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    World savings day : बचत की सीख, सुनहरे भविष्य की नींव

    By Brahmanand MishraEdited By:
    Updated: Fri, 28 Oct 2022 02:46 PM (IST)

    पैसे की दिक्कत या महंगाई की मजबूरी तो आपने हमेशा सुनी होगी पर जिनकी है बचत की आदत वे बड़े आराम से रहते हैं। यदि आपके पास गुल्लक है तो आप जरूर कहते होंगे मेरा गुल्लक है मेरी शान जिससे गाढ़े वक्त में मिलती है मदद

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    छोटी-छोटी बूंद से सागर बनता है। हम बचत की आदत डाल लें तो वह हमारे लिए ही बेहतर होगा।

    सीमा झा । दोस्तो, दीपावली खत्म होने के बाद कुछ लोग बजट गड़बड़ा जाने की बात कर रहे हैं। पैसे की दिक्कत या महंगाई की मजबूरी तो आपने हमेशा सुनी होगी। पर जिनकी है बचत की आदत, वे बड़े आराम से रहते हैं। यदि आपके पास गुल्लक है तो आप जरूर कहते होंगे मेरा गुल्लक है मेरी शान, जिससे गाढ़े वक्त में मिलती है मदद...

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    रजत को स्टेशनरी का बड़ा शौक है। चाहे पड़ोस की दुकान हो या आनलाइन खरीदारी, वह अपने लिए एक डिजाइनर पेंसिल और शार्पनर की मांग कर देता। मम्मी को उसकी यह फिजूलखर्ची पसंद नहीं थी। हालांकि रजत अच्छा लड़का है। वह मम्मी को उनके हर जन्मदिन पर उपहार जरूर देता। पर इसके लिए उसे मम्मी से ही पैसे की मांग करनी पड़ती। मम्मी ने फिजूलखर्ची के कारण उसे खूब डांट लगायी, पर पापा ने ला दी एक गुल्लक। पापा ने पैसे का मूल्य समझाते हुए इसे 'चमत्कारी गुल्लक' नाम दिया। हर दिन जो भी जेबखर्च मिलता, रजत उसमें डाल देता। रिश्तेदारों से या कभी किसी त्योहार पर पैसे मिलते तो पापा रजत को उस गुल्लक में डालने के लिए प्रेरित करते। पर शर्त यह थी कि पैसे डालकर गुल्लक से पैसे निकालकर देखना या गिनना नहीं है। एक दिन जब रजत ने पापा से पूछा कि यह गुल्लक जादू कैसे कर सकता है? तो पापा ने बस मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा। रजत उस गुल्लक को कुछ दिन भूल गया और जब मम्मी का जन्मदिन आया तो पापा ने उसे गुल्लक खोलने की सलाह दी। रजत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस बार उसने अपने पैसों से मम्मी को उपहार लाकर दिया और जो सबसे बड़ी बात हुई वह थी उसे बचत की अहमियत समझ में आ गई।

    बचाने का महत्व

    बचत करना तो हम भारतीयों के संस्कार में पहले से ही शामिल है। आप जब छोटे थे तब आपको गुल्लक दिया जाता था। दीवाली पर कुछ लोग गुल्लक भी खरीदते हें और बचत की शुरुआत करते हैं। अंग्रेजी में एक कहावत है 'कट योर कोट एकार्डिंग टू योर हाइट' यानी अपने कोट को अपनी ऊंचाई के अनुसार काट दें। इसी तरह एक प्रचलित कहावत भी आपने सुनी होगी कि चादर के अनुसार ही अपने पांव पसारें।

    खुशियां और आपका गुल्लक

    आप सोचते होंगे कि अभी तो आपके खाने-खेलने-पढऩे की उम्र है, फिर बचत क्या करना? पर पैसे की बचत करने का अर्थ है कि आने वाले समय में आप किसी प्रकार के आर्थिक संकट से बच सकें। रजत की तरह आप बचत करके न केवल अपनों के जन्मदिन या अन्य खास मौकों पर उपहार ला सकते हैं बल्कि अपनी ही बचत से मनपसंद किताबें या जरूरी सामान खरीद सकते हैं या अपना पसंदीदा खिलौना भी खरीद सकते हैं। पते की बात तो यह है कि आप घर में अपने मम्मी-पापा की मुश्किल समय में मदद भी कर सकते हैं। इससे मिलने वाली खुशी बड़ी अनमोल होती है, एक बार जरूर आजमाएं। आप पाएंगे कि न केवल आपको खुशियां मिल रही हैं, बल्कि आप समझ जाएंगे पैसे की अहमियत भी। सेहत ही धन है, यह कहा जाता है पर आज धन सेहत के लिए जरूरी है। छोटी-छोटी बूंद से सागर बनता है। हम सब बचत की आदत डाल लें तो देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने में भी सहभागी हो सकेंगे।

