क्यों कुछ मौकों पर चुप्पी साधना ही है सबसे बड़ा हथियार? जुबान खोलने से बिगड़ सकती है बात
सोचिए जब गुस्से में दिमाग काम न कर रहा हो या जब सामने वाला सुनने के मूड में ही न हो- ऐसे में शब्दों का वार उल्टा आप पर ही भारी पड़ सकता है। कई बार हालात ऐसे होते हैं कि चुप रहना ही सबसे ताकतवर जवाब बन जाता है। लेकिन सवाल यह है कि किन मौकों पर चुप्पी सबसे असरदार होती है (When Silence is Best)? आइए जानें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Why Silence is Powerful: कहते हैं, "चुप रहना भी एक कला है," और यह बात कई बार सच साबित होती है। हर परिस्थिति में जवाब देना जरूरी नहीं होता, क्योंकि कई बार शब्द से ज्यादा चुप्पी की ताकत होती है। जब आप गुस्से में होते हैं, जब हालात आपके खिलाफ होते हैं, या जब कोई आपकी परीक्षा ले रहा होता है- तब बोलने की बजाय चुप रहना ही सबसे समझदारी भरा कदम साबित हो सकता है।
ऐसे में, सवाल यह है कि किन मौकों पर चुप रहना फायदेमंद होता है? आइए जानते हैं वो परिस्थितियां (When Silence is Best), जब जुबान खोलने की बजाय चुप्पी साध लेना ही सबसे बड़ा हथियार साबित होता है।
जब बहस से न निकले कोई हल
अगर कोई बहस सिर्फ बढ़ती जा रही है और सामने वाला आपकी बात सुनने को तैयार ही नहीं है, तो चुप रहना ही बेहतर है। बेवजह की बहस न केवल रिश्तों में दरार डालती है बल्कि मानसिक शांति भी छीन लेती है।
कोई जानबूझकर आपको उकसा रहा हो
कुछ लोग दूसरों को गुस्सा दिलाने और उनका धैर्य परखने के लिए उकसाते हैं। ऐसे में यदि आप भी रिएक्शन देने लगें, तो वे अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। इसलिए, ऐसे लोगों के सामने चुप रहना ही सबसे अच्छा जवाब होता है।
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भावनाओं पर न हो काबू
गुस्से या दुख में कही गई बातें अक्सर पछतावे का कारण बनती हैं। जब भी आपको लगे कि आपकी फीलिंग्स कंट्रोल से बाहर हो रही हैं, तो बेहतर है कि कुछ देर के लिए चुप रहकर खुद को संभालें।
सुनने के मूड में न हो सामने वाला
अगर कोई व्यक्ति पहले से ही अपनी सोच पर अड़ा हुआ है और आपकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में बोलने का कोई फायदा नहीं। चुप रहना ही आपकी ऊर्जा बचाने और अनावश्यक विवाद से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
चुप्पी सिखा सकती हो सबक
कई बार शब्दों से ज्यादा चुप्पी असरदार होती है। जब कोई आपकी बात को हल्के में लेने लगे या बार-बार आपको तकलीफ पहुंचाए, तो अपनी नाराजगी दिखाने के लिए चुप रहना ही सबसे अच्छा तरीका होता है।
हर परिस्थिति में बोलना जरूरी नहीं होता। कभी-कभी चुप्पी एक ऐसा हथियार होती है, जो हालात को काबू में रखने में मदद कर सकती है। बुद्धिमान वही होता है, जो यह समझे कि कब बोलना है और कब चुप रहना है। अगली बार जब किसी मुश्किल स्थिति में हों, तो जरूर सोचिएगा- क्या इस वक्त बोलने से हालात बेहतर होंगे या चुप रहना ही सही रहेगा?
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