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    आखिर क्यों यूरोपीय देशों में कम देखने को मिलती हैं ऊंची इमारतें

    Updated: Sun, 28 Jul 2024 03:08 PM (IST)

    किसी भी विकसित देश की कल्पना करते हैं तो दिमाग में ऊंची-ऊंची इमारतों की तस्वीर बनती है लेकिन आर्थिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद यूरोपीय देशों में ऊंची इमारतें बड़ी मुश्किल से मिलती हैं। ऐसे क्या कारण हैं कि यूरोपीय देशों में ऊंची इमारतें नहीं बनाई जातीं और कुछ जगहों पर तो इन्हें बनाना गैर-कानूनी भी है। आइए जानें इसकी वजह।

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    क्यों दुनिया की 1000 सबसे ऊंची इमारतों में यूरोप से मात्र 7 बिल्डिंग ही हैं? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कोई भी देश कितना प्रगतिशील है, इसका अंदाजा अक्सर वहां की बड़ी इमारतों और मीनारों को देखकर लगाया जाता है। जिस देश में जितनी ज्यादा ऊंची बिल्डिंग होती हैं, उसे उतना विकसित समझा जाता है। इसलिए ही तो दुनियाभर में हर जगह स्काईस्क्रेपर्स का चलन शुरू हो गया है। अपने यहां भी शहरों में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स खड़ी की जा रही हैं, जिन्हें देखने के लिए आपको अपनी गर्दन आकाश की ओर उठानी पड़ती है। हालांकि, यूरोरीय देशों को देखा जाए, तो वहां पर विकास की परिभाषा कुछ और है।

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     (Picture Courtesy: Freepik)

    सांस्कृतिक धरोहर को महत्व

    यूरोपीय देशों में आपको काफी कम ऊंची बिल्डिंग या स्काईस्क्रेपर देखने को मिलेंगे। इसके पीछे की वजह यह है कि वे अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को बहुत महत्व देते हैं। आपको बता दें कि विकास का पैमाना नापने के लिए अगर जीडीपी की बात की जाए, तो यूरोपीय देशों की कुल जीडीपी लगभग 19.35 ट्रिलियन डॉलर है। यानी दुनिया की कुल जीडीपी का 15 प्रतिशत यूरोपीय देशों का योगदान है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि फिर वहां ज्यादा ऊंची इमारतें नहीं बनाई जाती हैं।

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    1000 में से सिर्फ 7 ऊंची इमारतें यूरोप की हैं

    यूरोप में ऊंची इमारते न बनाने की सबसे बड़ी वजह है कि वहां के देश अपनी संस्कृति और वास्तुकला की विरासत को खोना नहीं चाहते हैं। उनका मानना है कि ऊंची इमारतों से शहर की ऐतिहासिकता खो जाती है, जो अच्छी बात नहीं है। इसलिए अक्सर वहां स्काईस्क्रेपर्स का विरोध किया जाता है। दुनिया की 1000 सबसे ऊंची इमारतों की बात करें, तो उसमें यूरोप से सिर्फ 7 इमारतें ही हैं।

    आर्थिक रूप से इतना समृद्ध होने के बावजूद यूरोपीय देशों में 150 मीटर से ऊंचे सिर्फ 400 स्काईस्क्रेपर ही हैं। उसमें भी सबसे ऊंची इमारत लंदन में स्थित लाख्ता सेंटर है, जिसकी लंबाई सिर्फ 462 मीटर है।

    इस वजह से भी नहीं बनाते ऊंची इमारत

    यहां ऊंची बिल्डिंग न बनाने की एक वजह यह भी है कि यहां का जनसंख्या घनत्व स्वस्थ है। यानी यहां जितनी जमीन है, उसकी तुलना में लोगों की संख्या ज्यादा नहीं है। इस वजह से ऊंची इमारतें बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। जनसंख्या घनत्व सही होने की वजह से यहां दुनिया के अन्य देशों की तुलना में जमीन की कीमतें भी ज्यादा है।

    चर्च से ऊंची इमारत बनाना गैर-कानूनी

    यहां ऊंची बिल्डिंग बनाने के लिए कई जोनिंग कानून और बिल्डिंग कोड हैं, जिसके कारण ज्यादा ऊंची बिल्डिंग बनाना आसान नहीं है। यूरोपीय देश रोम में तो सेंट पीटर बेसिलिका चर्च से ऊंची इमारत बनाना गैर कानूनी है। ऐसे ही एथेंस में ऐतिहासिक पार्थेनन मंदिर का नजारा ब्लॉक होने से बचाने के लिए 12 मंजील से ऊंची बिल्डिंग बनाने की मनाही है। ऐसे ही लंदन में भी प्रसिद्ध सेंट पॉल कैथड्रेल चर्च को देखने में कोई रुकावट न हो, इसलिए वहां के इलाकों में ऊंची इमारतें बनाना गैर-कानूनी है।

    यूरोपीय देशों में लोगों में ऊंची बिल्डिंग को लेकर ऐसा विरोध देखने को मिलता है कि 1973 में पेरिस में टूर-मोंटपार्नेस स्काइस्क्रेपर बनाया गया था, जिसके कारण लोगों में इतना गुस्सा भरा था कि इसके तीन साल बाद पेसिस में बिल्डिंग की ऊंचाई की सीमा 37 मीटर कर दी गई।

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