Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या सचमुच आंसू बहाना है कमजोरी की निशानी या फिर इन्हें माना जाता है मजबूत दिल का संकेत?

    Updated: Sun, 16 Mar 2025 07:46 PM (IST)

    आंसू... ये छोटी-छोटी बूंदें जो हमारी आंखों से गिरती हैं क्या वाकई हमारी कमजोरी को दर्शाती हैं? या फिर ये हमारी भावनाओं की गहराई और हमारे मजबूत दिल की पहचान हैं? समाज में अक्सर यह धारणा बनी रहती है कि रोना कमजोरी का संकेत है खासकर जब पुरुषों की बात आती है। लेकिन क्या यह सच है? आइए विस्तार से जानते हैं (Benefits Of Crying)।

    Hero Image
    क्या आंसू बहाना कमजोरी को दर्शाता है? जानें क्या कहता है इसका साइंस (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Benefits Of Crying: जब भी कोई रोता है, तो लोग अक्सर कहते हैं – "इतना कमजोर मत बनो!" या फिर "मजबूत बनो, आंसू मत बहाओ!" लेकिन क्या सच में रोना कमजोरी की निशानी है? अगर ऐसा होता, तो प्रकृति हमें यह खूबसूरत तोहफा ही क्यों देती?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिलचस्प बात यह है कि आंसू सिर्फ दुख या दर्द की पहचान नहीं होते, बल्कि ये खुशी, प्रेम, अपनापन और गहरे जुड़ाव का प्रतीक भी होते हैं। फिर भी, समाज में आंसू बहाने को कमजोरी समझा जाता है।

    पर क्या रोना वाकई इंसान को कमजोर बना देता है? या फिर यह उसकी भावनात्मक गहराई और मानसिक ताकत का संकेत है? आइए, इस विषय (Crying And Mental Health) पर गहराई से बात करते हैं और जानते हैं कि रोना कमजोरी है या फिर अंदरूनी मजबूती (Emotional Strength) की पहचान।

    आंसू बहाने का विज्ञान

    क्या आप जानते हैं कि जब हम रोते हैं, तो हमारा शरीर एक खास तरह का केमिकल रिलीज़ करता है, जिससे तनाव कम होता है? वैज्ञानिकों का कहना है कि रोना सिर्फ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी है।

    हमारे आंसू तीन तरह के होते हैं:

    • बेसल टियर्स: ये हमारी आंखों को नमी और सुरक्षा देने के लिए हर समय मौजूद रहते हैं।
    • रिफ्लेक्स टियर्स: ये तब निकलते हैं जब धूल या प्याज काटने जैसी चीजें आंखों में जलन पैदा करती हैं।
    • इमोशनल टियर्स: ये भावनाओं के कारण निकलते हैं और तनाव से राहत देने वाले हार्मोन को रिलीज़ करने में मदद करते हैं।

    इमोशनल टियर्स का सीधा संबंध हमारी भावनाओं और दिमाग की केमिस्ट्री से होता है। यही कारण है कि जब हम रोते हैं, तो हमें हल्का और सुकून महसूस होता है।

    यह भी पढ़ें- सुबह उठकर मोबाइल छूने से पहले करें ये 5 काम, दिनभर रहेंगे खुश और तरोताजा

    क्या रोना सच में कमजोरी है?

    समाज में अक्सर यह धारणा बनी रहती है कि रोना कमजोरी का प्रतीक है, खासकर पुरुषों के लिए। "मर्द को दर्द नहीं होता" जैसे जुमले बचपन से ही हमें सिखाए जाते हैं, जिससे यह सोच विकसित हो जाती है कि रोना केवल कमजोर लोगों की निशानी है। लेकिन अगर ऐसा होता, तो क्या इतिहास के महान और ताकतवर व्यक्तित्वों ने कभी आंसू नहीं बहाए होते?

    महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला – ये सभी ऐसे नेता थे जिन्होंने दुनिया को बदला, और वे भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से नहीं डरते थे। वास्तव में, जो लोग रोने से डरते हैं, वे अक्सर अपने इमोशंस को दबाते हैं, जिससे मानसिक तनाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।

    मजबूत दिल वालों की पहचान

    वास्तव में, रोने की हिम्मत सिर्फ उन्हीं में होती है जो अपनी भावनाओं को स्वीकार करना जानते हैं। जो लोग रोते हैं, वे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझते हैं और दूसरों के दर्द को भी महसूस कर सकते हैं। ऐसे लोग ज्यादा दयालु, संवेदनशील और मानसिक रूप से मजबूत होते हैं।

    कई साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि रोने वाले लोग अपनी जिंदगी को ज्यादा गहराई से जीते हैं। वे दर्द को सहने के बजाय उसे व्यक्त करके हल्का महसूस करते हैं, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

    रोना और मेंटल हेल्थ का कनेक्शन

    आजकल मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, और इसमें रोने की भूमिका को भी जरूरी माना जाता है। जो लोग खुलकर रोते हैं, वे डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक समस्याओं से जल्दी उबर सकते हैं।

    एक रिसर्च के मुताबिक, जो लोग अपनी भावनाओं को दबाकर रखते हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस और अन्य मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, जो लोग समय-समय पर रो लेते हैं, वे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते हैं और मानसिक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं।

    आंसू कमजोरी नहीं...

    अब जब अगली बार आपकी आंखों में आंसू आएं, तो उन्हें रोकने की कोशिश न करें। बल्कि उन्हें बहने दें, क्योंकि ये सिर्फ आपकी भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि आपके मजबूत दिल की निशानी हैं। एक सच्चा मजबूत इंसान वही होता है, जो अपनी भावनाओं को दबाने के बजाय उन्हें स्वीकार करता है और खुलकर जीता है।

    यह भी पढ़ें- क्या है Girlhood Fomo, 30 की उम्र के बाद महिलाओं में देता है अकेलेपन की आहट, ऐसे निकलें इससे बाहर