Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar)

    By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni Upadhyay
    Updated: Thu, 13 Apr 2023 06:22 PM (IST)

    बाबासाहेब को प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई हुई थी लेकिन इन सबके बावजूद भी आंबेडकर ने उच्च शिक्षा हासिल की और देश के पहले कानून मंत्री बने। उन्होंने दलित समाज के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। सामाजिक भेदभाव के खिलाफ भी अभियान चलाए।

    Hero Image
    Dr. Bhimrao Ambedka: डॉ. भीमराव आंबेडकर का जीवन परिचय

    डॉ. भीमराव आंबेडकर एक वकील, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ के साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जीवन भर समाज में अनुसूचित वर्ग को समानता दिलाने के लिए संघर्ष किया। यही वजह है कि हर साल 14 अप्रैल के दिन देशभर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। उन्हें बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बाबासाहेब आंबेडकर का प्रारम्भिक जीवन

    डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू छावनी में हुआ था, बचपन का नाम भिवा था। इनके पिताजी का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई मुरबादकर था। वो अपने माता-पिता के आखिरी और 14वीं संतान थे।

    आंबेडकर के पिता कबीर पंथी थे। इसलिए महार जाति के होने की वजह से बाबासाहेब के साथ बचपन से ही भेदभाव शुरू हो गया था। उन्हें प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई हुई थी, लेकिन इन सबके बावजूद भी आंबेडकर ने उच्च शिक्षा हासिल की और देश के पहले कानून मंत्री बने।

    यहां से मिली थी शिक्षा

    भीमराव आंबेडकर की शुरुआती पढ़ाई सतारा में हुई। उन्होंने 1907 में दसवीं पास की। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें बॉम्बे के एल्फिन्स्टन कॉलेज जाने का मौका मिला। उन्होंने 1912 में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। साल 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका से उन्हें पीएच.डी. की उपाधि भी मिली।

    दलित समाज के लिए किया जीवन समर्पित

    बाबासाहेब ने दलित समाज के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान भी चलाए। दरअसल, भीमराव आंबेडकर को बचपन में ही छुआछूत का सामना करना पड़ा था। उन्हें स्कूल में एक कोने में अकेले बैठना पड़ता था। आंबेडकर जिस बोरे पर बैठते थे, उस बोरे को स्कूल की सफाई करने वाला नौकर भी नहीं छूता था, क्योंकि वे दलित समाज से आते थे और अछूत माने जाते थे।

    जब वे मुंबई में सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर बने, तो वहां भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा। डॉ. आंबेडकर ने समाज में छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने का अथक प्रयास किया।

    संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष बने

    डॉ. आंबेडकर को अगस्त 1947 में भारत के संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान को तैयार करने में उन्हें 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे। 1952 में उन्हें राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और अपनी मृत्यु तक बाबासाहेब इस सदन के सदस्य रहे।

    डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कई किताबें भी लिखीं। उनकी लिखी आखिरी किताब 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्म' थी। इस किताब को पूरा करने के तीन दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को आंबेडकर का निधन हो गया।

    डॉ. भीमराव आंबेडकर ने एक शिक्षक, पदाधिकारी, समाजसेवक, पत्रकार, राजनेता, संविधान निर्माता, दार्शनिक, विचारक, वक्ता आदि रूपों में समाज और देश की सेवा कर अनूठी छाप छोड़ी।