Sheermal History: नवाबों के शहर लखनऊ में कैसे आया शीरमाल, जानिए क्या है इस मीठे व्यंजन का इतिहास
Sheermal History अगर आप अवधी व्यंजनों के शौकीन हैं तो आपने भी शीरमाल के बारे में जरूर सुना होगा। यह थोड़ी मीठी तंदूरी केसर वाली रोटी का एक रूप है खासकर लोग रमज़ान में इफ्तार के दौरान इस व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं। इस व्यंजन को लेकर मान्यता यह भी है कि शीरमाल की उत्पति नवाब नसीरुद्दीन हैदर के शासनकाल के दौरान एक प्रयोग का परिणाम था।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Sheermal History: नवाबों का शहर लखनऊ खानपान के मामले में दुनियाभर में मशहूर है। यहां कबाब से लेकर ऐसे कई स्वादिष्ट व्यंजन हैं, जिनकी दुनिया दीवानी है। इन्हीं लज़ीज व्यंजनों में शामिल है शीरमाल। जी हां, यह व्यंजन नवाबों की नगरी में काफी प्रसिद्ध है।
अगर आप अवधी व्यंजनों के शौकीन हैं तो आपने भी 'शीरमाल' के बारे में जरूर सुना होगा। यह थोड़ी मीठी, तंदूरी केसर वाली रोटी का एक रूप है, खासकर लोग रमज़ान में इफ्तार के दौरान इस व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्यंजन की उत्पत्ति नवाबों की रसोई में हुई थी। यह डिश उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पहचान बन गई है। इस लेख में हम आपको शीरमाल के इतिहास के बारे में बताएंगे।
शीरमाल के इतिहास के बार में बात की जाए, तो कहा जाता है कि इस व्यंजन की खोज ईरान में हुई थी और यह डिश व्यापार के माध्यम से भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक आई थी। इस व्यंजन को लेकर मान्यता यह भी है कि शीरमाल की उत्पति नवाब नसीरुद्दीन हैदर के शासनकाल के दौरान एक प्रयोग का परिणाम था। दरअसल उस समय पुराने लखनऊ में एक फिरंगी महल हुआ करते थे, जो आज भी है। ईरान से आए महमूद नामक शख्स ने इसी जगह एक दुकान खोली और इसे बनाना शुरू किया।
यह व्यंजन वहां के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुई। उस दुकान पर इस व्यंजन के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। शीरमाल उस समय इतना मशहूर हुआ कि नवाब नसीरुद्दीन हैदर भी ईरानी शख्स के दुकान पर इस व्यंजन को चखने के लिए जाने लगे। उस वक्त कोई भी दावत शीरमाल के बिना अधूरा माना जाता था। इसलिए कहा जाता है कि शीरमाल की उत्पति नवाबों की रसोई में हुई थी।
यह व्यंजन पारंपरिक रूप से मैदा और केसर से बनाई जाती है, और इसमें दूध मिलाकर नरम किया जाता है। फिर इसे गोल आकार देकर भट्टी में पकाया जाता है। कई जगह इसे बनाने के लिए केवड़ा का पानी और लौंग भी मिलाते हैं। शीरमाल नवाबों के दिनों की मीठी याद दिलाती है।
आज के समय में यह लोकप्रिय मीठी व्यंजन कई अलग-अलग सामग्रियों को मिलाकर बनाई जाती है। मैदा में पानी की बजाय दूध के चीनी मिलाकर गूंथा जाता है। इसमें केसर और इलायची भी मिलाई जाती है। जिससे इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। कई लोगों ने शीरमाल को अपने व्यावसाय का भी हिस्सा बनाया है। इसे कई जगहों पर अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जाता है।
लखनऊ में एक गली है, इसे शीरमाल वाली गली के नाम से जानते हैं। इस गली को नवाबों के शासनकाल के दौरान स्थापित किया गया था। आपको यहां पूरी सड़क बेकरियों से भरी हुई नजर आएंगी। आपको इस गली में नान, बाकरखानी और ताफ्तान जैसी अन्य प्रकार की फ्लैटब्रेड भी देखने को मिलेंगे। शीरमाल को लखनऊ की सबसे मीठी रोटी के रूप में जाना जाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।