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    क्या आपका बच्चा भी है सेंसिटिव; अगर हां, तो 4 तरीकों से फील कराएं उन्हें स्पेशल

    By Niharika PandeyEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Tue, 18 Nov 2025 04:32 PM (IST)

    सेंसिटिव बच्चों का ब्रेन नेचुरली औरों के मुकाबले ज्यादा गहराई से सोचता है। ऐसे बच्चों को वो बातें भी तकलीफ दे जाती हैं जो औरों को मामूली लग सकती हैं। ये खुशी और दुख को उतने ही गहरे तरीके से महसूस करते हैं, ऐसे में पेरेंट्स को उन्हें बड़े ही सेंसिटिव तरीके से हैंडल करने की जरूरत होती है ताकि कोई भी बात उनके मन को चोट न पहुंचाए।

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    संवेदनशील बच्चों को कैसे समझें: पेरेंट्स के लिए खास टिप्स (Picture Credit- AI Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर बच्चे अलग होते हैं और खुद को एक्सप्रेस करने का उनका तरीका भी। कोई बच्चा खुलकर अपने दिल की बात कह देता है तो कोई गुमसुम हो जाता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि ज्यादा सेंसिटिव पेरेंट्स के बच्चे भी सेंसिटिव होते हैं और उसी तरह अपने आस-पास की दुनिया को देखते व समझते हैं।

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    ज्यादा सेंसिटिव बच्चे खुद को ऐसा होने के लिए दोषी मानते हैं और शर्मिंदा महसूस करते हैं, ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो अपने बच्चे को समझें और पेरेंटिंग में कुछ जरूरी बातें शामिल करें।

    औरों से होते हैं अलग

    बेहद सेंसिटव बच्चे खुशी और दुख को तुरंत ही एब्सॉर्ब कर लेते हैं, इसलिए किसी को दुख में देखकर उनकी आंखों में भी आंसू आ जाते हैं। शोर-शराबे वाला माहौल उन्हें परेशान करता है, वहीं खूबसूरत चीजें या किसी का अच्छा व्यवहार उन्हें प्रेरित करता है। लेकिन उनका यही स्वभाव उनकी परेशानी का कारण भी बन जाता है। कई बार रोने, अकेले में खेलने या अपमान होने का सख्ती से विरोध करने पर बुलिंग का भी शिकार होते हैं।

     पेरेंट्स ऐसे दे सकते हैं साथ

    सेंसिटव बच्चों को सपोर्ट करने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए पेरेंट्स ये तरीके अपना सकते हैं:-

    • इमोशन को नकारें नहीं: अगर आपका बच्चा रोता है तो उन्हें डांटकर चुप ना कराएं। इसकी जगह आप उन्हें अपने इमोशन एक्सप्रेस करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
    • यह उनकी सुपरपावर है: अपने बच्चे को बताएं कि औरों के प्रति सेंसिटिव होना उनकी कितनी बड़ी खूबी है। उनकी गहरी सोच को उनकी सुपरपावर बताएं।
    • बाउंड्री का रखें ख्याल: अगर कोई आपके बच्चे को उसके सेंसिटिव होने के लिए शर्मिंदा करे तो उसका बचाव करना आपकी जिम्मेदारी है। चाहे वो टीचर हों, परिवार के कोई सदस्य या फिर उनके सहपाठी, अपने बच्चे का साथ दें।
    • बुलिंग को नजरअंदाज न करें: अगर आपके बच्चे को कोई चिढ़ा रहा है या उसे बुली कर रहा है तो इस बारे में स्कूल को जानकारी दें और बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी पॉलिसी के बारे में स्पष्ट बात करें।

     

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