छाएं कुछ और हों। ध्यान रहे, अपने प्यार को बिना शर्त व्यक्त करें। उन्हें कहें, कि "मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, चाहे तुम कुछ भी करो।" उन्हें बताएं कि आप उनसे हमेशा प्यार करेंगे।

    ताने मारने से बचें

    बच्चे गलतियां करते हैं और यह सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन अगर पेरेंट्स उनकी पुरानी गलतियों को बार-बार दोहराते हैं या ताने मारते हैं, तो बच्चे खुद को हमेशा दोषी महसूस करते हैं। वे खुद को नाकाम समझने लगते हैं और उनमें सुधार करने की इच्छा कम हो जाती है। इसके बजाय उन्हें बताएं कि गलती हर किसी से होत है, लेकिन उससे सीखना और उसे सुधारने की कोशिश करना जरूरी है। गलती पर ध्यान देने के बजाय, उन्हें भविष्य में बेहतर करने के लिए मोटिवेट करें।

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