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    ईश्वर के उपहार की सुगंध हैं चमेली के फूल

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Wed, 01 Mar 2023 06:51 PM (IST)

    चंद्रिका बरुआ मैप अकादमी फूलों की खुशबू से कोई दूर नहीं रह सकता। ऐसी ही एक सुगंध है चमेली के फूल की। पूरे दक्षिण एशिया में हर जगह पाए जाने वाले चमेली के फूल का विभिन्न तरीकों से व सार्थक उपयोग किया जाता है।

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    ईश्वर के उपहार की सुगंध हैं चमेली के फूल

    नई दिल्ली। दक्षिण एशिया में पाए जाने वाले चमेली के पुष्प का विभिन्न तरीकों से सार्थक उपयोग किया जाता है। मिथकों और लोककथाओं में डूबा यह पुष्प आध्यात्मिकता व त्योहारों का अभिन्न हिस्सा है। अपने अलग-अलग रूपों में चमेली के पुष्प के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास को समेटता हुआ आलेख...

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    चंद्रिका बरुआ, मैप अकादमी, फूलों की खुशबू से कोई दूर नहीं रह सकता। ऐसी ही एक सुगंध है चमेली के फूल की। पूरे दक्षिण एशिया में हर जगह पाए जाने वाले चमेली के फूल का विभिन्न तरीकों से व सार्थक उपयोग किया जाता है। त्योहारों पर महिलाएं इन फूलों से शुभ संकेतक मालाएं बनाती हैं, बालों में सजाती हैं और पूजा के दौरान ईश्वर को भी अर्पित करती हैं। दक्षिण एशियाई चित्रों में चमकते हुए सफेद फूल की ढेरों कलाकृतियां मौजूद हैं। देवताओं की मूर्तियों को इसके फूलों की मालाओं से सजाया जाता है और शादी के मंडप इन सुगंधित फूलों से महकते हैं। उपमहाद्वीप के आभूषणों और वस्त्रों में होने वाले कामों में अक्सर चमेली के फूल और कलियों की आकृति बनी होती है। मिथकों और लोककथाओं में डूबा यह फूल आध्यात्मिकता संग सामूहिक त्योहारों का भी अभिन्न हिस्सा बन गया है। अपने अलग-अलग रूपों में चमेली का फूल दक्षिण एशियाई सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के विविध इतिहास को समेटे हुए है।

    परिवेश हो जाता है जीवंत

    चमेली को अंग्रेजी में ह्यजैस्मिनह्ण कहते हैं। अंग्रेजी शब्द ह्यजैस्मिनह्ण अरबी शब्द ह्ययास्मीनह्ण से आया है, जिसका अर्थ है ह्यईश्वर का उपहारह्ण। फारसी में यास्मीन का अर्थ ह्यसुगंधह्ण होता है। इस फूल के कई प्रकार होने के साथ-साथ इसके अनोखे स्थानीय नाम भी हैं, जैसे मल्लिकी, जय, तगर, मोगरा, मोती, जूही, कुंड आदि। ये फूल जब वसंत ऋतु में अपनी पूरी आभा में खिलते हैं तो इनकी मीठी गंध और मोहक उपस्थिति से आस-पास का परिवेश जीवंत हो उठता है। अपनी व्यापक और स्थायी सुगंध के कारण चमेली के फूल को प्यार के देवता कामदेव के साथ भी जोड़ा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि चमेली उन पांच फूलों में से एक है जो कामदेव के प्रेमबाण में शामिल हैं।

    राजघरानों की पसंद

    चमेली का फूल एक बहुत पसंदीदा, प्रतिष्ठित और सुगंधित फूल है, जो हमारे आंगन में उगता, खिलता है और लगभग पूरे वर्ष खिलने के लिए तैयार रहता है। इस फूल की बहुमुखी प्रतिभा यह सुनिश्चित करती है कि इसे वर्षों से कई संदर्भों में उपयोग किया जाता रहा है। इसका इस्तेमाल राजघरानों में नहाने के पानी को सुगंधित करने से लेकर पूजा के लिए शुभ वातावरण बनाने और चाय को महकाने के लिए भी किया जाता रहा है।

    जीआई टैग भी हुआ हासिल

    चमेली के फूलों की उपस्थिति वैदिक युग से ही दर्ज होती आई है। इसकी खेती पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में मदुरई शहर के आसपास शुरू की गई थी। चमेली का एक विशिष्ट प्रकार मदुरई में पाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में मदुरई मल्लिगई के नाम से जाना जाता है। इसके मोमनुमा, सफेद और लंबे फूल होते हैं जो चमेली के फूल की अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा सुगंधित भी होते हैं। यहां तक कि चमेली के फूलों की इस प्रजाति को भारत सरकार से भौगोलिक (जीआई) टैग भी प्राप्त हुआ है।

    सुबह-शाम की गंध अलग

    समय के साथ चमेली के फूलों की सुगंध सिंधु घाटी सभ्यता की इत्र की भट्टियों तक भी पहुंच गई। चमेली के तेल, चंदन और गुलाब जल के मिश्रण से बना पारंपारिक इत्र शाही घरानों में पसंदीदा रहा है। इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश के कन्नौज में किया गया, जो ऐतिहासिक रूप से इत्र के लिए मशहूर है। इन फूलों को सामान्यत: बिल्कुल सवेरे ही तोड़कर डिस्टिल किया जाता है ताकि वे अपनी ताजगी और सुगंध बरकरार रख पाएं। इनकी सुगंध सुबह फूलों जैसी और शाम तक फलों जैसी हो जाती है। चूंकि फूल बहुत नाजुक होते हैं, इसलिए इत्र बनाने की प्रक्रिया में बड़ी निपुणता, सूक्ष्मता और जानकारी की आवश्यकता होती है।

    लग्जरी परफ्यूम में भी दीवानगी

    जब लग्जरी परफ्यूम बनाने वाले केमिस्टों ने नए नुस्खों को विकसित करना चाहा तो उन्होंने चमेली की दो किस्मों- सांबैक और ग्रैंडिफ्लोरम की ओर रुख किया। गुच्ची, बुलगरी और वर्साचे से लेकर शनेल तक अधिकांश लग्जरी ब्रांडों के प्रदर्शन की सूची में चमेली से बने इत्र और तेल शामिल होते हैं। बताया जाता है कि चमेली की पैदावार को सुरक्षित करने लिए शनेल ने फ्रांस के ग्रास में जमीन भी खरीदी है।

    (सौजन्य: https://map-academy.io)