जब किशोर क्रांतिकारी गेंदालाल ने पुलिस अधिकारियों से झूठ बोला- इन बच्चों की क्या गलती, असली मुजरिम तो मैं हूं
जब गेंदालाल दीक्षित को गिरफ्तार कर ग्वालियर के किले में कैद कर दिया गया तो ये किशोर उन्हें मुक्त कराने की योजना बनाने लगे। लेकिन यहां भी मुखबिर की सूचना पर लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया। गेंदालाल को भी मैनपुरी ले आया गया।
नई दिल्ली, फीचर डेस्क। मैनपुरी षड्यंत्र केस में तमाम किशोर क्रांतिकारियों पर केस चला था, जिनके नेता थे गेंदालाल दीक्षित। गेंदालाल जी के संगठन शिवाजी समिति में कई किशोर सहयोगी थे। गेंदालाल जी ने चंबल के नामी डकैत लक्ष्मणानंद ब्रह्मचारी को उनके पूरे दल के साथ संगठन से जोड़ लिया था, ताकि संगठन के कार्यों के लिए अंग्रेजों के पिटठू धनिकों के यहां डाके डालकर धन जुटाया जा सके। इस दल में सब किशोर और युवा थे। लेकिन अंग्रेजों ने उनके दल में एक मुखबिर को भी डकैत बनाकर शामिल कर दिया। उसने अभियान पर निकले अस्सी लोगों के दल के लिए बने खाने में जहर मिला दिया। मुखबिर ब्रह्मचारी की नजरों से नहीं बच सका और मारा गया, लेकिन गोली की आवाज के कारण पुलिस ने उस दल को घेर लिया।
भिंड के जंगल में 31 जनवरी, 1918 को हुई इस मुठभेड़ में ब्रह्मचारी समेत आठ किशोर क्रांतिकारी मारे गए। इस घटना के बाद गेंदालाल का संगठन बिखर गया। उन्होंने मैनपुरी में मातृवेदी संस्था बना ली, जिसमें डाकू नहीं, भले घरों के देशभक्त लड़के थे। जब गेंदालाल दीक्षित को गिरफ्तार कर ग्वालियर के किले में कैद कर दिया गया, तो ये किशोर उन्हें मुक्त कराने की योजना बनाने लगे। लेकिन यहां भी मुखबिर की सूचना पर लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया। गेंदालाल को भी मैनपुरी ले आया गया। मैनपुरी षड्यंत्र केस में इन लड़कों पर भी मुकदमा चला, तो गेंदालाल ने पुलिस अधिकारियों से झूठ बोला- इन बच्चों की क्या गलती, असली मुजरिम तो मैं हूं।
ये भला क्या जानते हैं कि मैं पुलिस का मुखबिर बनने जा रहा हूं। मैं बंगाल, बंबई, उत्तर प्रदेश के सैकड़ों क्रांतिकारियों को जानता हूं, उन्हें पकड़वा दूंगा। पुलिस वाले खुश हो गए कि दल का मुखिया ही मुखबिर बनने को तैयार है, तो हमें इन लड़कों से क्या लेना। लड़कों को छोड़ दिया गया और गेंदालाल को अन्य मुखबिरों के साथ रख दिया गया। एक दिन गेंदालाल एक मुखबिर को साथ लेकर गायब हो गये। पुलिस से बचते हुए वे भटकते फिरे और 31 दिसंबर, 1920 को दयनीय हालत में चल बसे। गेंदालाल जी के भाग निकलने पर किशोर साथियों पर विपत्ति आ गई। कुछ यातना में मारे गए, कुछ फरार हो गए। शेष दम्मीलाल, प्रभाकर, राजाराम भारतीय, गोपीनाथ, किशोरीलाल, सिद्धगोपाल, चंद्रधर, फतेह सिंह, मुकंदीलाल आदि किशोरों को लंबी सजाएं मिलीं।
[क्रांतिकारी किशोर पुस्तक से साभार संपादित अंश]
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