Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महाराष्ट्र की लोनार झील का पानी हुआ गुलाबी, जानें-क्या कहना है स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 11 Jun 2020 06:14 PM (IST)

    महाराष्ट्र की लोनार झील का निर्माण करीब 50000 साल पहले धरती से उल्कापिंड के टकराने से हुआ था अचानक से इस झील का पानी गुलाबी हो गया जिसने सबको हैरान कर दिया।

    महाराष्ट्र की लोनार झील का पानी हुआ गुलाबी, जानें-क्या कहना है स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। महाराष्ट्र की लोनार झील के पानी का रंग अचानक बदलकर गुलाबी हो गया है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उम पड़ी है। इस झील में दुनियाभर के वैज्ञानिकों की बहुत दिलचस्पी है। लोनार झील मुंबई से 500 किमी दूर बुलढाणा जिले में है। ये झील खारे पानी की है। इसका निर्माण एक उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था। स्मिथसोनियन संस्था, संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षणसागर विश्वविद्यालय और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला ने इस स्थल का व्यापक अध्ययन किया है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह झील पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। माना जाता है कि इस झील का निर्माण करीब 50,000 साल पहले हुआ था। विशेषज्ञों के मुताबिक, अचानक पानी का रंग बदलने की वजह से लवणता तथा जलाशय में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के कवक की मौजूदगी है, जिसकी वजह से पानी गुलाबी हो रहा है।

    करीब 1.2 किमी के व्यास वाली झील के पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के बीच तरह-तरह की अफवाहें फैल रही हैं। प्रकृतिविद और वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है, जब झील के पानी का रंग बदला है, लेकिन इस बार यह एकदम साफ नजर आ रहा है। लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट के अनुसार यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है। इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है। जलाशय में शैवाल है। पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं। खराट ने बताया कि पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है। ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था। उन्होंने बताया कि लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है, क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है। जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी।

    औरंगाबाद के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख डॉ. मदन सूर्यवंशी ने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर पानी का रंग बदला है। उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें मानवीय दखल का मामला नहीं है। उन्होंने कहा पानी में मौसम के मुताबिक बदलाव आता है और लोनार झील में भी मामला यही हो सकता है। 

                      Written By Shahina Noor