International Labour Day 2025: मजदूरों को कौन-कौन से हक देता है कानून? जानिए 1 मई से जुड़ी अहम बातें
मजदूर दिवस केवल छुट्टी का दिन नहीं बल्कि उन हाथों को सम्मान देने का भी दिन है जो लोगों के लिए आशियाना बनाने का काम करते हैं। बोझ उठाते हैं और देश की नींव मजबूत करते हैं। इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करेंगे और उन्हें एक सुरक्षित सम्मानजनक जीवन देने के लिए आवाज उठाएंगे।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे- कामगार दिवस, श्रम दिवस, श्रमिक दिवस और मई दिवस। दरअसल, इस दिन श्रमिकों के योगदान की सराहना की जाती है। इसके अलावा लोगों को मजदूरों की परिस्थितियों और समस्याओं से भी अवगत कराया जाता है।
हमारे संविधान में मजदूर को सम्मानजनक काम और मजदूरी देने के साथ-साथ कानून ने संरक्षण दिया है। काम का अधिकार और पूरी मजदूरी देने का प्रावधान कर शोषण से बचाने के लिए अलग से ही श्रम विधि का गठन कर शोषणकर्ता को दंड का प्रावधान भी किया गया है, तो आज हम इस लेख में मजदूरों के लिए भारत में बनाए गए कानून के बारे में जानेंगे। साथ ही हम आपको इस दिन के इतिहास के बारे में भी जानकारी देंगे। आइए जानते हैं विस्तार से-
मजदूर दिवस का इतिहास
1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने 8 घंटे काम करने की मांग को लेकर आंदोलन कर दिया था। इस आंदोलन के दौरान कई मजदूरों की मौत हो गई थी। उनकी कुर्बानी के ही सम्मान में हर साल एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मान्यता मिली। भारत की बात करें तो इस देश में पहली बार 1923 में चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया था।
भारत में मजदूरों के लिए मुख्य कानून
अभय द्विवेदी, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ ने बताया कि भारत में मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं। ये कानून सरकार द्वारा समय-समय पर संशोधित भी किए जाते हैं ताकि मजदूरों को बेहतर सुविधाएं और अधिकार मिल सकें।
श्रम संहिताएं (Labour Codes)
2020 में भारत सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर चार नई श्रम संहिताएं बनाईं थीं। इनमें ये प्रमुख हैं-
- वेतन संहिता (Code on Wages, 2019): इसमें न्यूनतम वेतन, समय पर वेतन भुगतान और एक समान वेतन का प्रावधान है।
- औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code, 2020): इसमें मजदूर संगठनों, हड़तालों और नौकरी से निकाले जाने के नियमों को स्पष्ट किया गया है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code, 2020): इस कानून में ईएसआई, पीएफ, मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाएं आती हैं।
- कार्यस्थल सुरक्षा और कार्यदशा संहिता (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020): यह मजदूरों के सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण की गारंटी देता है।
मनरेगा (MGNREGA)
रूरल एरियाज में काम देने के लिए भारत सरकार की यह योजना हर साल करोड़ों मजदूरों को 100 दिन का गारंटीड रोजगार देती है।
बाल श्रम निषेध अधिनियम
14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना अपराध है।
बोनस और ग्रेच्युटी कानून
तय समय तक काम करने पर मजदूरों को बोनस और सेवा के बाद ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।
न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948
यह अधिनियम तय करता है कि मजदूरों को न्यूनतम वेतन मिले। किसी भी प्रकार से उनका शोषण न किया जा सके।
वेतन भुगतान अधिनियम, 1936
यह कानून बताता है कि आपको आपका वेतन कब और कैसे मिलेगा।
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
यह कानून बताता है कि अगर मालिक और कर्मचारियों के बीच कोई झगड़ा होता है, तो उसे कैसे सुलझाया जाएगा।
कार्यस्थल पर मुआवजा अधिनियम, 1923
यह अधिनियम काम के दौरान घायल हुए मजदूरों को मुआवजा दिलाने की व्यवस्था करता है।
कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952
इस कानून के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट सेविंग्स के रूप में प्राेविडेंट फंड (PF) की व्यवस्था की जाती है।
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कारखाना अधिनियम, 1948
यह अधिनियम फैक्ट्रियों में काम की स्थिति, घंटे और सुरक्षा से संबंधित नियमों को नियंत्रित करता है।
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
यह कानून गर्भवती महिलाओं को मैटरनिटी लीव और वेतन सहित छुट्टियां प्रदान करता है।
समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
यह कानून तय करता है कि पुरुष और महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम
यह अधिनियम कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं, जैसे स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है।
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