शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को क्यों लगाते हैं हल्दी? कम ही लोग जानते हैं इसके पीछे छिपे राज
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लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शादी... भारतीय संस्कृति का एक ऐसा अटूट बंधन जहां सिर्फ दो लोग नहीं, बल्कि दो परिवार और ढेरों रस्में एक साथ आती हैं। इन्हीं में से एक है हल्दी की रस्म, जिसे आपने हर शादी में देखा होगा। दूल्हा और दुल्हन को शादी से कुछ दिन पहले हल्दी लगाई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे क्या रहस्य छिपा है (Why Haldi Before Wedding)?
ये सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि इसके पीछे कई अनजाने राज हैं जो हमारी दादी-नानी के समय से चले आ रहे हैं। आइए, आज हम उन छिपे हुए कारणों (Haldi Rasam Significance) को उजागर करते हैं कि आखिर क्यों शादी से पहले हल्दी लगाना इतना जरूरी माना जाता है।
ब्यूटी से कहीं बढ़कर है हल्दी की रस्म
भारतीय परंपरा में हल्दी को सिर्फ एक मसाले के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि इसे एक पवित्र औषधि माना गया है। आयुर्वेद और वेदों में इसका उल्लेख ‘हरिद्रा’ के रूप में हुआ है, जो शुद्धिकरण और सुरक्षा का प्रतीक है।
जब दुल्हन के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है, तो उसका अर्थ होता है- “अब पिछला सब पीछे छोड़ दो। नया जीवन शुरू करो, पूरी तरह से तैयार होकर।” बता दें, यह त्वचा की चमक से ज्यादा, मन की सफाई का संकेत है। जैसे जन्म या मृत्यु से पहले शुद्धिकरण होता है, वैसे ही विवाह से पहले यह तैयारी होती है।
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मिलती है जिंदगी की सीख
हल्दी की रस्म में कोई कोई मेकअप आर्टिस्ट नहीं आता। कपड़े पुराने होते हैं, फर्श पर बैठना होता है और हर जगह इसके दाग भी फैल जाते हैं, लेकिन असल मायने में यही तो इसकी खूबसूरती है। बता दें, यह रस्म कहती है- जिंदगी हमेशा सलीकेदार नहीं होगी, प्यार हमेशा फिल्मी नहीं होगा।
इसलिए हमें गड़बड़ की आदत भी डालनी चाहिए, क्योंकि यही असली जिंदगी है। यह एक लड़की से स्त्री बनने का वो अनकहा लम्हा है, जहां सब कुछ कंट्रोल में नहीं होता। यह स्वीकार करने का समय होता है कि अपूर्णता भी सुंदर होती है।
दर्शाती है अपनों का साथ
हल्दी की रस्म में दुल्हन के आसपास उसकी बहनें, चाचियां, मौसियां, सहेलियां इकट्ठा होती हैं। हर कोई हल्दी का एक हिस्सा अपने हाथ में लेकर उसे उसके चेहरे, हाथ, पांव पर लगाता है। यानी यह सिर्फ रस्म नहीं, एक इमोशनल कनेक्शन होता है।
हर टच के साथ आशीर्वाद भी होता है, जो याद दिलाता है कि “हम सब तुम्हारे साथ हैं।” यह सामूहिक ऊर्जा, एक तरह से उस सकारात्मक शक्ति का संकल्प होता है, जो आगे के जीवन के लिए दुल्हन को आशीर्वाद देती है।
जमीन से जुड़े होने का संकेत
आज के समय में जहां शादियां मंच की तरह हो गई हैं, हल्दी की रस्म आपको जमीन पर वापस लाती है। दुल्हन साधारण कपड़ों में, पांव मोड़कर जमीन पर बैठती है। बता दें, भारतीय परंपरा में पृथ्वी को मां माना गया है। यही कारण है कि पूजा-पाठ से लेकर विवाह तक, हर पवित्र कार्य जमीन पर बैठकर ही होता है।
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