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    2019 Bakrid Mubarak Shayari: ईद के मौके पर पढ़ें और शेयर करें ये 10 खूबसूरत शेर...

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Mon, 12 Aug 2019 10:52 AM (IST)

    2019 Bakrid Mubarak Shayari कभी वो ईद का चांद देख महबूब की तलाश करता है तो कभी सब को ख़ुश देख महबूब को याद करता है। ईद से जुड़े तमाम एहसासों को शायरों ने ऐसे ही कलमबन्द किया है।

    2019 Bakrid Mubarak Shayari: ईद के मौके पर पढ़ें और शेयर करें ये 10 खूबसूरत शेर...

    नई दिल्ली, जेएनएन। 2019 Bakrid Mubarak Shayari: ईद उल फितर के तकरीबन दो महीने 10 दिन बाद ईद-अल-अज़हा या ईद-उल-ज़ोहा मनाई जाती है। मुसलमान समुदाय साल में दो ईद मनाते हैं। पहली ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है जबकि दूसरी ईद अल अज़हा। भारत में इस ईद को आम ज़ुबान में मीठी ईद या सेवई वाली ईद भी कहा जाता है।  ये ईद इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने ज़िलहिज्ज की दसवीं तारीख को मनाई जाती है।
    ईद का त्योहार खुशियों का त्योहार है। इस मौक़े पर लोग अपने सारे गिले शिकवे मिटाकर ख़ुशियां मनाते हैं। आपस में गले मिलते हैं। लेकिन आशिकों के लिए ख़ुशी का ये मौका भी एक दूसरी ही सूरत लेकर आता है। महबूब के दीदार न होने पर उसके लिए ये ख़ुशी और ज़्यादा दुख भरी हो जाती है। कभी वो ईद का चांद देख कर उस में महबूब के चेहरे की तलाश करता है तो कभी सब को ख़ुश देख कर महबूब से फ़िराक़ की बद-नसीबी पर रोता है। ईद से जुड़े तमाम एहसासों को शायरों ने ऐसे ही कलमबन्द किया है। ईद पर कही जाने वाली शायरी में और भी कई दिल-चस्प पहलू हैं। पेश हैं ईद के मौके पर कुछ चुनिंदा शेर।

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    भारत में कब है ईद अल अज़हा?
    भारत सहित आस पास के देशों (पाकिस्तान और बांग्लादेश) में ईद अल अज़हा 12 अगस्त 2019 यानि दो दिन बाद मनाई जाएगी। वहीं, सउदी अरब और बाकि के अरब देशों में यह 11 अगस्त 2019 यानि रविवार को ही मना ली जाएगी।

    क्यों मनाई जाती है ईद अल अज़हा?
    ये ईद मुसलमान समुदाय के पैग़म्बर और हज़रत मोहम्मद के पूर्वज हज़रत इब्राहिम की क़ुर्बानी को याद करने के लिए मनाई जाती है। मुसलमान समुदाय का विश्वास है कि अल्लाह ने इब्राहिम की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी मांगी थी। इब्राहिम ने अपने जवान बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का फैसला कर लिया। लेकिन वो जैसे ही अपने बेटे को कुर्बान करने वाले थे अल्लाह ने उनकी जगह एक दुंबे को रख दिया। अल्लाह सिर्फ उनकी परीक्षा ले रहे थे।

    दुनिया भर में मुसलमान समुदाय इसी परंपरा को याद करते हुए ईद-अल-अज़हा या ईद-उल-ज़ोहा मनाते हैं। इस दिन किसी जानवर (जानवर कैसा होगा इसकी भी ख़ास शर्ते हैं) की कुर्बानी दी जाती है। इसीलिए भारत में इसे बकरीद भी कहा जाता है।

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