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    Dabeli History: महाराष्ट्र में कैसे लोकप्रिय हुई गुजरात की यह डिश, जानें क्या है दाबेली का चटपटा इतिहास

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Sat, 29 Jul 2023 03:48 PM (IST)

    Dabeli History भारत के कई व्यंजनों का स्वाद देश ही नहीं विदेश में भी काफी पंसद किया जाता है। दाबेली इन्हीं व्यंजनों में से एक है पूरे देशभर में लोग बड़े चाव से खाते हैं। कई लोगों को यह महाराष्ट्र की डिश लगती है लेकिन असल में यह एक गुजराती डिश है। अगर यह जान आप हैरान हो गए हैं तो आइए जानते हैं दाबेली का दिलचस्प इतिहास-

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    जानें कैसे महाराष्ट्र की पसंद बनी यह गुजराती डिश

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dabeli History: अपनी संस्कृति और विविधताओं के लिए मशहूर भारत दुनिया भर में अपने खानपान के लिए भी जाना जाता है। यहां मिलने वाले व्यंजनों का स्वाद देश ही नहीं विदेश में भी लोगों को खूब भाता है। यहां हर राज्य आपका अपना अलग स्वाद है। स्ट्रीट फूड्स हो या फिर मिठाइयां यहां हर एक व्यंजन का अपनी अलग खासियत है। वैसे तो भारत के हर राज्य का अपना अलग स्वाद है, लेकिन अगर खानपान की बात हो, तो गुजरात का जिक्र किए बिना बात अधूरी रह जाती है।

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    देश-दुनिया में मशहूर गुजरात का खाना

    अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए मशहूर गुजरात का खाना देश-दुनिया में काफी मशहूर है। यहां के कई सारे व्यंजन जैसे ढोकला, खाखरा, फाफड़ा, खांडवी को देश-विदेश में लोग बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन इस राज्य की एक डिश ऐसी भी है, जो गुजरात की होते हुए भी दूसरे राज्य में ज्यादा मशहूर है। यही वजह है कि कई लोग इसे गुजरात की जगह दूसरे राज्य का व्यंजन समझते हैं। हम बात कर रहे हैं चटपटी दाबेली की, जिसका स्वाद एक बार चख लिया जाए, तो भूला नहीं जाता है।

    आमतौर पर आपको यह व्यंजन महाराष्ट्र में ज्यादा खाने को मिलेगा, लेकिन गुजरात की यह डिश आखिर कैसे महाराष्ट्र पहुंची और वहां लोकप्रिय कैसे हुई। इसके पीछे बेहद दिलचस्प इतिहास है। अगर आप भी दाबेली खाने के शौकीन हैं और अक्सर इसका स्वाद चखते रहते हैं, तो आज हम आपको मसालेदार व्यंजन का चटपटा इतिहास बताने जा रहे है।

    दाबेली का इतिहास

    दाबेली एक मसालेदार और तीखा स्ट्रीट फूड है, जिसे कच्छी दाबेली के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर महाराष्ट्र के कई शहरों में इसे बतौर स्ट्रीट फूड बड़े चाव से खाया जाता है। यह देखने में काफी हद तक महाराष्ट्रीयन वडा पाव की तरह लगती है, लेकिन कई लोग इसे देसी बर्गर के नाम से भी बुलाते हैं। अगर बात करें इसके इतिहास की, तो सबसे पहले दाबेली गुजरात में बनाई गई थी। इस व्यंजन को परोसने से पहले बन को कुचल दिया जाता है, इसलिए इसे दाबेली कहा जाता है, जिसका गुजराती में अर्थ होता है दबाया हुआ।

    कैसे हुई दाबेली की शुरुआत?

    इस व्यंजन का मूल नाम कच्छी दाबेली है, जो कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र के आधार पर रखा गया है। वहीं बात करें इसके उत्पत्ति की, तो सबसे पहले 1960 के दशक में गुजरात के कच्छ क्षेत्र के एक छोटे से शहर मांडवी में इसे बनाया गया था। इस व्यंजन का आविष्कार वहां के एक स्ट्रीट वेंडर के केशव जी मालम ने अपनी दुकान पर किया था। इस दौरान यह दाबेली एक आने में बेची जाती थी। आज भी इस क्षेत्र में यह दुकान मौजूद है, जिससे केशव जी के परिवार वाले चला रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि गुजरात में बनाई गई यह डिश आखिरकार महाराष्ट्र तक कैसे पहुंचे और कैसे यह लोकप्रिय हुई?

    गुजरात से कैसे पहुंची महाराष्ट्र?

    दरअसल, तत्कालीन बंबई का विभाजन होने के बाद यह क्षेत्र महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजित किया गया। इस बंटवारे के साथ ही लोगों ने पलायन किया और लोगों के साथ दाबेली भी कुछ से महाराष्ट्र पहुंच गई और तभी से यह यहां एक पसंदीदा स्ट्रीट फूड बनी हुई है। समय के साथ दाबेली की लोकप्रियता भी बढ़ती गई और यह सीमाओं को पार कर भारत के कई राज्यों में बतौर स्ट्रीट फूड पसंद की जाने लगी। इतना ही नहीं अलग-अलग जगहों पर विक्रेताओं ने इसे अलग-अलग तरीके से बनाना शुरू कर दिया।

    इन राज्यों में भी मशहूर दाबेली

    मौजूदा समय में आप पनीर दाबेली, माटुंगा दाबेली, ड्राई फ्रूट्स दाबेली जैसी इसकी कई वैराइटीज का लुत्फ उठा सकते हैं। गुजरात में बनाई गई यह डिश मौजूदा समय में महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और राजस्थान में भी मिलती है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में भी इस व्यंजन को बड़े चाव से खाया जाता है।

    Picture Courtesy: Freepik

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