    ...ताकि बेहतर हो हमारा जीवन

    बच्चों में वित्तीय साक्षरता के लिए लगातार सक्रिय संस्था '10 एक्स एजुकेशन' के फाउंडर ज्ञान तिवारी कहते हैं, 'भारत की पचास प्रतिशत आबादी की उम्र 25 वर्ष से कम है। साथ ही, हमारे पास दुनिया में सबसे बड़ी मध्यमवर्ग की आबादी है। इसके बावजूद हमारे पास वित्तीय समझ या साक्षरता बहुत कम है।' ज्ञान तिवारी के अनुसार, वित्तीय साक्षरता यानी पैसों को कैसे खर्च करना है और बचत के लिए कैसे प्रबंधन करना है यह समझ बेहतर जीवन-यापन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यदि हम न्यूनतम साक्षरता में रहते हैं तो आने वाले समय में पैसे के लिए संघर्ष करते हुए दिख सकते हैं। क्या आप ऐसा चाहेंगे? जाहिर है हमें बचत के लिए गुल्लक की अहमियत समझनी होगी। ज्ञान तिवारी यह भी कहते हैं कि खराब वित्तीय ज्ञान एक व्यक्ति को जीवन भर में अपनी कमाई का 150 प्रतिशत से अधिक खर्च करा सकता है। है न यह आंकड़ा खतरनाक?

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    विश्व मितव्ययिता दिवस

    यह दिन हर वर्ष पूरी दुनिया में 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। पहली बार इसे वर्ष 1934 में इटली के मिलान शहर में मनाया गया था। बचत के प्रति जागरूक करना इसका मुख्य उद्देश्य है ताकि हम अपना तरीका बदलें, ताकि खर्च बेहतर प्रबंधन किया जा सके। हम पैसे के खर्च को लेकर लगातार सजग रहें, तो फालतू खर्च से बच सकें। 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मृत्यु के बाद भारत में इस दिन को हर वर्ष 30 अक्टूबर को मनाया जाता है।

    कैसे करें बचत

    • सबसे पहले अपने खर्च कम करें।
    • एक बजट बना लें।
    • बुद्धिमानी से खर्च करें।
    • केवल आवश्यक सामान ही खरीदें। जो जरूरी है और जो आपकी लालसा है, उसके बीच अंतर पहचानें।

    कम उम्र में डालें बचत की आदत

    ज्ञान तिवारी, फाउंडर, 10 एक्स एजुकेशन

    बच्चे कम उम्र में अधिक अनुभव करते हैं और अपने आसपास की दुनिया के बारे में विचार व दृष्टिकोण विकसित करते हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि माता-पिता उन्हें भविष्य के लिए पैसे की एक मजबूत समझ के साथ तैयार करें। यह समझाएं कि पैसे कैसे बचाएं, खर्च करें और निवेश करें, यह अधिक सुरक्षित और स्थिर भविष्य के लिए आवश्यक है। कुछ बहुत सरल चीजें हैं जो माता-पिता अपने बच्चों को पैसे बचाने और बुद्धिमानी से खर्च करने के बारे में सिखाने के लिए कर सकते हैं। बचपन में जेबखर्च देने और बच्चों को अपने खर्चों के लिए जिम्मेदार बनाने से खरीदारी और बचत की मजबूत आदत विकसित करने में मदद मिल सकती है। बच्चों को चीजों की लागत के बारे में सिखाने और कीमतों में वृद्धि क्यों होती है, इस बारे में बताने से उन्हें पैसे के बढ़ते/घटते मूल्य को समझने में सहायता मिलेगी। माता-पिता अपने बच्चों को जीवन के शुरुआती दौर में ही उनके लिए एक बैंक खाता या निवेश योजना स्थापित करके निवेश के लाभ सिखा सकते हैं।

    डिजिटल वॉलेट, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल मुद्राओं के व्यापक उपयोग के कारण, प्रौद्योगिकी ने हमारे पैसे से निपटने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। इसका अर्थ है कि आर्थिक रूप से सुरक्षित होने के लिए बच्चों को दुनिया भर में नये जमाने की मुद्रा प्रणालियों के बारे में भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

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