400 साल से भी ज्यादा पुराना है बेल्जियम का Antwerp City Hall, देखने को मिलती हैं कई दुर्लभ कलाकृतियां
बेल्जियम में स्थित एंटवर्प सिटी हॉल (Antwerp City Hall) इतिहास और कला प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। साल 1999 में इसे यूनेस्को (UNESCO) से विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) का दर्जा मिला था। बता दें 400 साल से ज्यादा पुरानी इस इमारत का निर्माण यूरोपीय वास्तुकला पर आधारित है और यहां कई दुर्लभ कलाकृतियां का भंडार है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Antwerp City Hall: बेल्जियम का एंटवर्प सिटी हॉल कई मायनों में बेहद खास है। इसके निर्माण में फ्लेमिश और इतालवी दोनों ही प्रभावों का इस्तेमाल देखने को मिलता है। बता दें, इसे बेल्जियम के घंटाघरों में से एक के तौर पर जगह हासिल है। इसकी खासियत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि साल 1999 में ही यूनेस्को (UNESCO) की ओर से इसे विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के रूप में मान्यता दे दी गई थी। बेल्जियम आने वाले टूरिस्ट्स के लिए यह इमारत आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है।
कब और क्यों हुआ था इस इमारत का निर्माण?
एंटवर्प सिटी हॉल का निर्माण 1561-65 के बीच किया गया था। बता दें, इसमें फ्लेमिश मूर्तिकार और वास्तुकार कॉर्नेलिस फ्लोरिस समेत कई अन्य वास्तुकारों की मेहनत लगी थी। 16वीं शताब्दी में एंटवर्प उत्तरी यूरोप के सबसे व्यस्त व्यापारिक बंदरगाहों और समृद्ध शहरों में से एक बन गया था। यही वजह रही कि उस वक्त यहां एक भव्य सिटी हॉल की जरूरत महसूस की गई थी।
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इमारत को बनाने में हुआ है इस शैली का इस्तेमाल
एंटवर्प सिटी हॉल को बनाने के लिए रेनेसेंस आर्किटेक्चर निर्माण शैली यानी पुनर्जागरण वास्तुकला का इस्तेमाल हुआ है। यह 15वीं-16वीं शताब्दी के बीच की गई यूरोपीय वास्तुकला है, जिसका नाता प्राचीन ग्रीक और रोम सभ्यता से भी है। अर्धवृत्ताकार मेहराब, अर्धगोलाकार गुंबदों, स्तंभों को इस शैली खासतौर पर देखा जा सकता है।
मूर्तियों और पेंटिंग्स की शानदार श्रृंखला
यहां आप वर्जिन मैरी और अन्य कई प्रेरक मूर्तियां देखी जा सकती हैं। बेल्जियम के चित्रकार हेनरी लेयस द्वारा शहर के इतिहास की प्रमुख घटनाओं और बेल्जियम शासकों के जीवन को दर्शाते हुए यहां भित्ति चित्रों की एक श्रृंखला बनाई गई है। इसे भारी नुकसान भी हुआ था। दरअसल 4 नवंबर 1576 को, फ्लैंडर्स की सेना के विद्रोही स्पैनिश सैनिकों ने एंटवर्प में लूट शुरू कर दी थी, साथ ही इस इमारत में आग भी लग गई थी। बाद में 19वीं सदी के अंत में इस इमारत का जीर्णोद्धार हुआ, जिसके कारण इसके इंटीरियर को काफी हद तक बदल दिया गया है।
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