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    Pani Puri: महाभारत काल से जुड़ा है गोलगप्पे का इतिहास, बेहद दिलचस्प है इसकी कहानी

    By Ritu ShawEdited By: Ritu Shaw
    Updated: Wed, 12 Jul 2023 03:00 PM (IST)

    Pani Puri गोलगप्पा भारत का सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा स्ट्रीट फूड है। इस डिश को भले ही महिलाओं का पसंदीदा कहा जाता है लेकिन सच तो यह है कि पुरुष भी इसके स्वाद के आगे मजबूर हो जाते हैं। भारत में हर राज्य के पास अपनी एक खास डिश है लेकिन गोलगप्पा एक ऐसा फूड है जिसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से अपनाया गया है। जानें इसका इतिहास।

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    जानें क्या है गोलगप्पे का इसतिहास ।

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pani Puri: भारत का सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड पानी पुरी आज देश-विदेश में भी काफी मशहूर है। यहां गोलगप्पों का इतना क्रेज है कि अगर इसे स्ट्रीट फूड का राजा कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। इस डिश की खास बात यह भी है कि पिज्जा या बर्गर की तरह इसे खाने के लिए आपको जेब में मोटी रकम रखने की जरूरत नहीं है। भारत में पानी पुरी सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा मिल जाएगा। स्ट्रीट फूड होने के बावजूद महंगे से महंगे रेस्टोरेंट में भी आपको मेन्यू कार्ड में इसका नाम दिख जाएगा।

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    गोलगप्पा शब्द कहां से आया?

    पानी पुरी जिसे कई गोलगप्पे के नाम से भी जानते हैं, उसका अर्थ काफी दिलचस्प और मजेदार है। 'गोलगप्पा' शब्द को दो भागों में बांटें। 'गोल' शब्द आंटे से बने उस कुरकुरे आकार को संदर्भित करता है, जिसमें पानी और आलू को भरा जाता है और 'गप्पा' खाने की उस प्रक्रिया को दर्शाता है, जिसमें पलक झपकते ही यह मुंह के अंदर घुल जाती है। अब क्योंकि इसे एक बार में ही खाया जाता है, इसलिए इसे गोलगप्पा कहते हैं।

    हालांकि, भारत में इस डिश के अनेकों नाम हैं, जो इसे अलग-अलग क्षेत्रों से मिले हैं। हरियाणा में इसे 'पानी पताशी' के नाम से जाना जाता है; मध्य प्रदेश में 'फुल्की'; उत्तर प्रदेश में 'पानी के बताशे' या 'पड़ाके'; असम में 'फुस्का' या 'पुस्का'; ओडिशा के कुछ हिस्सों में 'गुप-चुप' और बिहार, नेपाल, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में 'पुचका'। गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाड में यह पानी पुरी के नाम से मशहूर है।

    पानी पुरी कैसे बनती है?

    खट्टे-मीठे इमली की चटनी, आलू, प्याज या छोले के मिश्रण को फुल्की में भरा जाता है और फिर ऊपर से तीखा खट्टा पानी डालकर परोसा जाता है। सालों से यह ऐसे ही चला आ रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सबसे पहले इस डिश का आविष्कार किसने किया होगा? किसने खट्टे-मीठे के बीच इतना बेहतरीन तालमेल बिठाया होगा, जो आज तक हमारी आत्मा को तृप्त कर रही है।

    गोलगप्पे का इतिहास क्या है?

    गोलगप्पे को लेकर, जो कहानी प्रचलित है, वह 'महाभारत' से जुड़ी हुई है। इसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। एक कथा के अनुसार, जब द्रौपदी शादी करके घर आईं, तो उनकी सास और पांडवों की मां कुंती ने उन्हें एक काम सौंपा। अब क्योंकि पांडव उस समय वनवास काट रहे थे, इसलिए उन्हें कम और दुर्लभ संसाधनों में ही अपना जीवन जीना पड़ता था। इसलिए कुंती उन्हें परखना चाहती थीं और यह देखना चाहती थीं कि क्या उनकी नई बहू उनके साथ रह पाएगी या नहीं।

    इसलिए उन्होंने द्रौपदी को कुछ बची हुई सब्जियां और पूड़ी बनाने के लिए कुछ पर्याप्त गेहूं का आटा दिया। इसके बाद कुंति ने द्रौपदी को कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा, जिससे उनके पांचो बेटों का पेट भर सके। ऐसा माना जाता है कि यही वह समय था जब नई दुल्हन ने गोलगप्पे का आविष्कार किया था। ऐतिहासिक रूप से, यह माना जाता है कि 'फुल्की', जिसे गोलगप्पे के नाम से भी जाना जाता है, सबसे पहले मगध में उत्पन्न हुई थी।

    हालांकि, इसका आविष्कार किसने किया इसका कोई सटीक जिक्र नहीं मिलता है। गोलगप्पे को पूरा करने में दो चीजें अहम भूमिका निभाती हैं आलू और पानी। इसके बिना यह डिश बिल्कुल बेस्वाद और अधूरी है। माना जाता है कि यह 300-400 साल पहले भारत आए थे। वहीं, खाने के इतिहासकार पुष्पेश पंत का मानना है कि गोलगप्पे की उत्पत्ति लगभग 100-125 साल पहले उत्तर प्रदेश और बिहार के आसपास हुई थी। उनके मुताबिक, हो सकता है कि गोलगप्पा राज-कचौरी से बना हो और किसी ने छोटी सी 'पूरी' बनाकर खा ली और तबसे इसे गोलगप्पे के रूप में खाया जाने लगा हो।

    गोलगप्पे का मॉडर्न रूप

    बदलते समय के साथ लोगों ने गोलगप्पे के साथ भी कई एक्सपेरिमेंट्स किए और इस देसी डिश को विदेशी टच देने की कोशिश की। महानगरों में गोलगप्पे को मसालेदार पानी की जगह स्कॉच या वाइन के साथ परोसा जाने लगा। ऐसा खासकर विदेशियों को प्रभावित करने और उन्हें लुभाने के लिए किया जाता है, जिसका नाम दिया गया 'पानी पुरी टकीला शॉट।' हालांकि, गोलगप्पे के स्वाद के साथ अनगिनत एक्सपेरिमेंट करने के बावजूद उसके क्लासिक मसालेदार टेस्ट के आगे सब फीके पड़ जाते हैं।